क्रिप्टो एक्सचेंज वजीरएक्स की 65 करोड़ की डिपाजिट जब्त, चीनी फिनटेक कंपनियों के धन को अवैध तरीके से विदेश भेजने का आरोप

ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले एक साल से वजीरएक्स क्रिप्टो एक्सचेंज को चलाने वाली मूल कंपनी जनमय लैब प्राइवेट लिमिटेड से चीनी फिनटेक कंपनियों की लेनदेन की जानकारी मांगी जा रही थी। लेकिन इसके निदेशक समीर म्हात्रे इसमें सहयोग नहीं कर रहे थे।

By Ashisha Singh RajputEdited By: Publish:Fri, 05 Aug 2022 10:10 PM (IST) Updated:Fri, 05 Aug 2022 10:10 PM (IST)
क्रिप्टो एक्सचेंज वजीरएक्स की 65 करोड़ की डिपाजिट जब्त, चीनी फिनटेक कंपनियों के धन को अवैध तरीके से विदेश भेजने का आरोप
एक्सचेंज ने जांच के लिए ऐसी कंपनियों का डाटा नहीं कराया मुहैया

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। ईडी ने क्रिप्टो एक्सचेंज वजीरएक्स की 65 करोड़ रुपये का बैंक डिपाजिट जब्त कर लिया है। वजीरएक्स पर ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी करने वाली चीनी कंपनियों के धन को अवैध तरीके से विदेश भेजने और जांच के लिए उनका डाटा मुहैया नहीं कराने का आरोप है। ईडी के अनुसार मोबाइल एप के सहारे लोन देने और फिर जबरन वसूली करने वाली ये चीनी कंपनियां जांच शुरू होने के बाद अपना कारोबार समेटकर भाग गईं और वजीरएक्स के सहारे सारा धन विदेश भेज दिया।

ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले एक साल से वजीरएक्स क्रिप्टो एक्सचेंज को चलाने वाली मूल कंपनी जनमय लैब प्राइवेट लिमिटेड से चीनी फिनटेक कंपनियों की लेनदेन की जानकारी मांगी जा रही थी। लेकिन इसके निदेशक समीर म्हात्रे इसमें सहयोग नहीं कर रहे थे। इसीलिए उनके घर और दफ्तर की भी तलाशी ली गई। ईडी के अनुसार समीर म्हात्रे का वजीरएक्स पर पूरी तरह से नियंत्रण है, उसके डाटा का पूरा एक्सेस उनके पास है।

हालांकि उन्होंने पैसे बचाने के लिए एक्सचेंज पर होने वाले लेनदेन का कोई ब्यौरा अपने प्लेटफार्म पर सुरक्षित नहीं रखा। ब्लाकचेन के सहारे चलने वाले इस एक्सचेंज पर उन चीनी फिनटेक कंपनियों के साथ हुए लेनदेन का एक भी ब्यौरा नहीं था। इस कारण यह पता लगाना असंभव हो गया कि इन फिनटेक कंपनियों ने क्रिप्टो करेंसी के रूप में कितना धन किन-किन कंपनियों में ट्रांसफर किया है।

कोई चीनी फिनटेक कंपनी भारत में नहीं थी

पंजीकृत ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार वजीरएक्स कुल 16 चीनी फिनटेक कंपनियों को भारत से धन विदेश में ले जाने की सुविधा मुहैया करा रहा था। सबसे बड़ी बात यह है कि फिनटेक कंपनियां भारत में पंजीकृत भी नहीं थी। इसके बजाय ये ऐसी भारतीय गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के साथ करार कर लेती थीं, जिसने काम करना बंद कर दिया था। मोबाइल एप पर तत्काल लोन उपलब्ध कराने का प्रलोभन देकर ये कंपनियां भारी ब्याज वसूलती थी। शिकायत मिलने और लोन लेने वाले कुछ लोगों के आत्महत्या कर लेने के बाद एजेंसियों ने उनके खिलाफ जांच शुरू की थी।

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