जीन परिवर्तन से फैलाए जा सकते हैं रोग
जीन परिवर्तन से जुड़ी कई रोचक कहानियां फिल्मों में तो देखने को मिलती हैं, लेकिन हाल में वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि कीट-पतंगों की 'सुपरचार्ज' जीन का इस्तेमाल आतंकियों द्वारा जैविक हथियार बनाने के लिए भी किया जा सकता है।
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। जीन परिवर्तन से जुड़ी कई रोचक कहानियां फिल्मों में तो देखने को मिलती हैं, लेकिन हाल में वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि कीट-पतंगों की 'सुपरचार्ज' जीन का इस्तेमाल आतंकियों द्वारा जैविक हथियार बनाने के लिए भी किया जा सकता है।
'जीन ड्राइव' नामक इस तकनीक में दो पतंगों के संसर्ग के बाद उनकी अगली पीढ़ी में परिवर्तन दिखने की संभावना रहती है। हालांकि, सैद्धांतिक रूप में इस तकनीक से मलेरिया को रोका जा सकता है, लेकिन इसके गलत इस्तेमाल से कई खतरनाक रोग फैल भी सकते हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार इस विधि के तहत प्राणियों में जीन बदले जा सकते हैं। शोधकर्ता कहते हैं, 'इस विधि से स्वास्थ्य, कृषि और संरक्षण से जुड़ी वैश्विक समस्याओं का निदान हो सकता है, लेकिन प्रयोगशाला से बाहर जानवरों पर इसके इस्तेमाल पर सावधानी बरतनी चाहिए।'
जीन ड्राइव तकनीक के सिद्धांत को लंदन के इंपीरियल कॉलेज के ऑस्टिन बर्ट ने 2003 में विकसित किया था। बाद में 'क्रिस्पर' नामक मशीन भी विकसित की गई थी, जिससे डीएनए में बदलाव किया जा सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह तकनीक, आणविक हथियारों की तकनीक की तरह गलत हाथों में जा सकती है। इसीलिए हाल में 27 वैज्ञाानिकों ने जीन ड्राइव के मामले में पारदर्शिता न बरतने के बारे में आवाज उठाई है। उन्होंने कहा है कि ऐसे सुरक्षा इंतजाम होने चाहिए ताकि कोई दुर्घटना न हो।
क्या है सुपरचार्ज जीन
सुपरचार्ज जीन में जीन के 'वाहक' उसके विशिष्ट तत्वों को बेहतर और तेज गति से आगे ले जाते हैं। कुछ ही पीढि़यों बाद यह विशेषताएं जीवों की पूरी प्रजाति में फैल जाती हैं।