नोटबंदी के बाद बैंकों में बढ़े जाली नोट और संदिग्ध लेनदेन के मामले

रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर, 2016 में नोटबंदी के बाद बैंकों में ऐसे लेनदेन की संख्या में 480 फीसद का उछाल दर्ज किया गया।

By Manish NegiEdited By: Publish:Fri, 20 Apr 2018 11:37 PM (IST) Updated:Fri, 20 Apr 2018 11:37 PM (IST)
नोटबंदी के बाद बैंकों में बढ़े जाली नोट और संदिग्ध लेनदेन के मामले
नोटबंदी के बाद बैंकों में बढ़े जाली नोट और संदिग्ध लेनदेन के मामले

नई दिल्ली, प्रेट्र। नोटबंदी के बाद देश के बैंकों में नकली भारतीय मुद्राओं की आमद ने पिछले सभी वर्षो का रिकॉर्ड तोड़ दिया। संदिग्ध लेनदेन के बारे में अपनी तरह की पहली रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर, 2016 में नोटबंदी के बाद बैंकों में ऐसे लेनदेन की संख्या में 480 फीसद का उछाल दर्ज किया गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी, सार्वजनिक व सहकारी बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों में संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) में 400 फीसद से ज्यादा इजाफा दर्ज किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान कुल एसटीआर रिपोर्टिग की तादाद 4.73 लाख को पार कर गई।

वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाली फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट (एफआइयू) के मुताबिक वित्त वर्ष 2015-16 के मुकाबले वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान बैंकिंग और अन्य वित्तीय संस्थाओं में जाली नोट जमा करने की घटनाओं में 3.22 लाख बढ़ोतरी दर्ज की गई। गौरतलब है कि एफआइयू का काम मनी लांड्रिंग और आतंकी संगठनों को वित्तीय मदद देने संबंधी संदिग्ध लेनदेन का विश्लेषण करना है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान सीसीआर की 7.33 लाख से ज्यादा घटनाएं सामने आई, जबकि उससे ठीक पिछले वित्त वर्ष में 4.10 लाख से ज्यादा बार बैंकों में जाली नोट पकड़ी गई थी। गौरतलब है कि सीसीआर की पहली बार गणना वित्त वर्ष 2008-09 में की गई थी। उसके बाद नोटबंदी वाले वित्त वर्ष में इस तरह की घटना चरम पर रही। सीसीआर तभी जारी किया जाता है, जब बैंक में नकली भारतीय मुद्रा नोट (एफआइसीएन) पकड़ में आती है। एफआइयू के एंटी मनी-लांड्रिंग नियमों के तहत जब भी बैंकों के लेनदेन में नकली या फर्जी भारतीय मुद्रा असली के तौर पर किया जाता है या कोई फर्जी या नकली नोट पकड़ में आता है, तो एफआइयू को इसकी सूचना दी जानी जरूरी होती है।

दूसरी तरफ, एसटीआर की गणना तब होती है जब बैंकों में हुए किसी लेनदेन पर संदेह उपजता है या उस लेनदेन की व्यवहार्यता समझ में नहीं आती। रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान एसटीआर संबंधी 4,73,006 घटनाएं हुई, जो ठीक पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले चार गुना से भी ज्यादा थी। लेकिन रिपोर्ट की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एसटीआर जारी करने के मोर्चे पर बैंकों में करीब 489 फीसद का इजाफा हुआ, जबकि वित्तीय संस्थानों के मामले में यह बढ़त 270 फीसद रही।

नोटबंदी के बाद सीसीआर और एसटीआर में जबर्दस्त इजाफे के बाद एफआइयू ने वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान एसटीआर की करीब 56,000 घटनाओं को आगे की जांच के लिए विभिन्न वित्तीय जांच एजेंसियों के पास भेज दिया। ठीक पिछले वित्त वर्ष में एफआइयू ने विभिन्न वित्तीय एजेंसियों को इस तरह के 53,000 मामले भेजे थे।

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