Coronavirus News Update: आठ फीसद ने देश के दो तिहाई लोगों को किया कोरोना संक्रमित

शोध में पाया गया कि इन दोनों राज्यों में मौत से पूर्व औसतन 5 दिन अस्पताल में बिताते हैं जबकि अमेरिका में यह 13 दिन है। कोविड-19 से मरने वालों में 63 फीसद लोगों में कम से कम एक बीमारी थी वहीं 36 फीसद में दो या दो से अधिक।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Fri, 02 Oct 2020 08:57 AM (IST) Updated:Fri, 02 Oct 2020 12:51 PM (IST)
Coronavirus News Update: आठ फीसद ने देश के दो तिहाई लोगों को किया कोरोना संक्रमित
भारत और अन्य विकासशील देशों में अभी कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। कोरोना से संक्रमित आठ फीसद लोगों ने देश के कुल दो तिहाई लोगों को संक्रमित किया है। इसका अर्थ है कि देश के कुल 63 लाख संक्रमित व्यक्तियों में से करीब 42 लाख लोगों के लिए सुपर स्प्रेडर्स जिम्मेदार हैं। ये वो लोग होते हैं जो कि सामान्य संक्रमित व्यक्ति की तुलना में जाने-अनजाने रूप में वायरका संक्रमण ज्यादा लोगों तक पहुंचाते हैं। प्रतिष्ठित पत्रिका साइंस में प्रकाशित शोध के मुताबिक, देश में सुपर स्प्रेडर्स सार्वजनिक परिवहन जैसे माध्यमों के जरिये वायरस का बड़े पैमाने पर प्रसार करते हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग के सबसे बड़े शोध में यह भी बताया गया है कि बच्चे कोरोना वायरस के प्रसार की कुंजी हैं। वहीं 70 फीसद लोगों ने किसी को संक्रमित नहीं किया।

पांच लाख से अधिक लोगों पर हुए अध्ययन से आए नतीजे

तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा किए शोध में पाया गया कि देश में कोविड-19 संक्रमित रोगियों में से 70 फीसद से अधिक ने किसी भी व्यक्ति को संक्रमित नहीं किया, जबकि आठ फीसद संक्रमित व्यक्तियों ने 60 फीसद लोगों को संक्रमित किया। भारत में पांच लाख से अधिक लोगों के अध्ययन में पाया गया कि अधिक आय वाले देशों की तुलना में संक्रमण और मौतें 40-69 आयु समूह में बहुत अधिक केंद्रित हैं। शोध में 5,75,071 व्यक्तियों में संक्रमण की प्रकृति और प्रवृत्ति आकलन किया। जिसमें दो राज्यों में 84,965 लोगों के संपर्क में आने की पुष्टि हुई।

समान आयु का साथ बढ़ाता है जोखिम

शोधकर्ताओं ने उन बच्चों में अधिक संक्रमण पाया जो कि अपनी ही उम्र के अन्य बच्चों के संपर्क में थे। शोधकर्ताओं का कहना है कि समान आयु के लोगों के साथ से जोखिम का खतरा अधिक होता है। यह 14 साल तक के बच्चों और 65 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों में अधिक देखा गया है। शोध के अनुसार, संक्रमित लोगों की संख्या के मामले में मृत्यु का अनुपात (सीएफआर) 5-17 साल की आयु में 0.05 फीसद और 85 साल की आयु में 16.6 फीसद तक फैला है।

स्वास्थ्य सेवाओं में हैं बाधाएं

भारत और अन्य विकासशील देशों में अभी कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। शोध के लेखक और सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इकोनामिक एंड पॉलिसी के डायरेक्टर रामानन लक्ष्मीनारायण ने महामारी से जुड़े ज्यादातर अध्ययन अभी चीन, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में ही हुए हैं। उन्होंने कहा कि इन देशों की स्वास्थ्य सेवाओं में बाधाएं अधिक हैं। इसके अतिरिक्त गंभीर रूप से बीमार और कोविड-19 से मरने वाले लोगों का जोखिम भी अधिक है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग के जरिये जुटाया आंकड़ा

इस अध्ययन के लिए डाटा भारत में लॉकडाउन के दौरान कांटेक्ट ट्रेसिंग के जरिये जुटाया गया था। उस वक्त बड़ी संख्या में लोगों के एकत्रित होने पर प्रतिबंध था, स्कूल बंद थे और लोगों को सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनने के आदेश थे। करीब 13 करोड़ लोग इन दो राज्यों में रहते हैं और यह देश की आबादी का करीब 10 फीसद है।

लंबे समय तक संपर्क बंद

शोध में पाया गया कि इन दोनों राज्यों में मौत से पूर्व औसतन 5 दिन अस्पताल में बिताते हैं, जबकि अमेरिका में यह 13 दिन है। कोविड-19 से मरने वालों में 63 फीसद लोगों में कम से कम एक बीमारी थी, वहीं 36 फीसद में दो या दो से अधिक। साथ ही मरने वालों में 45 फीसद मधुमेह से पीड़ित थे।

प्रति संक्रमण 80 कांटेक्ट का पता लगाया

आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु ऐसे राज्य हैं, जहां पर सबसे बड़ी स्वस्थ श्रमशक्ति है और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति खर्च सबसे अधिक है। साथ ही ये राज्य अपनी प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जाने जाते हैं। लक्ष्मीनारायण ने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों ने हर संक्रमण के मामले के पीछे 80 से अधिक संपर्को का पता लगाया। इसके लिए एचआइवी और टीबी प्रसारित करने वालों का पता लगाने के लिए इस्तेमाल संसाधनों और कौशल का उपयोग किया गया।

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