अरावली पहाडि़यों पर पेड़ों की कटाई से दिल्ली में धूल छाने का मामले पर एनएचआरसी सख्त

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केन्द्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय व हरियाणा तथा राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 20 Jun 2018 09:32 PM (IST) Updated:Wed, 20 Jun 2018 10:48 PM (IST)
अरावली पहाडि़यों पर पेड़ों की कटाई से दिल्ली में धूल छाने का मामले पर एनएचआरसी सख्त
अरावली पहाडि़यों पर पेड़ों की कटाई से दिल्ली में धूल छाने का मामले पर एनएचआरसी सख्त

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग [ एनएचआरसी ] ने अरावली पहाडि़यों पर पेड़ों की कटाई से दिल्ली में धूल का गुबार छाने पर चिंता जताते हुए केन्द्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय व हरियाणा तथा राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया है। आयोग ने राज्यों के मुख्य सचिवों से छह सप्ताह में जवाब मांगा है। आयोग ने अरावली की पहाडि़यों पर बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई के संबंध में मीडिया में आयी खबरों पर स्वयं संज्ञान लेते हुए बुधवार को ये नोटिस जारी किये।

-राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का केंद्र, राजस्थान और हरियाणा को नोटिस

- आयोग ने अरावली में पेड़ों की कटाई कर उसे बंजर छोड़ देने से हो रहे स्वास्थ्य नुकसान पर जताई चिंता

- केन्द्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय और राजस्थान व हरियाणा के मुख्य सचिव से मांगा जवाब

मीडिया में खबरें आयीं थी कि व्यवसायिक लाभ के चलते राजस्थान और हरियाणा में अरावली पहाडि़यों पर बड़े पैमाने पर हो रही पेड़ों की कटाई ही दिल्ली में धूल का गुबार छाए रहने का मुख्य कारण है। आयोग ने मामले पर संज्ञान लेते हुए कहा है कि मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए इस ओर तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। बड़े स्तर पर पौधारोपण और हरितपट्टी बना कर धूल का गुबार रोका जा सकता है।

आयोग का कहना है कि आम जनता और जिम्मेदार अथारिटीज को पहाडि़यों के चारो ओर पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने और उसे संरक्षित करने के लिए जागरुक रहना चाहिए।

आयोग ने इस बारे में किये जा रहे उपायों की जानकारी प्राप्त करने के लिए केन्द्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा राजस्थान और हरियाणा के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब मांगा है।

मीडिया रिपोर्ट में विशेषज्ञों के मुताबिक अरावली पहाडि़यों की हरितिमा राजस्थान के रेगिस्तान को रोकती है, अगर इसका नष्ट होना नहीं रोका गया तो धूल का गुबार बढ़ेगा जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। मीडिया रिपोर्ट में इस बारे में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट और एमिटी स्कूल आफ अर्थ एंड एनवायरमेट साइंस के अध्ययन को भी कोट किया गया था। साथ ही विशेषज्ञों का भी हवाला था।

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