मानसून सत्र पर भी दिखेगा कोरोना का असर, सांसदों को एंट्री के लिए पूरी करनी पड़ेगी ये शर्त

देशभर में बढ़ते कोरोना संक्रमण का असर लोकसभा और राज्यसभा के मानसून सत्र पर भी दिखाई दे रहा है।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Fri, 04 Sep 2020 02:58 PM (IST) Updated:Fri, 04 Sep 2020 02:58 PM (IST)
मानसून सत्र पर भी दिखेगा कोरोना का असर, सांसदों को एंट्री के लिए पूरी करनी पड़ेगी ये शर्त
मानसून सत्र पर भी दिखेगा कोरोना का असर, सांसदों को एंट्री के लिए पूरी करनी पड़ेगी ये शर्त

नई दिल्ली, आइएएनएस। देशभर में बढ़ते कोरोना संक्रमण का असर लोकसभा और राज्यसभा के मानसून सत्र पर भी दिखाई दे रहा है। सांसदों के लिए विशेष गाइडलाइंस जारी की गई हैं। सभी सांसदों को कोरोना टेस्ट कराना होगा। बिना कोरोना रिपोर्ट के सांसदों को एंट्री नहीं दी जाएगी।

लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय ने सांसदों, उनके निजी कर्मचारियों और संसदीय कर्मचारियों के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी करते हुए सदस्यों से अनुरोध किया गया है कि वे 11 सितंबर के बाद संसद पहुंचने से 72 घंटे पहले अपने आरटी-पीसीआर परीक्षण करवाएं। बता दें कि 14 सितंबर से संसद का मानसून सत्र शुरू होगा। इस सत्र में लगातार 18 बैठकें होंगी।

यदि सांसदों का कोरोना वायरस टेस्ट नेगेटिव आता है, लेकिन उनके अंदर किसी भी प्रकार लक्षण पाए जाते हैं तो उनका आरटी-पीसीआर परीक्षण टेस्ट किया जाएगा। इसके साथा ही सांसदों को सलाह दी गई है कि वे सत्र से पहले अपने निजी स्टाफ और परिवार का परीक्षण करवाएं। इस संदर्भ में संसद के सदस्यों को विस्तृत दिशा-निर्देश भेजे गए हैं। इस दौरान यदि कोई व्यक्तिगत कर्मचारी या परिवार के सदस्य का टेस्ट पॉजिटिव आता है थो उनका आइसोलेट रहना होगा औरअनिवार्य सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।

सांसदों के सवाल पूछने के हक में न हो कमी : कांग्रेस

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर अपील की है कि वह मानसून सत्र के दौरान सांसदों के सदन में सवाल पूछने के अधिकार में कटौती न करें और इस दौरान उन्हें मुद्दे उठाने की भी पूरी आजादी रहे। चौधरी ने शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा कि कोविड-19 के मौजूदा दौर में प्रश्नकाल और शून्यकाल की अवधि में कटौती करना निर्वाचित प्रतिनिधियों के हित में नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि संभवत: ऐसा प्रस्ताव आया है कि इस सत्र में समय की कमी के चलते इस दौरान प्रश्नकाल और शून्यकाल में कटौती की जा सकती है। ताकि इस अवधि में केवल राष्ट्रीय और जनता के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों को ही उठाया जा सके।

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