भूमि अधिग्रहण विधेयक पर और झुक सकती है सरकार

भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शीर्ष नेताओं की बैठक में भूमि अधिग्रहण विधेयक, देश की राजनीतिक स्थिति और जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार से जुड़े विवादों सहित कई विषयों पर विचार-विमर्श किया गया।

By Sachin BajpaiEdited By: Publish:Tue, 24 Mar 2015 01:49 AM (IST) Updated:Tue, 24 Mar 2015 02:09 AM (IST)
भूमि अधिग्रहण विधेयक पर और झुक सकती है सरकार

नई दिल्ली । भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शीर्ष नेताओं की बैठक में भूमि अधिग्रहण विधेयक, देश की राजनीतिक स्थिति और जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार से जुड़े विवादों सहित कई विषयों पर विचार-विमर्श किया गया। सोमवार को परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के निवास पर हुई बैठक में सरकार ने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर और झुकने का संकेत दिया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार और भाजपा की ओर से संघ को संकेत दिया गया कि विधेयक में और संशोधन के विकल्प खुले हुए हैं। यदि जरूरी हुआ, तो किसानों के हित में और बदलाव किए जा सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि विपक्षी दलों के साथ-साथ भारतीय किसान संघ को भी विधेयक के मौजूदा स्वरूप पर एतराज है। आरएसएस पहले भी इस मुद्दे पर सरकार को किसान संघ के साथ बातचीत करने की सलाह दे चुका है।

हालांकि, भाजपा ने बैठक को सामान्य करार दिया और कहा कि इस दौरान भूमि अधिग्रहण बिल पर कोई चर्चा नहीं की गई। भाजपा महासचिव राम माधव ने बताया कि बैठक में चार-पांच रूटीन मुद्दों पर ही बातचीत हुई। सूत्रों के अनुसार, बैठक के दौरान संघ परिवार के अंदर और पार्टी व सरकार के बीच निरंतर संवाद पर भी सहमति बनी। बैठक के दौरान भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, महासचिव राम लाल व राम माधव और संघ की ओर से सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी, कृष्ण गोपाल और सुरेश सोनी मौजूद थे। राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और गडकरी ने सरकार का प्रतिनिधित्व किया।

संघ ने कहा, विघटनकारी राजनीति कर रहा विपक्ष

देश के कुछ हिस्सों में अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों पर हमले से संदेह के घेरे में आए आरएसएस ने विपक्षी दलों पर विघटनकारी राजनीति करने का आरोप लगाया है। संघ के मुखपत्र आर्गनाइजर में प्रकाशित संपादकीय में कहा गया है कि इन सभी घटनाओं को किसी खास विचारधारा से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। गैर जरूरी मुद्दों पर संसद को बाधित करने पर संघ ने कहा है कि मौत की ओर जा रही कांग्रेस की चिंता किसानों का हित नहीं बल्कि सोनिया गांधी को फिर से स्थापित करना है।

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