चेचक के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर जोर

समाज में बीमारी को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर करने की जरूरत : डा दत्ता ...

By Srishti VermaEdited By: Publish:Tue, 23 May 2017 11:12 AM (IST) Updated:Tue, 23 May 2017 11:12 AM (IST)
चेचक के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर जोर
चेचक के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर जोर

जागरण संवाददाता, कोलकाता : चिकनपॉक्स यानी चेचक को लेकर हम लोगों के समाज में विभिन्न तरह की भ्रांतियां फैली हुईं हैं जिसे लेकर इस रोग के प्रति जागरूकता बढ़ाना जरूरी है। यह बात एशिया कोलंबिया अस्पताल के वरिष्ठ शिशु विशेषज्ञ डा. सौमित्र दत्त ने कही है। वह महानगर में चिकनपॉक्स के प्रति जागरूकता को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि चिकनपॉक्स यानी चेचक सर्वविदित और संक्रामक रोग है जिसे कई लोग त्वचा पर पड़ने वाले एक खास किस्म के दाग या रैश के कारण पहचानते हैं। ये रैश या निशान छोटी-छोटी लाल फुंसियों जैसे होते हैं जिनमें खुजली होती है।

यह रोग एक विषाणु के कारण है जिसे वेरिसेला- जॉस्टर वायरस (वीजेडवी) कहते हैं। यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है और बच्चों, वयस्कों व जिनका प्रतिरोधी तंत्र मजबूत न हो, उन्हें गंभीर रूप से प्रभावित करता है। यह हवा के जरिये संक्रामक रोग है जो खांसने और छींकने से फैलता है। यह रोग किसी और को उस स्थिति में भी हो सकता है जब कोई किसी चेचकग्रस्त मरीज के आसपास रहे। डा. दत्ता ने कहा कि चिकनपॉक्स को लेकर हम लोगों के समाज में विभिन्न तरह की भ्रांतियां फैली हुईं हैं जिसे लेकर इस रोग के प्रति जागरूकता बढ़ाना जरूरी है। जैसे कि मांसाहारी भोजन, दवा आदि से परहेज।

जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है। चेचक में बेफिक्र मांसाहारी भोजन लिया जा सकता है। अधिक प्रोटिनयुक्त भोजन लेने से यह बीमारी और जल्द ठीक होती है। डा दत्ता ने कहा कि चेचक के विशेष लक्षणों में चेहरे, छाती, पीठ और फिर पूरे शरीर पर पड़ने वाले निशान हैं। ये निशान समय के साथ खुजली वाली फुंसियों में बदलते हैं जिनमें द्रव भर जाता है। ये फुंसियां या छाले करीब एक हफ्ते में पपड़ी में बदल जाते हैं। यह रोग पांच से दस दिनों में ठीक होता है जिसके अन्य लक्षण ये हैं, तेज बुखार, थकान, भूख न लगना, सिरदर्द आदि। जो लोग चेचक का टीका लगवा चुके हैं, वे भी विषाणु की चपेट में आ सकते हैं और इस रोग से ग्रस्त हो सकते हैं। लेकिन उन लोगों में इस रोग के हल्के लक्षण ही दिखते हैं।

कुछ और लक्षणों के दिखने पर तुरंत अधिक चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए, जैसे अगर बुखार चार दिन से या 102 डिग्री फैरेनहाइट से ज्यादा हो, पस के कारण दिखने वाले बैक्टीरियल संक्रमण, लगातार उल्टी, सांस में तकलीफ और अन्य किसी रोग के गंभीर संकेत। डा दत्ता ने कहा कि चेचक का कोई इलाज नहीं है। चेचक के कारण आने वाले बुखार के सही इलाज के लिए अपने डॉक्टर की सलाह लें। इस रोग से ग्रस्त उन लोगों को कभी-कभी एंटिवायरल दवा भी दी जाती है जिनमें किसी और गंभीर रोग के होने की आशंका हो। इस बारे में जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इस श्रेणी में वे लोग हैं जिन्हें पहले पहले चेचक नहीं हुआ, जिनका प्रतिरोधी तंत्र कमजोर है, जिनकी उम्र 12 साल से ज्यादा है या जो गर्भवती हों। वेरिसेला वैक्सीनेशन से ज्यादातर मामलों में बीमारी से बचाव संभव है। टीका लिये हुए व्यक्ति को अगर यह रोग होता है तो सामान्यतया हल्के लक्षण दिखते हैं।

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