टाट्रा ट्रक खरीद मामला: पूर्व सेनाध्यक्ष और सीबीआइ में ठनी

टाट्रा ट्रकों की खरीद के लिए 14 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश के मामले में पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह और सीबीआइ में ठन गई है।

By Edited By: Publish:Fri, 26 Jul 2013 08:06 AM (IST) Updated:Fri, 26 Jul 2013 08:09 AM (IST)
टाट्रा ट्रक खरीद मामला: पूर्व सेनाध्यक्ष और सीबीआइ में ठनी

नई दिल्ली [नीलू रंजन]। टाट्रा ट्रकों की खरीद के लिए 14 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश के मामले में पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह और सीबीआइ में ठन गई है। सीबीआइ जहां पूर्व लेफ्टिेनेंट जनरल तेजिंदर सिंह के खिलाफ सुबूतों को एफआइआर के लिए नाकाफी बताते हुए प्रारंभिक जांच बंद करने की तैयारी में है, वहीं इससे खफा वीके सिंह ने इन्हीं सुबूतों को सार्वजनिक करने की धमकी दी है। सिंह का आरोप है कि तेजिंदर ने उनके दफ्तर में आकर ट्रकों की खरीद को हरी झंडी देने के लिए रिश्वत की पेशकश की थी।

जनरल वीके सिंह द्वारा दिए गए सुबूतों को तेजिंदर के खिलाफ एफआइआर के लिए नाकाफी बताते हुए सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इनमें उनके बेतरतीब ढंग से लिखे हुए डायरी के कुछ पन्ने हैं, जिन्हें अदालत में सुबूत के रूप में पेश नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा, काफी दबाव देने पर पूर्व सेनाध्यक्ष ने पिछले दिनों एक सीडी सीबीआइ को दी है। सिंह का दावा है कि इस सीडी में तेजिंदर की रिश्वत की पेशकश संबंधी बात कैद है, लेकिन हकीकत यह है कि इसमें सारी बातें अस्पष्ट हैं और कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है। आवाज को स्पष्ट करने को फोरेंसिक लैब भेजा गया है। यदि कामयाबी मिली तो सीडी के आधार पर सीबीआइ आगे की कार्रवाई करेगी, नहीं तो केस बंद करने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं है।

वहीं, वीके सिंह ने तेजिंदर के खिलाफ सीबीआइ को सौंपे सारे सुबूत सार्वजनिक करने की धमकी दी है। इस धमकी को गंभीरता से नहीं लेते हुए सीबीआइ के एक अधिकारी ने कहा, सिंह को पहले तो यह बताना पड़ेगा कि डेढ़ साल तक वह मामला क्यों दबाए रहे। सितंबर 2010 में उन्हें रिश्वत की पेश की गई थी, लेकिन इसका खुलासा उन्होंने मार्च 2012 में किया, वह भी एक अखबार में इंटरव्यू देकर। सेनाध्यक्ष होने के बावजूद इन्होंने रिश्वत मामले में सामान्य कार्रवाई की प्रक्रिया का पालन नहीं किया। बाद में भी सीबीआइ के बार-बार दबाव देने के बाद अप्रैल 2012 में सीबीआइ को लिखित शिकायत की। उन्होंने कहा कि पूर्व सेनाध्यक्ष कुछ भी करने और कहने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन जांच एजेंसी के नाते सीबीआइ केवल सुबूतों के आधार पर ही आगे बढ़ सकती है।

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