राजनयिकों के खिलाफ कानून उल्लंघन के बावजूद दर्ज नहीं होता है मुकदमा

राजनयिकों के निष्कासन का यह पहला मामला नहीं मिला है। 2017 में भी रूस द्वारा इस तरह की कार्रवाई देखने को मिली थी जब व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका को अपने 755 राजनयिकों को वापस बुलाने के लिए कहा था।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Fri, 06 Apr 2018 11:30 AM (IST) Updated:Fri, 06 Apr 2018 12:13 PM (IST)
राजनयिकों के खिलाफ कानून उल्लंघन के बावजूद दर्ज नहीं होता है मुकदमा
राजनयिकों के खिलाफ कानून उल्लंघन के बावजूद दर्ज नहीं होता है मुकदमा

नई दिल्ली [कनिष्का तिवारी]। अगर राजनयिकों के कार्यक्षेत्र और शक्तियों पर एक दृष्टि डालें तो हर देश में राजनयिकों की नियुक्ति के लिए अलग नियम होते हैं और उनके कार्य भी अलग-अलग ढंग से विभाजित होते हैं। मुख्य रूप से एक राजनयिक का कार्य विदेश में अपने देश के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करने का होता है। राजनयिक के कार्य मुख्यत: तीन भागों राजनीतिक अंग, व्यावसायिक अंग और राजदूत के रूप में विभाजित होते हैं। राजनीतिक राजनयिक संबंधित देश की राजनीतिक गतिविधियों पर नजर रखता है और अपने देश और संबंधित देश की राजनीतिक मंशा के बीच समन्वय बैठाने और गंभीर राजनीतिक परिस्थितियों में आवश्यकतानुसार निर्णय लेता है।

व्यावसायिक राजनयिक मुख्य रूप से अपने देश और संबंधित देश के बीच आर्थिक समझौतों की निगरानी करता है और साथ ही संबंधित देश की आर्थिक नीतियों पर पैनी नजर बनाए रखता है। इन सबसे अलग एक राजदूत वीजा संबंधित कार्यवाही पर नजर रखता है और उस प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार होता है। हालांकि यह हमेशा जरूरी नहीं कि हर देश में इन तीनों कार्यो के लिए तीन राजनयिक ही हों। कभी-कभी एक ही व्यक्ति तीनों दायित्व का निर्वाह करता है। यह संबंधित देशों के विदेश मंत्रालय का निर्णय होता है कि वह किस देश में कितने राजदूत नियुक्त करना चाहता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमेटिक रिलेशंस 1961 के तहत दूतावास के कर्मचारियों सहित राजनयिकों और उनके परिवार के सदस्यों को कूटनीतिक छूट प्रदान की जाती है।

इसके कारण संबंधित देश में किसी कानून का उल्लंघन करने पर उनके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया जाता, बल्कि उन्हें वापस उनके देश भेज दिया जाता है। हर देश में राजनयिकों की नियुक्ति के लिए अलग प्रकिया होती है। राजनयिक किसी भी देश के विदेश मंत्रालय का आधिकारिक कर्मचारी होता है। ब्रिटेन में राजनयिक बनने के लिए व्यक्ति को फॉरेन एंड कॉमनवेल्थ ऑफिस में आवेदन करना पड़ता है। आवेदन में उसे अपनी शैक्षणिक योग्यता आदि का प्रमाण देना पड़ता है। इसके अलावा नागरिकता, योग्यता से संबंधित कई परीक्षाओं को पार करना पड़ता है, जिसके बाद औपचारिक तौर पर उसे राजदूत/उच्चायुक्त बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। रूस में राजनयिक की नियुक्ति की प्रक्रिया जटिल है।

राजनयिकों के रूप में कई तरह की नियुक्तियां होती हैं। कई बार राजनयिक सेवा में जासूस भेजने का आरोप भी देशों द्वारा एक-दूसरे पर लगाने की बात सामने आती रही है। अधिकतर देश अपने राजनयिकों को दूसरे देशों के अनुकूल विशेष प्रशिक्षण भी देते हैं, जहां उनकी नियुक्ति होती है। उन्हें वहां की भाषा, संस्कृति, राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थितियों, इतिहास आदि की विस्तृत जानकारी दी जाती है। कुल मिलाकर एक राजनयिक को दूसरे देश में रहते हुए कूटनीति के स्तर पर अपने देशहित को संरक्षित करना होता है। हालांकि राजनयिकों के निष्कासन का यह पहला मामला नहीं मिला है। 2017 में भी रूस द्वारा इस तरह की कार्रवाई देखने को मिली थी जब व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका को अपने 755 राजनयिकों को वापस बुलाने के लिए कहा था।

रूस के इस कदम की मुख्य वजह अमेरिकी सूचना एजेंसियों की वह रिपोर्ट थी, जिसमें उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों और 2014 में यूक्रेन से क्रीमिया को अलग करने में रूस की दखलंदाजी की बात कही थी। जाहिर है ऐसे कदमों से न केवल वैश्विक शांति को धक्का लगता है, बल्कि इन देशों को आंतरिक रूप से भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इनके पर्यटन जैसे क्षेत्र आर्थिक रूप से भी प्रभावित होते हैं। साथ ही संबंधित देशों में रहने वाले लोगों के लिए भी परिस्थितियां प्रतिकूल होती हैं। राजनयिक देशों के बीच संबंधों में सेतु की तरह होते हैं, इनकी वापसी ठीक नहीं है। विश्व शांति के लिए देशों को अपने विवाद बातचीत से सुलझाने चाहिए।

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