सुशील शिंदे और आरके सिंह की अदावत है पुरानी
गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और पूर्व गृह सचिव आरके सिंह के बीच विवाद अभी भले ही सतह पर आया हो, लेकिन दोनों के बीच लड़ाई मंत्रालय के भीतर ही शुरू हो गई थी। दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद विरोध प्रदर्शनों से निपटने के तरीके से शुरू हुआ मनमुटाव अफजल गुरु को फांसी की सूचना समय पर उसके
नई दिल्ली [नीलू रंजन]। गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और पूर्व गृह सचिव आरके सिंह के बीच विवाद अभी भले ही सतह पर आया हो, लेकिन दोनों के बीच लड़ाई मंत्रालय के भीतर ही शुरू हो गई थी। दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद विरोध प्रदर्शनों से निपटने के तरीके से शुरू हुआ मनमुटाव अफजल गुरु को फांसी की सूचना समय पर उसके परिवार वालों को नहीं देने को लेकर बढ़ गया। इसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ हुई धक्कामुक्की और खुद शिंदे के घर पर जाट आंदोलनकारियों की तोड़फोड़ से दोनों के बीच तकरार चरम पर पहुंच गया। स्थिति यहां तक आ गई कि शिंदे ने आरके सिंह की सेवानिवृत्ति से ढाई माह पहले ही अगले गृह सचिव की नियुक्ति की घोषणा कर उनके पर कतर दिए।
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पत्रकारों से साथ बातचीत में सुशील कुमार शिंदे लगातार आरके सिंह के साथ मतभेदों की चर्चा करते रहे, लेकिन औपचारिक बयान में इस पर बोलने से बचते रहे। लगभग साढ़े चार महीने तक गृह मंत्री और गृह सचिव के रूप में शांति से साथ-साथ गुजारने के बाद दुष्कर्म कांड पर भड़के जनआंदोलन के दौरान दोनों के बीच मतभेद शुरू हो गया। आंदोलन से निपटने के तरीके से नाराज शिंदे दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई चाहते थे। लेकिन आरके सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस कर उन्हें क्लीनचिट दे दी। अंतत: शिंदे के दबाव में जस्टिस उषा मेहरा कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली पुलिस के चार अधिकारियों को विभागीय कार्रवाई के लिए नोटिस जारी किया गया, जो अभी तक चल रही है।
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आठ साल से लंबित आतंकी अफजल गुरु को फरवरी 2013 को दी गई फांसी पूरी सरकार के साथ-साथ गृह मंत्रालय के लिए बड़ी उपलब्धि थी। लेकिन इसकी जानकारी गुरु के परिवार को समय पर नहीं दिए जाने से शिंदे नाराज हो गए। शिंदे के लिखित आदेश के बावजूद गुरु के परिवार को फांसी होने के बाद इसकी सूचना मिली। इसे लेकर सरकार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा।
शिंदे के खिलाफ जांच से सरकार का इन्कार
सरकार ने गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के खिलाफ आरके सिंह के आरोपों की जांच मांग खारिज कर दी है। शिंदे की निष्ठा को असंदिग्ध बताते हुए कार्मिक राज्यमंत्री नारायण सामी ने कहा कि सरकार में नए पद की चाह पूरी नहीं के कारण आरके सिंह बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। सामी ने अतिगोपनीय दस्तावेजों तक पहुंच रखने वाले पूर्व अधिकारी द्वारा बिना ठोस सुबूत के आरोप लगाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। भाजपा ने मंगलवार को शिंदे के खिलाफ आरोपों की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की थी। वहीं पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई ने आरोपों को लेकर आरके सिंह की आलोचना की है।
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