Hyderabad Nizam fund Case: ब्रिटिश कोर्ट से पाकिस्तान को झटका, हरीश साल्वे बोले- इतिहासकारों को होगी दिलचस्पी

वरिष्ठ वकील हरिश साल्वे ने कहा कि इतिहासकारों को यह स्वीकार करने में बेहद दिलचस्पी होगी की वह हथियारों की आपूर्ति कर रहा था।

By Ayushi TyagiEdited By: Publish:Thu, 03 Oct 2019 08:59 AM (IST) Updated:Thu, 03 Oct 2019 08:59 AM (IST)
Hyderabad Nizam fund Case: ब्रिटिश कोर्ट से पाकिस्तान को झटका, हरीश साल्वे बोले- इतिहासकारों को होगी दिलचस्पी
Hyderabad Nizam fund Case: ब्रिटिश कोर्ट से पाकिस्तान को झटका, हरीश साल्वे बोले- इतिहासकारों को होगी दिलचस्पी

नई दिल्ली,एएनआइ। हैदराबाद के 7वें निजाम के खजाने को लेकर जहां पाकिस्तान को ब्रिटिश अदालत की ओर से झटका लगा हैं। वहीं, हैदराबाद फंड मामले भारतीय वकील हरीश साल्वे ने बुधवार को कहा कि इतिहासकारों को पाकिस्तान में सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार करने में दिलचस्पी होगी कि वह हथियारों की आपूर्ति कर रहा था। 

साल्वे ने अदालत के फैसले के बाद मीडिया से कहा कि इतिहासकार पाकिस्तान को खुली स्वीकृति देने में दिलचस्पी रखते है कि वे हथियारों की आपूर्ति कर रहे थे। और वे किसे आपूर्ति कर सकते थे स्पष्ट रूप से भारत में रजाकार को।

ब्रिटेन की अदालत ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान द्वारा हैदराबाद को हथियारों की आपूर्ति करने के सबूत थे। साथ ही अदालत ने हैदराबाज के निजाम की करीब 306 करोड़ रूपये भारत को देने का फैसला सुनाया है। ब्रिटेन की अदालत ने पाकिस्तान के दावों को खारिज करते हुए कहा कि निजाम के 306 करोड़ रूपये भारत को दिए जाएं। अदालत ने साफ शब्दों में कहा कि इस धन राशि पर  निज़ाम के उत्तराधिकरियों और भारत का हक है।

अपने फैसले में, यूके उच्च न्यायालय ने पाकिस्तान के इस दावे को खारिज कर दिया कि इस फंड का उद्देश्य हथियारों के शिपमेंट के लिए भुगतान या एक बाहरी उपहार के रूप में किया गया था। अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस पैसे के हकदार हैदराबाद के 7वें निजाम के दोनों पोते और भारत है।

क्या है खजाने की लड़ाई 

भारत और पाकिस्तान के बीच निजाम के 306 करोड़ के खजाने को लेकर लड़ाई चल रही है। दरअसल, जब देश आजाद हुआ और भारत पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तब सिर्फ तीन रियासतें जम्मू कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़ के अलावा सभी रियासतों भारत में विलय हो चुकी थी। इसी बीच हैदराबाद के निजाम  मीर उस्मान अली खान इस जुगाड़ में थे कि वह अपनी रियासत को आजाद मुल्क बना सकें।

लेकिन, गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के कड़े रूख को देखते हुए उन्होंने 10 लाख 07,940 पाउंड लंदन के बैंक में जमा करवा दिए। ये सारे पैसे पाकिस्तान के तत्कालीन उच्चायुक्त हबीब  इब्राहिम रहमतुल्ला के ब्रिटेन स्थित खाते में जमा करवाए थे। पाकिस्तान के मन में इतने पैसे देखकर लालच आ गया। पाकिस्तान को तब पैसे की जरूरत भी थी क्योंकि वह नया-नया बना था।

फिर क्या था बाद में पाकिस्तान इस पैसे को अपना बताने लगा।हालांकि, 1948 में पाकिस्तान के उच्चायुक्त उस पैसे को निकाल नहीं पाए फिर जब निजान में उन्हें पत्र लिखकर पैसा वापस करने के लिए कहा तो उन्होंने ऐसा करने से साफ मना कर दिया। फिर ये मामला ब्रिटेन की कोर्ट में गया। ये मामला फिर पाकिस्तानी उच्चायुक्त बनाम सात अन्य का मामला बना। बाकी पक्षकारों में  भारत के राष्ट्रपति, भारत सरकार और निजाम के वशंज शामिल हैं। 

chat bot
आपका साथी