चीनी सट्टेबाजी एप संचालित करने वाली कंपनियों पर ईडी के छापे, HSBC बैंक के चार खाते फ्रीज

ईडी ने देश में कथित रूप से कई चीनी सट्टेबाजी एप और वेबसाइटों का संचालन करने वाली कंपनियों के खिलाफ मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज किया है।

By Tilak RajEdited By: Publish:Sun, 30 Aug 2020 06:09 AM (IST) Updated:Sun, 30 Aug 2020 06:09 AM (IST)
चीनी सट्टेबाजी एप संचालित करने वाली कंपनियों पर ईडी के छापे, HSBC बैंक के चार खाते फ्रीज
चीनी सट्टेबाजी एप संचालित करने वाली कंपनियों पर ईडी के छापे, HSBC बैंक के चार खाते फ्रीज

नई दिल्ली, प्रेट्र। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने देश में कथित रूप से कई चीनी सट्टेबाजी एप और वेबसाइटों का संचालन करने वाली कंपनियों के खिलाफ मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज किया है। इन कंपनियों ने ढीले नियामक तंत्र का फायदा उठाकर करोड़ों रुपये बाहर भेजे हैं। ईडी ने इस सिलसिले में कंपनियों के कई परिसरों पर छापेमारी की और एचएसबीसी बैंक में उनके चार खातों को फ्रीज कर दिया, जिनमें 46.96 करोड़ रुपये जमा हैं।

शनिवार को जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक, प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की विभिन्न धाराओं के तहत दिल्ली, गुरुग्राम, मुंबई और पुणे में शुक्रवार को 15 स्थानों पर छापेमारी की गई थी। इनमें कंपनियों के पंजीकृत कार्यालय, उनके निदेशकों व चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के कार्यालय शामिल हैं। छापेमारी के दौरान ईडी ने 17 हार्ड डिस्क, पांच लैपटॉप, फोन और कई अहम दस्तावेज बरामद किए हैं। मनी लांड्रिंग का यह मामला तेलंगाना पुलिस द्वारा इस साल की शुरुआत में दर्ज एफआइआर पर आधारित है। पुलिस ने डॉकीपे टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड, लिंकयुन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड और अन्य के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी और एक चीनी नागरिक समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। इनके नाम यान हाओ, धीरज सरकार और अंकित कपूर हैं।

चीनी नागरिकों ने कई भारतीय सीए की मिलीभगत से खोलीं कंपनियां

बयान के मुताबिक, आरोपित ऑनलाइन सट्टेबाजी घोटाले के लिए नया तरीका अपना रहे थे। जांच में पता चला कि कुछ चीनी नागरिकों ने भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स (सीए) की मदद से कई भारतीय कंपनियां शुरू की थीं। शुरुआत में कंपनियों को बनाने के लिए डमी भारतीय निदेशकों का इस्तेमाल किया गया, लेकिन कुछ समय बाद चीनी नागरिक भारत आए और खुद इन कंपनियों के निदेशक बन गए। एचएसबीसी बैंक में खाते खोलने और पेटीएम, कैशफ्री, रेजरपे जैसे ऑनलाइन वॉलेट में ट्रेड अकाउंट्स खोलने के लिए इन्होंने कुछ स्थानीय लोगों को नियुक्त करके उनका इस्तेमाल किया था। जांच एजेंसी के मुताबिक, इन ऑनलाइन वॉलेट्स के ढीले तंत्र और नियामक प्राधिकारियों को संदिग्ध लेनदेन की सूचना नहीं देने का आरोपित कंपनियों ने फायदा उठाया और देशभर में अपनी गतिविधियां फैला लीं।

हवाला लेनदेन में भी थीं लिप्त

ईडी को संदेह है कि ऑनलाइन सट्टेबाजी के अलावा इन कंपनियों ने ऑनलाइन वॉलेट का इस्तेमाल हवाला लेनदेन के लिए भी किया। डॉकीपे टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के दो बैंक खातों में पिछले साल 1,268 करोड़ रुपये एकत्रित हुए थे, इनमें से 300 करोड़ रुपये पेटीएम के जरिये आए जबकि करीब 600 करोड़ रुपये पेटीएम के जरिये बाहर ट्रांसफर किए गए। लिंकयुन टेक्नोलॉजी के खाते में भी इसी तरह का पैटर्न देखा गया और 120 करोड़ रुपये तक बाहर भेजे गए।

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