गंगा के मूल स्वरूप से न हो छेड़छाड़ : विजय हांसदा

मैं शपथ लेता हूं कि गंगा से जुड़ी देश की अस्मिता, पौराणिक इतिहास और स्वयं की आस्था कभी डिगने नहीं दूंगा। इसे स्वच्छ और निर्मल बनाए रखने तथा इसके स्वच्छंद प्रवाह के लिए मैं व्यक्तिगत रूप से हमेशा प्रयत्नशील रहा हूं। मेरी अपील है कि गंगा मां के मूल स्वरूप से न केवल हरिद्वार, कानपुर, साहेबगंज, भागलपुर बल्कि देश के कोने कोने में कहीं भी कोई छेड़छाड़ न की जाए।

By Edited By: Publish:Sat, 26 Jul 2014 09:22 PM (IST) Updated:Sat, 26 Jul 2014 09:22 PM (IST)
गंगा के मूल स्वरूप से न हो छेड़छाड़ : विजय हांसदा

मैं शपथ लेता हूं कि गंगा से जुड़ी देश की अस्मिता, पौराणिक इतिहास और स्वयं की आस्था कभी डिगने नहीं दूंगा। इसे स्वच्छ और निर्मल बनाए रखने तथा इसके स्वच्छंद प्रवाह के लिए मैं व्यक्तिगत रूप से हमेशा प्रयत्नशील रहा हूं। मेरी अपील है कि गंगा मां के मूल स्वरूप से न केवल हरिद्वार, कानपुर, साहेबगंज, भागलपुर बल्कि देश के कोने कोने में कहीं भी कोई छेड़छाड़ न की जाए। एक जिम्मेदार जन प्रतिनिधि होने के नाते मैं देश की सर्वोच्च संस्था संसद में गंगा के उत्थान के बारे में अपने विचार व सुझाव दूंगा। इतना ही नहीं, अपने संसदीय क्षेत्र की नदियों की

स्वच्छता और उनके प्रवाह के लिए भी केंद्रीय स्तर पर मजबूत पैरवी करके राज्य सरकार से समन्वय स्थापित करूंगा। मेरे संसदीय क्षेत्र में बांसलोई, गुमानी और मुराल जैसी पवित्र नदियां हैं। इनके संरक्षण के लिए मेरे प्रयास हमेशा सार्थक रहे हैं।

अब जरूरत है कि राष्ट्रीय मुद्दे की इस महती परियोजना में हम सभी पूरी तन्मयता के साथ जुटकर गंगा का पानी निर्मल बनाने में सहयोग करें। इस बार यह प्रयास सकारात्मक रंग लाएगा, इसका मुझे विश्वास है। समन्वित प्रयास क्रियान्वित होकर गंगा की दशा-दिशा बेहतर करेंगे। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पानी और गंगा का संरक्षण कराने में अपना संपूर्ण योगदान दूंगा।

विजय हांसदा-सांसद, राजमहल

गंगा जागरण : एक ऐतिहासिक अभियान

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