एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ याचिका पर फैसला कल
कानून में अग्रिम जमानत के प्रावधान को खत्म करने को चुनौती दी गई है ।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (एससी,एसटी) (अत्याचार रोकथाम) संशोधन अधिनियम, 2018 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को फैसला सुनाएगा। इस कानून के जरिए एसटी,एसटी के खिलाफ अत्याचार के आरोपितों के लिए अग्रिम जमानत के प्रावधान को खत्म कर दिया गया है।
जस्टिस अरुण मिश्र, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस रविंद्र भट की पीठ फैसला सुनाएगी। पिछले साल अक्टूबर में पीठ ने इस कानून में केंद्र सरकार द्वारा किए गए संशोधनों को बरकरार रखने के संकेत दिए थे। केंद्र सरकार ने संशोधनों के जरिए आरोपित की तत्काल गिरफ्तारी और अग्रिम जमानत के प्रावधान को फिर से बहाल कर दिया था।
अदालत ने कहा था, 'हम किसी भी प्रावधान को हल्का नहीं कर रहे..इन प्रावधानों को खत्म नहीं किया जाएगा। कानून वैसा ही होना चाहिए जैसा वह था..उन्हें छोड़ दिया जाएगा क्योंकि यह समीक्षा याचिका और अधिनियम में संशोधनों पर फैसले से पहले था।'
अदालत ने यह भी कहा था कि वह इसको भी स्पष्ट करेगी कि पुलिस एससी,एसटी कानून के तहत की गई शिकायत पर कोई कार्रवाई करने से पहले प्राथमिक जांच कर सकती है, अगर उसे शिकायत प्रथम दृष्टया फर्जी लगती है।
सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ ने 20 मार्च, 2018 के अपने फैसले में इस कानून के तहत शिकायत पर स्वत: गिरफ्तारी के प्रावधान पर रोक लगा दी थी। साथ ही अग्रिम जमानत का प्रावधान भी जोड़ दिया था। बाद में 30 सितंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने पुराने कानून को बहाल कर दिया था। केंद्र सरकार ने कानून में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट के 20 मार्च के फैसले को पलटते हुए दोबारा पुराने कानून को लागू कर दिया था।