COVID-19 Outbreak: जितने ज्यादा लोग पहनेंगे मास्क उतना कम होगा संक्रमण का खतरा

COVID-19 Outbreak अब कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में मास्क सबसे अहम हथियार बन चुका है। कई शोधों ने इस पर मुहर लगाई है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Tue, 16 Jun 2020 09:39 AM (IST) Updated:Tue, 16 Jun 2020 11:45 AM (IST)
COVID-19 Outbreak: जितने ज्यादा लोग पहनेंगे मास्क उतना कम होगा संक्रमण का खतरा
COVID-19 Outbreak: जितने ज्यादा लोग पहनेंगे मास्क उतना कम होगा संक्रमण का खतरा

नई दिल्ली, जेएनएन। COVID-19 Outbreak: चीन के वुहान में कोरोना वायरस का पता लगने के बाद कुछ समय तक विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आम जनता के मास्क का प्रयोग करने का विरोध किया था। डब्ल्यूएचओ के कार्यकारी निदेशक डॉ. मिचेल रयान ने कहा था कि मास्क आपका आवश्यक रूप से बचाव नहीं करता है। इंग्लैंड के विशेषज्ञों ने भी कुछ ऐसी ही बातें दोहराई थीं, लेकिन तब से बहुत सी चीजें बदल गई हैं। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने सरकारों से कहा कि वे आम लोगों को मास्क पहनने के लिए प्रोत्साहित करें, जहां पर वायरस का व्यापक प्रसार हो और शारीरिक दूरी रखना मुश्किल हो जैसे सार्वजनिक परिवहन, दुकानों और भीड़भाड़ वाले वातावरण में। अब कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में मास्क सबसे अहम हथियार बन चुका है। कई शोधों ने इस पर मुहर लगाई है।

विभिन्न अध्ययनों ने बताया, इसलिए हर शख्स के लिए पहनना जरूरी है मास्क : मई की शुरुआत में अमेरिका में कोविड-19 से होने वाली मौतों की दर जापान के मुकाबले 50 गुना ज्यादा थीं, जबकि जापान में सबवे और व्यवयायों को फिर से शुरू कर दिया गया था। अब सवाल किया जा रहा है कि क्या ये सिर्फ इसलिए था क्योंकि जापानी मास्क पहनते हैं? हालिया कई अध्ययन बताते हैं कि मास्क वास्तव में वायरस को फैलने से रोकते हैं। अमेरिका के कंप्यूटर वैज्ञानिक डी काई ने एक शोध पत्र प्रकाशित किया है। जिसमें उन्होंने बताया है कि यदि 80 फीसद लोग मास्क पहनते हैं, तो संक्रमण की संख्या लगभग 92 फीसद गिर जाएगी। लेकिन अगर केवल 30-40 फीसद लोग मास्क पहनते हैं तो इसका कोई ज्यादा लाभकारी प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने अपने शोध में बताया कि यदि कोई घर से बाहर मास्क पहनता है, तो महामारी की दूसरी लहर से बचा जा सकता है। इसका मतलब है कि लॉकडाउन का दूसरा दौर जरूरी नहीं है। जीवन और जीविका दोनों बच जाएंगे। 

पहले भी प्रभावी था मास्क : पिछले एक सदी से अधिक का अनुभव बताता है कि मास्क संक्रमण रोकने में प्रभावी है। लैंसेट के मुताबिक, जीवाणु विज्ञानी कार्ल फ्लग ने 1890 के दशक में प्रदर्शित किया था कि श्वसन की बूंदों में बैक्टीरिया होते हैं। 1897 में, उनके सहयोगी और सर्जन जोहान मिकुलिक्ज ने ऑपरेशन के दौरान मास्क का उपयोग शुरू किया। 1935 तक लगभग सभी सर्जन चेहरे पर मास्क पहनने लगे। सीएनएन की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, 1910-1911 के मंचूरियन प्लेग के दौरान मास्क को प्रभावी माना गया। 1918-20 के स्पेनिश फ्लू महामारी के दौरान सैन फ्रांंसिस्को ने मास्क को अनिवार्य कर दिया था। ऐसा नहीं करने वालों को 5-100 डॉलर का जुर्माना और 10 दिनों की जेल की सजा का सामना करना पड़ा।

जोखिम को कम करता है मास्क : आयोवा विश्वविद्यालय के शोध से पता चलता है कि मास्क के चलते खांसी से पैदा होने वाली 90 फीसद बूदों का जोखिम कम हो जाता है। मास्क के और भी कई फायदे हैं। यह सांस की बूंदों को आपकी आंखों तक पहुंचने से रोकते हैं। यह सुनिश्चित करता हैं कि आप हाथों से अपना चेहरा नहीं छू सकते। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आप संक्रमित हैं, तो एक मास्क आपकी सांस की बूंदों को बाहर निकलने से रोकने में मददगार साबित होगा।

शारीरिक दूरी से बेहतर : न्यूयॉर्क में 17 अप्रैल को मास्क पहनना अनिवार्य किया गया। रायटर ने अमेरिका के द प्रोसेडिंग ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि दैनिक संक्रमण की दर में 3 फीसद की गिरावट दर्ज की गई। मास्क के कारण 9 मई तक तीन सप्ताह में 66 हजार संक्रमण के नए मामले रोके गए। उत्तरी इटली में मास्क पहनने को अनिवार्य किए जाने के बाद 6 अप्रैल से 9 मई के मध्य 78 हजार मामले रोके गए। इन इलाकों में शारीरिक दूरी पहले से ही रखी जा रही थी। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए मास्क पहनना शारीरिक दूरी से ज्यादा प्रभावी है। उनका कहना है कि वायरस सांस के जरिए फैलता है, जो संक्रमण का प्रमुख कारक है। यह संक्रमण में अवरोधक बनता है। यह हमारे लिए सबसे अच्छी रक्षा हो सकती है, लेकिन डब्ल्यूएचओ इसे पर्याप्त नहीं मानता है। इसे अन्य उपायों के साथ अपनाया जाना चाहिए।

chat bot
आपका साथी