सबूतों के अभाव में दो कथित आतंकी बरी, कोर्ट ने कहा मामला फर्जी

नई दिल्ली [राज्य ब्यूरो]। वर्ष 200

By Edited By: Publish:Fri, 27 Sep 2013 10:43 AM (IST) Updated:Fri, 27 Sep 2013 10:44 AM (IST)
सबूतों के अभाव में दो कथित आतंकी बरी, कोर्ट ने कहा मामला फर्जी

नई दिल्ली [राज्य ब्यूरो]। वर्ष 2009 में स्वतंत्रता दिवस से पूर्व हिजबुल मुजाहिदीन संगठन के जिन दो कथित आतंकियों को गिरफ्तार कर पुलिस ने हथियार और विस्फोटक बरामद किए थे। उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस तीस हजारी कोर्ट में ऐसे पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाई, जिससे उन्हें आतंकी साबित किया जा सके। लिहाजा, अदालत ने मामले में दिल्ली पुलिस को करारा झटका देते हुए आरोपी जावेद अहमद तांत्रे और आशिक अली भट को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इन दोनों पर आरोप था कि पाकिस्तान स्थित हिजबुल मुजाहिदीन के चीफ सईद सलाउद्दीन के इशारे पर 15 अगस्त को आतंकी घटना को अंजाम देने की साजिश रची थी।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अतुल कुमार गर्ग ने फैसले में कहा कि केस में मौजूद तथ्यों को देखते हुए इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता कि यह पूरा मामला पुलिस द्वारा प्लांट किया गया था। पुलिस की कहानी संदेहपूर्ण है और सिवाय दलीलों के उनके पास कुछ नहीं है। बता दें कि दिल्ली पुलिस ने जावेद अहमद तांत्रे और आशिक अली भट को 6 अगस्त, 2009 को दरियागंज के पास से गिरफ्तार किया था। इनके पास से एके-47 और विस्फोटक बरामद किए गए थे। पुलिस का कहना था कि यह दोनों पाकिस्तान से नेपाल के रास्ते भारत आए थे। उसके बाद चोरी की कार से जम्मू से दिल्ली आए, ताकि 15 अगस्त को आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे सकें।

पुलिस का दावा था कि इनके पास से दो एके-47, मैगजीन व हैंड ग्रेनेड मिले थे। सुनवाई के दौरान इनके वकील एमएस खान ने दलील दी कि पुलिस ने वाहवाही बटोरने के लिए इन दोनों को फंसाया था। ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे इनका किसी आतंकी संगठन से संबंध स्थापित किया जा सके। जिस कार में आरोपियों के जम्मू से दिल्ली आने की बात कही गई है, टोल प्लाजा की एंट्री के अनुसार, कोई व्यक्ति उस कार को सुबह जम्मू लेकर गया था और बाद में वापस दिल्ली लाया था। बाद में इस कार को आरोपियों के पास दिखा दिया गया।

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