Corona Frontline Warriors : आठ साल के लाड़ले से पांच माह से दूर हैं रतलाम के डॉक्टर दंपती

लगभग सालभर पहले ही रतलाम आए शर्मा दंपती ने घर में सीसीटीवी कैमरा लगाकर उसे मोबाइल से जोड़ लिया है। इससे वे ऐश्वर्य पर नजर रखते हैं और उसे भी इसे ऑपरेट करना सिखा दिया है। इसके जरिए वे अस्पताल में रहने के दौरान लगातार उससे बातें करते रहते हैं।

By Tilak RajEdited By: Publish:Mon, 21 Sep 2020 08:38 PM (IST) Updated:Mon, 21 Sep 2020 08:38 PM (IST)
Corona Frontline Warriors : आठ साल के लाड़ले से पांच माह से दूर हैं रतलाम के डॉक्टर दंपती
रतलाम के डॉक्टर दंपती अपने बेटे ऐश्वर्य वर्धन को दूर से निहारते हुए

रतलाम, विनोद शुक्ल। 'हमारा आठ साल का बेटा है, पांच माह से घर पर अकेला रहता है। रात को घर लौटने पर भी उसे खिला नहीं सकते, गोद में नहीं उठा सकते। पास आने को मचले तो दूर कर देना पड़ता है। रोता है तो दिल पर पत्थर रखकर उसे दूर से ही बाय कहकर हम लोग निकल पड़ते हैं।'

यह पीड़ा है मध्य प्रदेश के रतलाम के सरकारी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर दंपती डॉ. सारिका और सुधांशु शर्मा की, लेकिन इससे ऊपर उन्होंने परपीड़ा को रखा। कोरोना संक्रमणकाल में दोनों की ड्यूटी लगी। चाहते तो बच्चा छोटा होने का हवाला देकर इससे किनारा कर सकते थे, लेकिन उन्होंने बेटे ऐश्वर्य वर्धन को अकेले घर पर रहना सिखाया।

पेशे से दंत चिकित्सक और वर्तमान में फीवर क्लीनिक व सैंपलिंग में जुटी डॉ. सारिका कहती हैं, 'कोविड के शुरुआती दौर में तो हमें होटल में आइसोलेट रहना पड़ा। उस समय रात में आकर घर के बाहर से उसे देख जाते थे। यह सिलसिला करीब दस दिन तक चलता रहा। इस दौरान बेटा घर पर अकेला ही रहा। उसके खाने व अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति बाहर से रहकर ही की थी। अब हम घर तो लौटते हैं, लेकिन ऐश्वर्य को अपने पास नहीं बुला पाते हैं। उसके लिए खाना, मनोरंजन और पढ़ाई के इंतजाम कर हम रोज सुबह निकल जाते हैं। लाड़ले को अपने से दूर रखने पर तकलीफ तो होती है, लेकिन राष्ट्र सेवा का इससे बड़ा मौका नहीं मिल सकता। आशा करती हूं हमारी इस सेवा की कद्र समझकर कल हमारा बेटा भी हमारे जैसा ही बनेगा।

सीसीटीवी कैमरे को मोबाइल से जोड़कर रखते हैं निगरानी

लगभग सालभर पहले ही रतलाम आए शर्मा दंपती ने घर में सीसीटीवी कैमरा लगाकर उसे मोबाइल से जोड़ लिया है। इससे वे ऐश्वर्य पर नजर रखते हैं और उसे भी इसे ऑपरेट करना सिखा दिया है। इसके जरिए वे अस्पताल में रहने के दौरान भी लगातार उससे बातें करते रहते हैं, ताकि उसे डर न लगे।

दिल्ली में डे बोर्डिंग में रखा था

डॉ. सारिका बताती हैं कि हमने दिल्ली में रहने के दौरान ऐश्वर्य को डे-बोर्डिंग में रखा था। जब ऐश्वर्य छह साल का था, तब हम गुरुग्राम शिफ्ट हो गए थे। वहां अस्पताल कैंपस में ही रहते थे और ड्यूटी जाते वक्त ऐश्वर्य को घर पर ही छोड़ जाते थे। बीच-बीच में आकर देख भी जाते थे, लेकिन इस बार ज्यादा समय का अलगाव हुआ, जो कठिन है, लेकिन वह धीरे-धीरे तैयार हो गया है।

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