गैर सहायता प्राप्त स्कूल की फीस पर नियंत्रण नहीं कर सकती सरकार

मुंबई। बंबई हाई कोर्ट ने कहा है सरकार का ऐसे गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों कीफीस पर कोई नियंत्रण नहीं होगा, जिन्हें किसी प्रकार का अनुदान नहीं मिलता और वे अपने बलबूते छात्रों को अतिरिक्त सुविधायें देने पर मोटी रकम खर्च करते हैं।

By Edited By: Publish:Tue, 09 Jul 2013 02:03 PM (IST) Updated:Tue, 09 Jul 2013 06:06 PM (IST)
गैर सहायता प्राप्त स्कूल की फीस पर नियंत्रण नहीं कर सकती सरकार

मुंबई। बंबई हाई कोर्ट ने कहा है सरकार का ऐसे गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों कीफीस पर कोई नियंत्रण नहीं होगा, जिन्हें किसी प्रकार का अनुदान नहीं मिलता और वे अपने बलबूते छात्रों को अतिरिक्त सुविधायें देने पर मोटी रकम खर्च करते हैं।

अदालत ने महाराष्ट्र सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा जारी उस आदेश को भी निरस्त कर दिया जिसमें गैर सहायता प्राप्त स्कूलों को शैक्षणिक वर्ष 2006-07 से 2011-12 के बीच ली गई फीस को छात्रों के एक समूह को लौटाने को कहा था क्योंकि इस दौरान स्कूल को आइसीएसइ से मान्यता प्राप्त नहीं हुई थी।

मध्य मुंबई के मझगांव स्थित डायमंड जुबली हाई स्कूल द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश एसजे वजीफदार और एमएस सोनक की खंडपीठ ने कहा कि ऐसे कोई संकेत नहीं हैं कि याचिकाकर्ता [स्कूल प्रशासन] ने बदनीयत से काम किया। स्कूल ने महाराष्ट्र सरकार के शिक्षा और खेल विभाग के मुख्य सचिव द्वारा 27 नवंबर, 2012 को जारी आदेश को चुनौती दी थी जिसमें स्कूल प्रशासन से 2006-07 से लेकर 2011-12 के बीच की फीस छात्रों को लौटाने को कहा था। अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान डायमंड जुबली हाई स्कूल शैक्षणिक वर्ष 2006-07 तक महाराष्ट्र सेकेंडरी और उच्च सेकेंडरी शिक्षा [एसएससीइ बोर्ड] से संबद्ध था। उस अवधि तक स्कूल को सरकार से सहायता मिल रही थी, लेकिन बाद में स्कूल ने सहायता लेने से इन्कार कर दिया। इसके बाद स्कूल गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूल की श्रेणी में आ गया। स्कूल का कहना था कि उसने 2007-08 से शैक्षिक सुविधाओं में इजाफा किया। तीन आधुनिक प्रयोगशालाएं बनाई गई और इतने ही पुस्तकालय स्थापित किए गए। शिक्षण और गैरशिक्षण कर्मचारियों की संख्या 72 से बढ़ाकर 114 की।

स्कूल ने बताया कि उसने दो आइटी लैब भी स्थापित की। इसके अलावा संगीत कक्ष, योग कक्ष, वातानुकूलित बैडमिंटन एवं बास्केटबॉल कोर्ट, स्क्वैश कोर्ट, टेबल टेनिस कक्ष समेत अन्य बहुत सी खेल सुविधाएं शुरू की, जिस पर करोड़ों रुपये का खर्च आया, इसलिए उसने छात्रों की फीस में इजाफा किया।

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