सोमनाथ ने कहा, व्यवधान से कमजोर हो जाती है संसदीय प्रक्रिया

लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने रविवार को कहा कि संसद में अक्सर पड़ने वाली बाधा अत्यंत दुखद है क्योंकि इससे संसदीय लोकतंत्र की पूरी प्रक्रिया कमजोर हो जाती है। उन्होंने कहा कि स्थिति पर नियंत्रण पाना जिस पीठासीन अधिकारी के बूते से बाहर की बात हो और वह

By Rajesh NiranjanEdited By: Publish:Sun, 02 Aug 2015 08:03 PM (IST) Updated:Sun, 02 Aug 2015 08:15 PM (IST)
सोमनाथ ने कहा, व्यवधान से कमजोर हो जाती है संसदीय प्रक्रिया

नई दिल्ली। लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने रविवार को कहा कि संसद में अक्सर पड़ने वाली बाधा अत्यंत दुखद है क्योंकि इससे संसदीय लोकतंत्र की पूरी प्रक्रिया कमजोर हो जाती है। उन्होंने कहा कि स्थिति पर नियंत्रण पाना जिस पीठासीन अधिकारी के बूते से बाहर की बात हो और वह सदन संचालन में अक्षम हो जाए तो यह उसकी अयोग्यता को दर्शाती है। उन्होंने यह भी साफ किया कि बहुमत के बल पर मौजूदा सरकार जिस तरीके से अध्यादेश और सरकारी आदेश का सहारा ले रही है उससे संसदीय प्रक्रिया हाशिए पर जा रही है।

वर्ष 2004 से 2009 तक लोकसभा अध्यक्ष रहे चटर्जी के कार्यकाल में भाजपा मुख्य विपक्षी पार्टी थी। उन्होंने भी लंबे व्यवधान को याद किया। उन्होंने बताया, 'सदन की कार्यवाही शुरू होने से आधा घंटा पहले मुझे अक्सर फोन से बताया जाता था कि हमारी पार्टी ने कामकाज नहीं होने देने का फैसला लिया है।'

उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि संसद में होने वाली लड़ाई समझौते के सभी आसार को खत्म करते हुए खराब होती चली जाती है। विपक्ष में जो भी होता है उसे महसूस होता है कि उसकी सुनी नहीं जा रही है। मौजूदा स्थितियों की ओर इशारा करते हुए सोमनाथ ने भाजपा को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि यह पहला मौका है जब भाजपा के पास खुद का बहुमत है और विपक्ष बेहद कमजोर होकर आया है जिससे संसदीय लोकतंत्र की पूरी प्रक्रिया कमजोर हो रही है।

उन्होंने स्पष्ट किया, 'सत्ताधारी पार्टी यह मानती है कि मैं क्यों बात करूं जब मेरे पास बहुमत है। फिर वह अध्यादेश और सरकारी आदेशों की तरफ बढ़ती है और संसद का सत्र अनुपयोगी रह जाता है।'

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