वोट की चाहत में पूरा उत्तर भारत रिश्तेदार

मुंबई में पश्चिमी उपनगर विले पार्ले के एक हॉल में एक सामाजिक संस्था ने उत्तर भारत से संबंध रखने वाले करीब पांच सौ लोगों को इकट्ठा कर रखा है। मकसद है क्षेत्र की कांग्रेस उम्मीदवार प्रिया दत्त के समर्थन में उत्तर भारतीयों के वोट जुटाना।

By Edited By: Publish:Sat, 19 Apr 2014 07:56 PM (IST) Updated:Sun, 20 Apr 2014 08:11 AM (IST)
वोट की चाहत में पूरा उत्तर भारत रिश्तेदार

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। मुंबई में पश्चिमी उपनगर विले पार्ले के एक हॉल में एक सामाजिक संस्था ने उत्तर भारत से संबंध रखने वाले करीब पांच सौ लोगों को इकट्ठा कर रखा है। मकसद है क्षेत्र की कांग्रेस उम्मीदवार प्रिया दत्त के समर्थन में उत्तर भारतीयों के वोट जुटाना।

प्रिया दत्त निर्धारित समय पर आती हैं। सभा के आयोजक पेशे से वकील विजय सिंह प्रमुख लोगों से उनका परिचय कराने के साथ ही यह बताना भी नहीं भूलते कि प्रिया दत्त की मां नरगिस भी उत्तर भारतीय थीं। तभी मंच पर मौजूद कांग्रेस विधायक राजहंस सिंह याद दिलाते हैं कि मां ही नहीं, प्रिया दत्त की नानी भी उत्तर भारतीय थीं। यह सुनकर हॉल के बीच से आवाज आती है कि तभी तो हम लोग प्रिया दत्त को दीदी कहते हैं। उत्तर भारत से रिश्तेदारी जोड़ने का यह सिलसिला प्रिया दत्त के क्षेद्द में ही नहीं चल रहा है। पड़ोस के संसदीय क्षेत्र उत्तर-पश्चिम मुंबई से चुनाव लड़ रहे गुरुदास कामत के क्षेत्रमें भी उत्तर भारत से संबंध जोड़ने का सिलसिला जारी है। इसी क्षेद्द की ढिंडोसी विधानसभा सीट से हिंदीभाषी विधायक राजहंस सिंह सुबह-शाम अपनी पदयात्राओं के दौरान ठेठ बनारसी लहजे में लोगों को यह बताना नहीं भूलते कि मुंबई में भाजपा ने उत्तर भारतीयों को पीटनेवाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना से साठगांठ कर रखी है।

दूसरी ओर, कामत के विरुद्ध शिवसेना उम्मीदवार गजानन कीर्तिकर के समर्थक भी इस क्षेत्रमें उत्तरभारतीय मतों की अहमियत समझ रहे हैं। वह भी याद दिलाते हैं कि कीर्तिकर अपने क्षेत्र के हिंदीभाषी मतदाताओं के परिवार में पड़नेवाले शादी-मुंडन समारोहों में भाग लेने के लिए कई बार जौनपुर और बनारस तक की यात्राएं कर चुके हैं। उत्तर मुंबई के सांसद संजय निरुपम तो स्वयं बिहार मूल के हैं। कांग्रेस उम्मीदवार इसलिए भी उत्तर भारतीय मतदाताओं को लेकर इस बार कुछ ज्यादा ही सतर्क हैं, क्योंकिपिछले पांच वर्ष में सूबे की कांग्रेस नीत सरकार ने किसी हिंदीभाषी नेता को कोई पद नहीं दिया है। मुंबई में हिंदीभाषी मतदाताओं की संख्या इतनी अधिक है कि उन्हें नजरअंदाज करना संभव नहीं है। खासतौर से मुंबई के चार संसदीय क्षेत्रों में। वैसे तो यहां का हिंदीभाषी कांग्रेस का परंपरागत मतदाता रहा है, लेकिन इस बार भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के नाम पर चल रही कथित लहर ने कांग्रेस के इस मजबूत वोट बैंक को भी हिला दिया है। इसलिए भी कांग्रेस के प्रत्याशी ज्यादा सतर्कता के साथ हिंदीभाषियों को जोड़ने में जुटे हैं। जबकि भाजपा कार्यकर्ताओं मोदी लहर पर पूरा भरोसा है।

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