Coronavirus: वुहान में फंसे भारतीयों के लिए देवदूत बनी टीम एयर इंडिया, जानें कैसे किया रेस्क्यू

एयर इंडिया के कुछ जांबाजों ने चीन के वुहान शहर में जाकर भारतीय नागरिकों को वापस लाने में सफलता हासिल की।

By Ayushi TyagiEdited By: Publish:Sun, 09 Feb 2020 08:59 AM (IST) Updated:Sun, 09 Feb 2020 08:59 AM (IST)
Coronavirus: वुहान में फंसे भारतीयों के लिए देवदूत बनी टीम एयर इंडिया, जानें कैसे किया रेस्क्यू
Coronavirus: वुहान में फंसे भारतीयों के लिए देवदूत बनी टीम एयर इंडिया, जानें कैसे किया रेस्क्यू

नई दिल्ली, नेशनल डेस्क। आज कोरोना वायरस का नाम सुनते ही लोगों में डर बैठ जाता है। अब आप सोच सकते हैं कि जब इस वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित चीन के वुहान शहर में जाने की बात हो तो किसी का क्या हाल होगा, लेकिन एयर इंडिया के कुछ जांबाजों ने वहां जाकर न सिर्फ भारतीय नागरिकों को वापस लाने में सफलता हासिल की, बल्कि अपने कर्तव्य को भी पूरा किया। 

बचाव दल में कुल 34 सदस्य थे शामिल 

इस पूरी प्रक्रिया के इंचार्ज और एयर इंडिया के डायरेक्टर ऑपरेशंस अमिताभ सिंह ने बताया कि इस बचाव दल में कुल 34 सदस्य शामिल थे। अमिताभ सिंह ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि जब हम वुहान पहुंचे तो ऐसा लगा जैसे हम किसी ऐसे शहर में पहुंच गए हैं जहां का सर्वनाश हो चुका है और भूतों का बसेरा है। शुरू में यह किसी अन्य उड़ान की तरह था और वायुमार्ग व्यस्त थे, लेकिन जब हम नीचे उतरने लगे तो सन्नाटा हम पर मंडराने लगा। हवाई अड्डे पर खामोशी छाई हुई थी। सभी विमानों को पार्क कर सील कर दिया गया था।सड़कें खाली थीं।

दो दिन पहले दी गई थी जानकारी 

अमिताभ के मुताबिक, पांच पायलट और 15 केबिन क्रू को निर्धारित प्रस्थान से दो-तीन दिन पहले वुहान से भारतीयों को निकालने के मिशन के बारे में बताया गया। उड़ान से एक दिन पहले, पायलट और केबिन क्रू को मिशन की विस्तृत जानकारी दी गई। एयरलाइन ने चालक दल और सहायक कर्मचारियों के लिए मेडिकेटेड सूट, सुरक्षात्मक जूते, दस्ताने, एन-35 मास्क, चश्मा और टोपी की भी खरीदारी की थी।

वीवीआइपी विमान का किया गया इस्तेमाल

मिशन को अंजाम देने के लिए बोइंग 747 विमान का इस्तेमाल किया गया, जिसे आमतौर पर वीवीआइपी के लिए सुरक्षित रखा जाता है। यह विमान दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से 31 जनवरी की दोपहर 12.30 बजे वुहान के लिए रवाना हुआ।

इसमें अतिरिक्त ईंधन, स्पेयर पार्ट्स और पर्याप्त भोजन-पानी की व्यवस्था भी की गई। जंबो नाम से मशहूर इस विमान को इसलिए चुना गया था क्योंकि यह एक डबल डेकर विमान है, जिसमें एक साथ 423 यात्री बैठ सकते हैं। टीम में शामिल एक अन्य पायलट ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उसने अपने परिवार को इस मिशन में अपनी भूमिका के बारे में नहीं बताया था। चार घंटे की लंबी उड़ान के बाद जंबो वुहान में उतरा, लेकिन उसे यात्रियों के लिए करीब आठ घंटे का लंबा इंतजार करना पड़ा।


विमान दल के लोग हुए चिंतित

इस दौरान विमान दल के लोग काफी चिंतित दिखे कि आखिर यह देरी क्यों हो रही है। इस बारे में अमिताभ सिंह ने बताया कि दरअसल, चीनी अधिकारियों ने एयर इंडिया के विमान के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के बाद ही छात्रों को भारतीय वाणिज्य दूतावास के लिए अपने होटल और हॉस्टल से जाने की अनुमति दी। विमान के वुहान पहुंचने के बाद ही छात्रों को हवाई अड्डे तक जाने की अनुमति दी गई, जिस कारण यह देरी हुई। चीनी अधिकारियों से समन्वय का काम अमिताभ सिंह के पास ही था।

इन लोगों ने किया उड़ान का संचालन

उड़ान का संचालन कैप्टन कमल मोहन, कैप्टन संजय अचलकर, कैप्टन एस.एच. रेजा, कैप्टन भूपेश नारायण ने किया। केबिन क्रू टीम का नेतृत्व मंजू तंवर कर रही थीं। फ्लाइट में मौजूद तीन डॉक्टरों और चार नर्सिग स्टाफ की टीम ने सभी 324 यात्रियों के तापमान को मापा और यात्रियों को बोर्ड करने की अनुमति देने से पहले उन्हें मास्क पहनना सिखाया।

विमान के अंदर बरती गईं सावधानियां 

विमान के अंदर जोखिम को कम करने के लिए कई तरह की सावधानियां बरती गईं। सभी यात्रियों को इकोनॉमी क्लास में बैठाया गया। इंजीनियर और डॉक्टर आगे के सेक्शन में फस्र्ट क्लास में थे, जबकि अतिरिक्त केबिन क्रू और कमर्शियल स्टाफ को ऊपरी डेक पर एक्जेक्यूटिव क्लास में जगह दी गई। पायलट को कॉकपिट तक ही सीमित रखा गया। यह उड़ान एक फरवरी की सुबह 7.30 बजे नई दिल्ली लौटी, जहां स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रलय के अधिकारी और सेना व भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के कर्मचारी तैनात थे।

यात्रियों को फौरन उतारा गया और चिकित्सकीय जांच के बाद उन्हें विशेष बस से कैंप तक पहुंचाया गया। इसके बाद एयर इंडिया की इस टीम के कई सदस्य फिर से वुहान जाने की तैयारी में जुट गई क्योंकि उन्हें बाकी बचे लोगों को भी वापस लाना था।

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