एशियाई शेरों को मप्र भेजने के पक्ष में नहीं गुजरात सरकार

अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ की ओर से गुजरात के गीर जंगलों से एशियाई शेरों को मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर जंगल में स्थानांतरित करने के आदेश के खिलाफ दायर पुनर्विचार अपील अदालत में विचाराधीन है। उस याचिका पर सुनवाई की उम्मीद नजर नहीं आती इसलिए गुजरात सरकार लोकायुक्त की तरह इस मामले में भी क्यूरेटिव याचिका दायर करना चाहती है।

By Edited By: Publish:Sat, 13 Jul 2013 04:07 PM (IST) Updated:Sat, 13 Jul 2013 04:08 PM (IST)
एशियाई शेरों को मप्र भेजने के पक्ष में नहीं गुजरात सरकार

अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ की ओर से गुजरात के गीर जंगलों से एशियाई शेरों को मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर जंगल में स्थानांतरित करने के आदेश के खिलाफ दायर पुनर्विचार अपील अदालत में विचाराधीन है। उस याचिका पर सुनवाई की उम्मीद नजर नहीं आती इसलिए गुजरात सरकार लोकायुक्त की तरह इस मामले में भी क्यूरेटिव याचिका दायर करना चाहती है।

गुजरात सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग व कानून मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार एशियाई शेरों को मध्यप्रदेश स्थानांतरित करने के पक्ष में कतई नहीं है। सरकार की ओर से इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दी गई सभी दलीलें अदालत ने खारिज कर शेरों के स्थानांतरण का आदेश गत 15 अप्रेल को दे दिया था। इसके बाद गुजरात सरकार ने 15 जून को अदालत में पुनर्विचार याचिका दाखिल की जिस पर अभी तक सुनवाई शुरू नहीं हुई है।

इसके अलावा गुजरात के वन विभाग के अधिकारियों ने मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर वन के पारिस्थितिकी तंत्र के संबंध में जो रिपोर्ट अदालत को दी थी वह ग्राउंड रियलीटी से विपरीत थी। गुजरात के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को इस बात की जानकारी बाद में मिली की अधिकारियों ने गांधीनगर में बैठकर ही कूनो पालपुर की पारिस्थितिकी रिपोर्ट तैयार कर अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश कर दी थी। लोकायुक्त मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार की हार हुई जिसके बाद सरकार ने क्यूरेटिव याचिका दाखिल कर दी जिससे फिलहाल फैसले पर अमल टल गया है। गुजरात सरकार अब शेरों के स्थानांतरण के मामले में भी पुनर्विचार याचिका को छोड़कर क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने के मूड में है ताकि इस मुद्दे पर वह कानून की अंतिम लड़ाई तक संघर्ष कर सके। इस मामले में वन एवं पर्यावरण मंत्री गणपत भाई वसावा खुद कानून के विशेषज्ञों से सलाह मशविरा कर रहे हैं उसके बाद यह याचिका दाखिल होगी।

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