हवाई सीमा की सुरक्षा होगी चाक-चौबंद, अक्टूबर में किया जा सकता है वायु रक्षा कमान का गठन

लद्दाख में चीन के साथ चल रही तनातनी के बीच सैन्य मामलों के विभाग ने सुरक्षा बलों के पुनर्गठन की प्रक्रिया तेज कर दी है। जानें कब अस्‍त‍ित्‍व में आ सकती है यह कमान...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Fri, 28 Aug 2020 12:03 AM (IST) Updated:Fri, 28 Aug 2020 04:58 AM (IST)
हवाई सीमा की सुरक्षा होगी चाक-चौबंद, अक्टूबर में किया जा सकता है वायु रक्षा कमान का गठन
हवाई सीमा की सुरक्षा होगी चाक-चौबंद, अक्टूबर में किया जा सकता है वायु रक्षा कमान का गठन

नई दिल्ली, एएनआइ। लद्दाख में चीन के साथ चल रहे विवाद के बीच सैन्य मामलों के विभाग ने सुरक्षा बलों के पुनर्गठन की प्रक्रिया तेज कर दी है। इसके तहत इस साल अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक वायु सेना के तहत वायु रक्षा कमान अस्तित्व में आ सकती है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि वायु सेना अधिकारी के नेतृत्व में वायु रक्षा कमान स्थापित करने के लिए तैयारी तेज कर दी गई है। इस बात का प्रयास किया जा रहा है कि हर चीज को एक साथ लाया जाए।

आठ अक्टूबर को वायु सेना दिवस पर प्रयागराज में इसके गठन का एलान किया जा सकता है। वायु सेना के केंद्रीय कमान मुख्यालय के साथ वायु रक्षा कमान का गठन प्रस्तावित है, जो आगरा, ग्वालियर और बरेली समेत महत्वपूर्ण हवाई ठिकाने का नियंत्रण करता है। इस कवायद का मकसद तीनों सेनाओं के संसाधनों को एक साथ करना और देश की हवाई सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

वायु सेना के उप प्रमुख एयर मार्शल एचएस अरोड़ा द्वारा इस सिलसिले में अध्ययन किया गया था। उन्होंने तीनों सेनाओं की संपत्तियों को मिलाकर कमान के गठन का सुझाव भी दिया है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपित रावत के अधीन सैन्य मामलों के विभाग ने संयुक्त सैन्य कमान के गठन को भी अपनी मंजूरी दे दी है। सीडीएस संयुक्त समुद्री कमान के गठन पर भी काम कर रहे हैं। इसे केरल के कोच्चि या कर्नाटक के करवार में बनाया जा सकता है।

उधर, सरकार वायुसेना के लिए दो फाल्कन एयरबॉर्न चेतावनी एवं नियंत्रण प्रणाली (अवाक्स) खरीदने का मन बना रही है। बताया जाता है कि सरकार इस खरीद की मंजूरी देने के अंतिम चरण में है। इस पर एक अरब डॉलर (लगभग 73 अरब रुपये) के आसपास लागत आ सकती है। इस खरीद से संबंधित इजरायली अधिकारियों के साथ भारतीय अधिकारियों की नए सिरे से बातचीत हुई है। यह बातचीत ऐसे समय में हुई जब भारत का चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में सीमा को लेकर विवाद चरम पर है। 

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