एक अप्रैल से फिर लागू हो सकता है जीएसटी 'ई-वे बिल'

जीएसटी कानून के तहत रिटर्न भरने की मौजूदा जटिल प्रक्ति्रया को किस तरह सरल बनाया जाए, इस संबंध में अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है।

By Tilak RajEdited By: Publish:Sat, 24 Feb 2018 07:53 PM (IST) Updated:Sat, 24 Feb 2018 07:53 PM (IST)
एक अप्रैल से फिर लागू हो सकता है जीएसटी 'ई-वे बिल'
एक अप्रैल से फिर लागू हो सकता है जीएसटी 'ई-वे बिल'

नई दिल्ली, हरिकिशन शर्मा। एक राज्य से दूसरे राज्य में माल की आपूर्ति करने वाले व्यापारियों के लिए जरूरी खबर है। अंतर-राज्यीय माल की आपूर्ति के लिए एक अप्रैल 2018 से जीएसटी कानून के तहत 'ई-वे बिल' लागू किया जा सकता है। ऐसा होने पर 50 हजार रुपये से अधिक मूल्य की वस्तुओं की एक राज्य से दूसरे राज्य तक ढुलाई के लिए जीएसटी नेटवर्क से 'ई-वे बिल' जनरेट करना अनिवार्य होगा। हालांकि राज्य के भीतर सामान की ढुलाई के लिए 'ई-वे बिल' चरणबद्ध ढंग से लागू किया जाएगा। वैसे रिटर्न भरने की प्रक्ति्रया को सरल बनाने पर आम राय नहीं बनने के कारण अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है।

बिहार के उपमुख्यमंत्री और जीएसटी काउंसिल के सदस्य सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाले एक मंत्रिसमूह ने अगले वित्त वर्ष की शुरुआत से ही 'ई-वे बिल' की व्यवस्था लागू करने की सिफारिश की है। मोदी ने शनिवार को यहां मंत्रिसमूह की बैठक के बाद 'दैनिक जागरण' से बातचीत में यह जानकारी दी। हालांकि मंत्रिसमूह की इस सिफारिश पर अंतिम निर्णय जीएसटी काउंसिल की 10 मार्च को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से होने वाली बैठक में किया जाएगा।

गौरतलब है कि जीएसटी काउंसिल ने कर चोरी रोकने के इरादे से एक फरवरी 2018 से ही अंतर-राज्यीय वस्तु व्यापार के लिए 'ई-वे बिल' लागू करने का निर्णय किया था। लेकिन पहले ही दिन देशभर में इन्वॉयस के भारी बोझ के चलते इसका आइटी ढांचा चरमरा गया और सरकार को इसका क्ति्रयान्वयन टालना पड़ा। इसके बाद ही काउंसिल ने मोदी की अध्यक्षता वाले मंत्रिसमूह को 'ई-वे बिल' को पुन: लागू करने के लिए उपयुक्त तारीख सुझाने और जरूरी आइटी तंत्र की तैयारियों का जायजा लेने का जिम्मा सौंपा था।

मोदी ने कहा कि राज्यों के भीतर माल की आपूर्ति के लिए 'ई-वे बिल' की व्यवस्था को चरणबद्ध ढंग से बाद में लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक चरण में 5-6 राज्यों में यह प्रणाली लागू की जाएगी, ताकि 'ई-वे बिल' की प्रणाली पर एक साथ बोझ न पड़े। उन्होंने कहा कि 'ई-वे बिल' पोर्टल की क्षमता में एनआइसी (नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर) ने विस्तार किया है और अब 50 से 75 लाख 'ई-वे बिल' प्रतिदिन जनरेट किए जा सकेंगे। बैठक में मौजूद एनआइसी के अधिकारियों ने बताया कि प्रस्तावित ई-वे बिल का दो राउंड का सफल परीक्षण हो चुका है। अभी इसका दो दौर का परीक्षण और किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शुरु में हर दिन करीब 14 लाख अंतर-राज्यीय 'ई-वे बिल' जनरेट होने का अनुमान है।

जीएसटी के तहत पंजीकृत असेसीज की संख्या एक करोड़ से अधिक हो चुकी है। साथ ही 'ई-वे बिल' पोर्टल पर अब तक 9.5 लाख से अधिक करदाता और 8,500 से अधिक ट्रांसपोर्टर पंजीकृत हो चुके हैं। माना जा रहा है कि ई-वे बिल लागू होने से जीएसटी की चोरी रुकेगी, जिससे इस परोक्ष कर का संग्रह 15-20 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।

रिटर्न सरल बनाने पर नहीं बनी आम राय
जीएसटी कानून के तहत रिटर्न भरने की मौजूदा जटिल प्रक्ति्रया को किस तरह सरल बनाया जाए, इस संबंध में अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, रिटर्न की प्रक्ति्रया सरल बनाने के लिए मंत्रिसमूह की बैठक जिन मुद्दों पर विचार किया गया उनमें सबसे प्रमुख यह था कि असेसी को अस्थायी (प्रॉवीजनल) क्त्रेडिट की सुविधा दी जाए या नहीं। साथ ही इस बात पर भी विचार किया गया कि असेसी को मिलने वाले टैक्स क्त्रेडिट को कर के भुगतान के साथ जोड़ा जाए या नहीं। इसका मतलब यह है कि किसी असेसी को क्त्रेडिट का लाभ तभी मिलेगा, जब उससे आगे वाला व्यापारी अपना टैक्स जमा कर देगा। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में मौजूद इन्फोसिस के चेयरमैन नंदन नीलेकणि का सुझाव था कि अगर एक असेसी अपनी बिक्त्री की इन्वॉयस अपलोड कर देता और उससे माल खरीदने वाला व्यक्ति इसे स्वीकार कर लेता है, तो इनपुट टैक्स क्त्रेडिट दे दिया जाए। हालांकि बैठक में मौजूद अधिकारियों की दलील थी कि इससे कर चोरी बढ़ जाएगी।

chat bot
आपका साथी