सक्सेस मंत्रा, एंटरप्रेन्योरशिप से बदलाव लाने का किया जा रहा प्रयास

शिशिर के अनुसार हर बच्चा अपने आप में यूनीक होता है और वह अपनी बुद्धि का इस्तेमाल कर नये समाधान निकालता है। हम कभी बच्चों की सोचने की प्रक्रिया को बदलना नहीं चाहते हैं बल्कि एक मार्गदर्शक बनकर साथ रहते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 18 Dec 2021 11:49 AM (IST) Updated:Sat, 18 Dec 2021 11:49 AM (IST)
सक्सेस मंत्रा, एंटरप्रेन्योरशिप से बदलाव लाने का किया जा रहा प्रयास
हम कभी बच्चों की सोचने की प्रक्रिया को बदलना नहीं चाहते हैं, बल्कि एक मार्गदर्शक बनकर साथ रहते हैं।

अंशु सिंह। शिशिर मिगलानी एक सीरियल एंटरप्रेन्योर रहे हैं जिनका मानना है कि टेक्नोलाजी की मदद से कई स्तरों पर बदलाव लाए जा सकते हैं। 'किड्जप्रेन्योर' के माध्यम से वह शिक्षा के क्षेत्र में सार्थक परिवर्तन लाना चाहते हैं। इनका सामान्य सिद्धांत है- वी कोच, यू पिच, वी इन्वेस्ट। शिशिर हमेशा से इस दुनिया में छोटे-छोटे बदलाव लाना चाहते रहे हैं। इन्होंने पाया कि नौकरी के कारण उनकी सीमाएं बंधी हुई हैं। तब उद्यमिता में ही एक उम्मीद नजर आई। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया थी। जितना लोग उन्हें नौकरी की ओर धकेलते, उतना उनका उद्यमिता में जाने का निश्चय पक्का होता जाता। आगे चलकर जिस तरह से इनके प्रोडक्ट एवं सर्विसेज ने लोगों के जीवन में बदलाव लाए, वह काफी प्रेरणादायी रहा। वह बताते हैं, 'मैंने देहरादून से स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद दिल्ली से एमबीए किया।

19 वर्ष की उम्र में पहली बार उद्यमिता को आजमाया और असफल रहा। हालांकि धीरे-धीरे बहुत कुछ सीखा। मैंने देखा कि कैसे शिक्षा एवं बाहरी जगत में एक गहरी खाई है। बच्चों को विषय आधारित पढ़ाया जाता है, लेकिन जीवन की चुनौतियों का कैसे सामना किया जाए, इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है। इसे देखते हुए ही मैंने किड्जप्रेन्योर की शुरुआत की। हमारे एंटरप्रेन्योरियल स्किलिंग प्रोग्राम से बच्चों को अपना एक सोच विकसित करने में सहायता मिलती है। वे विज्ञानी प्रक्रियाओं की सहायता से समस्याओं का समाधान निकालने में सक्षम बन जाते हैं। हम इनके आइडियाज में ही निवेश करना पसंद करते हैं। हमारे मेंटर्स एवं फेसिलिटेटर्स स्टूडेंट्स को अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित करते हैं। प्रत्येक टीम को 30 से 60 हजार रुपये की सीड मनी भी दी जाती है।'

बच्चों के साथ काम करना रहा चुनौतीपूर्ण: शिशिर ग्लोबल एंटरप्रेन्योर कम्युनिटी का हिस्सा रहे हैं, जहां सभी एक-दूसरे से सीखते एवं सिखाते थे। एक समय आया जब वह वयस्कों के साथ काम करते-करते ऊब गए और फिर उन्हें मुनी इंटरनेशनल स्कूल के स्टूडेंट्स के साथ कुछ नया करने को मिला। इसी अनुभव के बाद उन्होंने किड्जप्रेन्योर की शुरुआत की। वह बताते हैं, मुझे बच्चों के साथ काम करने का कोई अनुभव नहीं था। 11 वर्ष के बच्चों के साथ काम करना बहुत कठिन एवं चुनौतीपूर्ण था। उसके बाद किसी नतीजे तक पहुंचना और भी मुश्किल रहा। लेकिन उसी ने ही सतत प्रयास करते रहने के लिए प्रोत्साहित किया। मैं मानता हूं कि सीखने के लिए फेल होना आवश्यक है। हमारी कई गतिविधियों में असफलता निश्चित होती है, लेकिन वही स्टूडेंट्स को नये अनुभव कराती है। उन्हें सीखने को मिलता है। शिशिर के अनुसार, हर बच्चा अपने आप में यूनीक होता है और वह अपनी बुद्धि का इस्तेमाल कर नये समाधान निकालता है। हम कभी बच्चों की सोचने की प्रक्रिया को बदलना नहीं चाहते हैं, बल्कि एक मार्गदर्शक बनकर साथ रहते हैं।

कोशिश करते रहने से मिलती है सफलता: अब तक के अपने सफर के बारे में शिशिर का कहना है कि कंफर्ट जोन से बाहर निकलकर काम करना आसान नहीं होता है। लेकिन बच्चों से बहुत कुछ सीखने को मिला है। उनके नजरिये को जान पाया हूं। उन्हें समझ पाया हूं। इससे एक अलग प्रकार की संतुष्टि मिली है और वह प्रैक्टिकल लाइफ स्किल क्रिएट करने में कामयाब रहे हैं। इस यात्रा में कई बौद्धिक लोगों से मिलना हुआ, जिन्होंने कंपनी की प्रगति में अहम भूमिका भी निभायी। आज हम चार राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। अब तक एक लाख बच्चों तक पहुंचे हैं। आने वाले दिनों में स्पेशल बच्चों के साथ भी काम करने की इच्छा है। युवाओं से यही कहना चाहूंगा कि कभी कोशिश करनी बंद नहीं करनी चाहिए। कोशिश करेंगे, तभी सफलता या असफलता मिलेगी औऱ इससे कहीं न कहीं हम कामयाबी के समीप पहुंच सकेंगे।

[शिशिर मिगलानी संस्थापक, किड्जप्रेन्योर]

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