हमेशा जोश से लबरेज रहते थे डीएसपी अमन, दो नौकरियां छोड़ ज्‍वाइन की थी पुलिस सेवा

अमन दो सरकारी नौकरियां छोड़कर पुलिस में शामिल हुए थे। डोडा क्षेत्र में गोगला जिले के रहने वाले अमन ठाकुर साल 2011 बैच के जम्मू कश्मीर पुलिस सेवा के अधिकारी थे।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Mon, 25 Feb 2019 05:53 PM (IST) Updated:Tue, 26 Feb 2019 09:08 AM (IST)
हमेशा जोश से लबरेज रहते थे डीएसपी अमन, दो नौकरियां छोड़ ज्‍वाइन की थी पुलिस सेवा
हमेशा जोश से लबरेज रहते थे डीएसपी अमन, दो नौकरियां छोड़ ज्‍वाइन की थी पुलिस सेवा

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में रविवार को आतंकियों से हुई मुठभेड़ में शहीद हुए डीएसपी अमन ठाकुर हमेशा ही जोश से भरे रहते थे। यही वजह थी कि जब इस ऑपरेशन में शामिल मेजर को आतंकियों की गोली लगी तो वह बिना किसी डर के उन्‍हें बचाने के लिए आगे बढ़ गए और अपनी जान की बाजी गंवा दी। इस कार्रवाई में जहां जैश ए मुहम्‍मद के तीन आंतकी मारे गए वहीं डीएसपी अमन ठाकुर समेत दो जवान शहीद भी हो गए। इसके अलावा दो जवान घायल हुए।

वर्दी पहनने का था जुनून
पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह के मुताबिक वह हमेशा जोश से लबरेज रहते और अपनी टीम का नेतृत्व करते थे। कुलगाम जिले में उनके कार्यकाल के दौरान ठाकुर कई तिमाही से बहादुरी का पुरस्कार जीत रहे थे। जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में रविवार को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) अमन ठाकुर को देश की सेवा का गजब जुनून था। यही वजह थी कि उन्होंने दो सरकारी नौकरियां छोड़कर पुलिस में शामिल होना बेहतर समझा। डोडा क्षेत्र में गोगला जिले के रहने वाले अमन ठाकुर साल 2011 बैच के जम्मू कश्मीर पुलिस सेवा के अधिकारी थे। पहली नौकरी उन्हें समाज कल्याण विभाग में मिली थी। इसके बाद वह एक सरकारी कॉलेज में लेक्चरर के पद पर नियुक्त हुए थे, जो जंतु विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री के कारण मिली थी।

यूं चला ऑपरेशन
रविवार दोपहर को सूचना मिली कि जैश के आतंकियों का एक दल तूरीगाम में आया है। उसी समय सेना, पुलिस और सीआरपीएफ के एक संयुक्त कार्यदल ने आतंकियों को मार गिराने का अभियान शुरू किया। सुरक्षाबलों ने जैसे ही तूरीगाम की घेराबंदी करते हुए घरों की तलाशी शुरू की, तभी मकान में छिपे आतंकियों ने फायरिंग कर दी। करीब तीन बजे शुरू हुई मुठभेड़ में मेजर सुशील सिंह ने आतंकियों को मार गिराने के लिए जैसे ही उनके ठिकाने के भीतर जाने का प्रयास किया। उन्हें गोली लग गई। इस दौरान उनके साथ बलदेव राम, सिपाही जसवीर सिंह और हवलदार सोमवीर जख्मी हो गए।

मेजर को बचाने में गई जान
सुरक्षाकर्मियों ने आतंकियों की गोलियों का जवाब देते हुए घायल पड़े जवानों को वहां से हटाने का अभियान शुरू किया। सभी जवानों को हटा लिया गया, लेकिन मेजर जमीन पर आतंकियों की सीधी फायरिंग रेंज में थे। यह देख राज्य पुलिस विशेष अभियान दल (एसओजी) के डीएसपी अमन ठाकुर ने खुद मोर्चा संभाला। इस दौरान जैसे ही वह मेजर को उठाने लगे तो आतंकियों की गोली का शिकार हो गए। लेकिन इस दौरान भी वह मेजर को वहां से हटाने में कामयाब रहे और जवाबी कार्रवाई करते हुए एक आतंकी को मार गिराया। घायल मेजर और डीएसपी को उसी समय श्रीनगर स्थित सेना के बेस अस्पताल लाया गया, जहां डीएसपी अमन ठाकुर और सैन्यकर्मी सोमवीर को मृत घोषित कर दिया गया है। इस बीच, अन्य जवानों ने आतंकियों को मार गिराने के लिए अभियान जारी रखा और वहां छिपे दो आतंकियों को मार गिराया।

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