Gujarat Assembly Election 2017: गुजरात चुनाव में कांग्रेस का एक दूसरा रूप आया सामने

गुजरात विधानसभा चुनाव परिणामों पर देश और दुनिया की निगाह टिकी हुई है। रुझानों और परिणामों में भाजपा एक बार फिर सरकार बनाती नजर आ रही है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Mon, 18 Dec 2017 04:59 PM (IST) Updated:Mon, 18 Dec 2017 06:03 PM (IST)
Gujarat Assembly Election 2017: गुजरात चुनाव में कांग्रेस का एक दूसरा रूप आया सामने
Gujarat Assembly Election 2017: गुजरात चुनाव में कांग्रेस का एक दूसरा रूप आया सामने

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क ]। गुजरात विधानसभा चुनाव परिणामों पर देश और दुनिया की निगाह टिकी हुई है। रुझानों और परिणामों में भाजपा एक बार फिर सरकार बनाती नजर आ रही है। गुजरात चुनाव के नतीजे इस लिए भी महत्वपूर्ण हैं एक तरफ कांग्रेस दावा कर रही थी कि विकास का गुजरात मॉडल नाकाम हो चुका है। इसके साथ ही गुजरात चुनाव में कांग्रेस का एक दूसरा रूप सामने आया। कांग्रेस के उपाध्यक्ष रहे राहुल गांधी(अब अध्यक्ष)जनमानस को लुभाने के लिए एक अलग रूप में सामने आए। जातिविहीन राजनीति की दावा करने वाली कांग्रेस ने हार्दिक- अल्पेश और जिग्नेश के दम पर भाजपा को हराने की रणनीति बनाई। राहुल गांधी के नरम हिंदुत्व का चेहरा भी सामने आया। लेकिन गुजरात के नतीजे बयां कर रहे हैं कि मोदी-शाह की जोड़ी के सामने वो कामयाब नहीं हो सके। आइए आप को बताते हैं कि मोदी-शाह की जोड़ी को हरा पाना क्यों आसान नहीं है।

नरेंद्र मोदी को जन की नब्ज पकड़ने की क्षमता

चाय वाला बयान पर सियासत

2014 के आम चुनाव से पहले यूपीए- दो के शासन के दौरान हुए घोटालों के मामलों ने कांग्रेस की ताबूत में कील ठोंक दी। पीएम नरेंद्र मोदी अपने चुनावी भाषणों में कांग्रेस पर निशाना साधते थे और कहते थे कि विकास की बात करने वाली कांग्रेस का सच ये है कि उनके शासनकाल में सिर्फ भ्रष्टाचार का तेजी से विकास हुआ।
जयपुर में कांग्रेस के राष्ट्रीय सम्मेलन में कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से मणिशंकर अय्यर ने कहा कि वो गारंटी के साथ कहते हैं कि नरेंद्र मोदी 21वी सदी में पीएम बनने का ख्वाब छोड़ दें। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एक काम वो जरूर कर सकते हैं कि उन्हें राष्ट्रीय सम्मेलन के स्थल पर चाय खोलने के लिए जगह उपलब्ध करा सकते हैं। नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस नेता के इस बयान को एक आम चाय वाले का अपमान बताते हुए कहा कि आप सभी लोग देख रहे हैं कि कांग्रेस की नीति और नीयत क्या है।कांग्रेस के नेता ये कभी नहीं चाहते हैं कि एक सामान्य परिवेश से ताल्लुक रखने वाला शख्स भारत के शीर्ष पद पर पहुंच सके।

खून की दलाली पड़ गई भारी

इसके ठीक बाद उड़ी हमले के ठीक बाद सर्जिकल स्ट्राइक पर कांग्रेस ने निशाना साधा। राहुल गांधी ने कहा कि कुछ लोग तो खून की दलाली करते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस के लोगों शहीदों का अपमान करने की आदत पड़ गई है। सैनिकों की शहादत पर भी कांग्रेस राजनीति करने से नहीं चुकती है।

नीच जाति का उल्लेख

गुजरात चुनाव के दूसरे चरण में प्रचार के दौरान कांग्रेस के ही बड़बोले नेता मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी के संदर्भ में Low का जिक्र किया। अय्यर के इस बयान के बाद पीएम ने कहा कि कांग्रेस का असली चेहरा सबके सामने आ चुका है। एक तरफ कांग्रेस पिछड़ी जातियों के विकास की बात करती है। लेकिन सच ये है कि कांग्रेस नेताओं को पिछड़ी जाति के सम्मान से लेना-देना नहीं है। कांग्रेस हमेशा से समाज के पिछड़े लोगों का अपमान ही करती रही है।

दैनिक जागरण से खास बातचीत में संपादकीय टीम के आशुतोष झा ने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी राजनीति के मंझे खिलाड़ी हैं। उनके सामने अगर आप लूज बॉल डालेंगे तो वो सिक्सर मारने से नहीं चूकेंगे। कांग्रेस के नेता इस तरह की गलती करते रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी को अच्छी तरह से ये पता होता है कि कब,कहां और कैसे अपनी बातों को कहना है और उचित मौके के हिसाब से अपनी बात को जनता के सामने रखते हैं।

2017 के अंत तक ऐसा दिखेगा भाजपामय भारत का नक्शा pic.twitter.com/m2HljrDswj— Dainik jagran (@JagranNews) December 18, 2017

अमित शाह का शानदार प्रबंधन

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को भारतीय राजनीति का चाणक्य कहा जाता है। अगर अमित शाह को चाणक्य कहा जाता है तो उसके न मानने की कोई वजह भी नहीं है मौजूदा समय में भारत के 19 राज्यों में भाजपा और सहयोगी दलों का राज है। नोटबंदी के बाद उपजी तमाम सारी आशंकाओं को यूपी विधानसभा चुनाव के परिणामों ने निर्मूल साबित कर दिया। यूपी में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के बाद ये साफ हो गया है कि संगठनात्मक क्षमता और बूथ स्तर पर प्रबंधन के जरिए यूपी जैसे कठिन प्रदेश को भाजपा जीतने में कामयाब रही।

दैनिक जागरण से खास बातचीत में संपादकीय टीम के आशुतोष झा ने बताया कि गुजरात चुनाव में अमित शाह द्वारा 150 प्लस का टारगेट देने के पीछे खास मकसद था। वो जानते थे कि 22 साल का एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर काम करेगा, लिहाजा कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए एक ऐसा टारगेट देना चाहिए जिसका गुजरात की राजनीति में विशेष महत्व है। गुजरात में 1985 में माधव सिंह सोलंकी के समय कांग्रेस ने 149 सीटों पर विजय हासिल की थी। इसके अलावा वो बूथ लेवल पर प्रबंधन को लेकर काफी सतर्क रहे। गुजरात में सहकारी समितियों पर भाजपा का दबदबा है। शाह ने उन समितियों के महत्व को समझा और उन्हें खास जिम्मेदारी जिसका असर आप चुनाव परिणामों में देख रहे हैं।

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