Corona Vaccination: अब टीकाकरण की रफ्तार बनाए रखना बड़ी चुनौती, राज्यों को भी दिखानी होगी सक्रियता

कोरोना वैक्सीन की 88 लाख से अधिक डोज लगाकर भारत ने भले ही टीकाकरण का नया रिकार्ड बनाया हो लेकिन प्रतिदिन 60-65 लाख डोज लगाने की रफ्तार को बनाए रखना बड़ी चुनौती होगी। सच्चाई यह है कि यही रफ्तार अपेक्षित है और इसे पाना ही उपलब्धि होगी।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 09:16 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 09:16 PM (IST)
Corona Vaccination: अब टीकाकरण की रफ्तार बनाए रखना बड़ी चुनौती, राज्यों को भी दिखानी होगी सक्रियता
लोगों में वैक्सीन के प्रति उदासीनता के खतरे से भी निपटना होगा (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सोमवार को एक दिन में कोरोना वैक्सीन की 88 लाख से अधिक डोज लगाकर भारत ने भले ही टीकाकरण का नया रिकार्ड बनाया हो, लेकिन प्रतिदिन 60-65 लाख डोज लगाने की रफ्तार को बनाए रखना बड़ी चुनौती होगी। सच्चाई यह है कि यही रफ्तार अपेक्षित है और इसे पाना ही उपलब्धि होगी। इसके लिए न सिर्फ सरकार को वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता लगातार सुनिश्चित करनी होगी, बल्कि साथ ही टीकाकरण के लिए लोगों को जागरूक भी बनाए रखना होगा और राज्यों को सक्रियता भी दिखानी होगी। वैसे जून-जुलाई में टीके की उपलब्धता को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी प्रतिदिन औसतन 50-55 लाख से अधिक डोज दिए जाने को लेकर आशान्वित हैं।

वैक्सीन की उपलब्धता के साथ ही राज्यों को भी दिखानी होगी सक्रियता

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया कि वैक्सीन की आपूर्ति सीमित होने के कारण 88 लाख डोज प्रतिदिन की रफ्तार को बनाए रखना संभव नहीं होगा। इसमें जरूर कमी आएगी, लेकिन उसके बावजूद आने वाले दिनों में 50 लाख डोज प्रतिदिन का औसत बना रहेगा। उनके अनुसार जुलाई में वैक्सीन की सप्लाई बढ़ने के साथ-साथ प्रतिदिन लगनी वाली डोज में बढ़ोतरी होगी। उनके अनुसार पहले जुलाई में 16 से 18 करोड़ डोज सप्लाई होनी थी, लेकिन अब 22 से 24 करोड़ डोज सप्लाई होने की उम्मीद है। इसकी मदद से जुलाई में प्रतिदिन औसतन 70 से 77 लाख डोज दी जा सकती है। अधिकारी ने कहा कि अगस्त से वैक्सीन की उपलब्धता और भी बढ़ जाएगी, उसके बाद प्रतिदिन एक करोड़ डोज का आंकड़ा पार सकता है।

आसानी से लगाई जा सकती है इतनी बड़ी संख्या में वैक्सीन

अधिकारी के अनुसार सोमवार को 88 लाख डोज का आंकड़ा पार होने से साफ हो गया है कि देश में इतनी बड़ी संख्या में वैक्सीन आसानी से लगाई जा सकती है। इसमें भी 64 फीसद से ज्यादा टीके ग्रामीण क्षेत्रों में लगाए गए हैं। सोमवार के टीकाकरण में निजी क्षेत्र का योगदान आठ फीसद का रहा। 92 फीसद वैक्सीन की सप्लाई केंद्र ने किया था। जबकि कुल वैक्सीन उत्पादन का 25 फीसद निजी क्षेत्र को जाता है। 

व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जाएगा

वैक्सीन की उपलब्धता और उसकी आपूर्ति प्रणाली तैयार होने के बावजूद स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों में लोगों में इसके प्रति उदासीनता बढ़ने का डर भी सता रहा है। कोरोना टीकाकरण के पहले दो-ढाई महीने में यह देखने को मिला था। यहां तक कि डाक्टर और नर्स भी वैक्सीन लगाने से परहेज कर रहे थे। अप्रैल में दूसरी लहर के तेज पकड़ने के बाद लोग टीका लगवाने के लिए आगे आने लगे, लेकिन संक्रमण के घटने के साथ-साथ उदासीनता बढ़ने का खतरा भी बढ़ गया है। इससे निपटने के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाने की तैयारी है। राज्यों से इसके लिए धर्मगुरुओं और जनप्रतिनिधियों से लेकर समाज के प्रमुख लोगों को जोड़ने को कहा गया है।

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