देश में हर 15 में एक आदमी कोरोना संक्रमित, सर्दियों में घातक हो सकता है कोविड-19: आइसीएमआर

यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुका है कि समय के साथ-साथ कोरोना का एंटीबॉडी खत्म हो जाता है। यानी बहुत सारे लोग ऐसे भी हो सकते हैं जो कोरोना से संक्रमित हुए लेकिन सर्वे के समय उनका एंटीबॉडी खत्म हो चुका होगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Tue, 29 Sep 2020 08:23 PM (IST) Updated:Tue, 29 Sep 2020 08:23 PM (IST)
देश में हर 15 में एक आदमी कोरोना संक्रमित, सर्दियों में घातक हो सकता है कोविड-19: आइसीएमआर
महिला, पुरुष, बच्चे, युवा और बुजुर्ग को समान रूप से संक्रमित।

नीलू रंजन, नई दिल्ली। अगस्त के अंत तक देश में हर 15वां व्यक्ति कोरोना के संक्रमण का शिकार हो चुका है। शहरी इलाकों में संक्रमण ज्यादा है, वहीं ग्रामीण इलाके में संक्रमण अपेक्षाकृत कम है। आइसीएमआर के दूसरे सीरो सर्वे में यह खुलासा हुआ है। आइसीएमआर के महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने सोशल डिस्टेसिंग के नियमों की कड़ाई से पालन की जरूरत बताते हुए कहा कि देश में अब भी बहुत बड़ी आबादी ऐसी है, जिसे संक्रमण का खतरा बना हुआ है।

17 अगस्त से 22 सितंबर तक किये गए सर्वे में 6.6 फीसद लोगों में कोरोना वायरस के एंटीबॉडी मिले

सर्वे के रिपोर्ट की जानकारी देते हुए डॉक्टर भार्गव ने कहा कि 17 अगस्त से 22 सितंबर तक किये गए सर्वे में 6.6 फीसद लोगों में कोरोना वायरस के एंटीबॉडी मिले हैं। वैसे संक्रमण की दर शहरों में स्लम और गैर-स्लम इलाकों और ग्रामीण इलाकों में अलग-अलग पाई गई है। शहरी स्लम कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है और यहां 15.6 फीसद लोगों में इसके एंटीबॉडी पाये गए हैं। जबकि शहरी गैर-स्लम इलाके में 8.2 फीसदी लोगों में और ग्रामीण इलाके में केवल 4.4 फीसद लोगों में कोरोना के एंटीबॉडी मिले हैं। ध्यान देने की बात है कि इसके पहले 11 मई से चार जून तक किये गए सिरो सर्वे में 0.73 फीसदी लोगों में ही कोरोना के एंटीबॉडी मिले थे।

कोरोना वायरस महिलाओं, पुरुषों, बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों में समान रूप से फैलता: आइसीएमआर

दूसरे सीरो सर्वे ने कोरोना वायरस को लेकर फैलाई जा रही कई भ्रांतियों को ध्वस्त कर दिया है। डॉक्टर बलराम भार्गव के अनुसार सर्वे में साफ देखा गया है कि यह वायरस महिलाओं, पुरुषों, बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों में समान रूप से फैलता है। पिछले सर्वे में सिर्फ 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को शामिल किया गया था, लेकिन इस बार 10 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को सर्वे में शामिल किया गया। यदि 18 साल से अधिक उम्र में देखें तो औसतन 7.1 फीसद लोग संक्रमित पाए हैं, लेकिन 10 साल से अधिक उम्र के पैमाने पर संक्रमण की दर 6.6 फीसद है।

हर कोरोना पोजिटिव मरीज की तुलना में 28 से 32 व्यक्ति ही संक्रमित पाए गए: सीरो सर्वे

सीरो सर्वे की रिपोर्ट से कोरोना की बढ़ी टेस्टिंग की अहमियत भी साबित होती है। पहले सिरो सर्वे में टेस्ट में मिले हर एक कोरोना पोजिटिव मरीज की तुलना में 81 से 130 लोगों को संक्रमित पाया गया था, लेकिन दूसरे सिरो सर्वे में यह दर घटकर 28 से 32 रह गई है। यानी हर कोरोना पोजिटिव मरीज की तुलना में 28 से 32 व्यक्ति ही संक्रमित पाए गए हैं। नीति आयोग के सदस्य और कोरोना की वैक्सीन के लिए गठित उच्चाधिकार समूह के प्रमुख डाक्टर वीके पॉल ने कहा कि यह कोरोना की बड़ी संख्या में टेस्टिंग के कारण संभव हो पाया है।

समय के साथ-साथ कोरोना का एंटीबॉडी खत्म हो जाता है: आइसीएमआर

दूसरा सिरो सर्वे भी उन्हीं 70 जिलों के 700 गांव और शहरी मुहल्लों में किये गए, जहां पहला सिरो सर्वे किया गया था। यहां 29,082 लोगों के खून के नमूने लिये गए और उनमें कोरोना वायरस के एंटीबॉडी की जांच की गई। इस बात खास ध्यान रखा गया कि पिछले सिरो सर्वे में शामिल लोगों को छोड़कर दूसरे लोगों के नमूने लिए जाए। लेकिन सर्वे में एक पेंच फंसा हुआ है, जिसका उत्तर फिलहाल आइसीएमआर के पास भी नहीं है। यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुका है कि समय के साथ-साथ कोरोना का एंटीबॉडी खत्म हो जाता है। यानी बहुत सारे लोग ऐसे भी हो सकते हैं, जो कोरोना से संक्रमित हुए, लेकिन सर्वे के समय उनका एंटीबॉडी खत्म हो चुका होगा। ऐसे लोग सर्वे में संक्रमित नहीं पाए गए होंगे। डाक्टर बलराम भार्गव ने कहा कि फिलहाल यह अध्ययन किया जा रहा है कि कोरोना का एंटीबॉडी कितने समय तक किसी व्यक्ति में रहता है।

सर्दियों में घातक बन सकता है कोरोना का संक्रमण

सर्दियों में कोरोना का खतरा बढ़ सकता है और इसके संकेत मिलने भी शुरू हो गए हैं। डाक्टर वीके पॉल के अनुसार अस्पतालों में कुछ ऐसे मरीज आ रहे हैं, जिनकी स्थिति कोरोना के संक्रमण के कारण गंभीर हो गई है। डॉक्टर पॉल के अनुसार सर्दी-खांसी की बीमारियों में यह एक सामान्य बात है। गर्मियों में जब किसी को सर्दी-खांसी होती है और सामान्य रूप से ठीक भी हो जाती है। लेकिन सर्दियों के मौसम में वही गंभीर रूप धारण कर लेता है। चूंकि कोरोना वायरस भी एक सांस से संबंधित सर्दी-खांसी जैसी बीमारी है, इसीलिए सर्दियों के मौसम में मरीजों की स्थिति गंभीर होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आइसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय इस पर नजर रखे हुए हैं।

कोरोना से बचने के लिए लोग पांच महीने विशेष सावधानी बरतें

डॉक्टर वीके पॉल के अनुसार सर्दी के मौसम के साथ ही दूसरा खतरा आने वाले त्यौहारों का है। जब बड़ी संख्या में लोग एक-दूसरे से मिलेंगे और इससे वायरस के फैलने का खतरा बढ़ जाएगा। उन्होंने लोगों से अगले पांच महीने तक विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी।

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