आरएसएस जैसा काडर बनाएगी कांग्रेस

लोकसभा चुनाव में मिली शिकस्त के बाद भी कांग्रेस में प्रयोगों का सिलसिला शायद ही थमे। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की टीम उपचुनावों में गठबंधन से मिले सकारात्मक नतीजों से बहुत प्रभावित नहीं है। बिहार के जिस गठबंधन के सहारे भाजपा या मोदी सरकार पर कांग्रेस को हमले का मौका मिला है, टीम राहुल उसमें कांग्रेस के पिछल

By Edited By: Publish:Sun, 31 Aug 2014 08:36 PM (IST) Updated:Mon, 01 Sep 2014 08:03 AM (IST)
आरएसएस जैसा काडर बनाएगी कांग्रेस

नई दिल्ली [राजकिशोर]। लोकसभा चुनाव में मिली शिकस्त के बाद भी कांग्रेस में प्रयोगों का सिलसिला शायद ही थमे। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की टीम उपचुनावों में गठबंधन से मिले सकारात्मक नतीजों से बहुत प्रभावित नहीं है। बिहार के जिस गठबंधन के सहारे भाजपा या मोदी सरकार पर कांग्रेस को हमले का मौका मिला है, टीम राहुल उसमें कांग्रेस के पिछलग्गू होने का खतरा देख रही है। धर्मनिरपेक्षता की बी या सी टीम बनने के बजाय कांग्रेस की टीम राहुल पूरे देश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तरह काडर आधारित पार्टी बनाने का प्रस्ताव लेकर आई है। संघ की शाखाओं की तरह टीम राहुल अपने इन चौकीदारों या प्रहरियों के सहारे गांव-गांव चौपाल सजाने का सपना बुन रही है।

गठजोड़ में पिछलग्गू नहीं

लोकसभा नतीजों के बाद कांग्रेस में अंदरखाने भिड़ंत तेज हो चुकी है। वरिष्ठ या पुराने नेता इन नतीजों के लिए टीम राहुल के अजब-गजब प्रयोगों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वहीं राहुल गांधी की टीम नतीजों से अविचलित है। कांग्रेस उपाध्यक्ष के सिपहसालार 44 सीटों से 440 तक जाने की हुंकार भर रहे हैं। खांटी कांग्रेसी इन शेखचिल्ली दावों पर खीझ रहे हैं। हालिया हुए उपचुनावों के नतीजों के बाद पुराने कांग्रेसियों को लगा कि अब टीम राहुल 'व्यवहारिकता की धरातल' पर उतरेगी। खुद कांग्रेस उपाध्यक्ष भी यह समझेंगे कि अब जरूरत संघ-भाजपा विरोधी सियासी एकजुटता की है। इससे उलट टीम राहुल ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता की बी या सी टीम नहीं बन सकती। वे भागलपुर के उपचुनावों की जीत को गठबंधन नहीं, बल्कि कांग्रेस की जीत मान रहे हैं। उनका कहना है कि यदि कोई धर्मनिरपेक्षता विरोधी मोर्चा बनना है तो उसकी अगुवाई कांग्रेस करे और वह केंद्र में रहे।

काडर बनाने का प्रस्ताव

राहुल ने बुजुर्गो की जवान होती इन उम्मीदों को जमींदोज कर दिया है। लोकसभा चुनाव में हार के लिए वह और उनकी टीम अपने फैसलों और नेतृत्व की कमी को मानने को तैयार नहीं। जयराम रमेश, मोहन गोपाल और मधुसूदन मिस्त्री जैसे अपने विश्वस्तों को साथ लेकर राहुल गांधी सवा सौ साल पुरानी पार्टी को आमूल-चामूल बदलने पर उतारू हैं। सूत्रों के मुताबिक, राहुल की रमेश-गोपाल-मिस्त्री त्रयी ने एक नया प्रस्ताव दिया है। कांग्रेस को काडर आधारित पार्टी बनाने का। इसका जिक्र जयपुर में हुए उपाध्यक्ष पद पर ताजपोशी के समय खुद राहुल गांधी कर चुके हैं। राहुल को दर्द है कि उनकी पार्टी आखिरकार क्यों नहीं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ या वामपंथियों की तरह काडर आधारित हो। वह ऊपर से आए या थोपे गए नेतृत्व की व्यवस्था के खिलाफ हैं। भले ही उनकी खुद की ताजपोशी पैराशूट से हुई हो, लेकिन अब वह काडर आधारित पार्टी बनाने का विचार रखते हैं।

गांव-गांव चौपाल

काडर आधारित पार्टी के लिए प्रस्ताव में गांव निशाने पर हैं। योजना है कि ग्राम पंचायतों से लेकर तहसीलों तक कांग्रेस के चौकीदार नियुक्त किए जाएं। जैसे संघ स्वयंसेवक बनाता है। हालांकि, संघ में तो पूर्णकालिक प्रचारक होते हैं, मगर कांग्रेस में यह काम किसको दिया जाएगा, इस प्रस्ताव में अभी यह स्पष्ट नहीं है। इतना जरूर है कि सामाजिक समीकरणों का ध्यान रखकर कांग्रेस का यह चौकीदार दस्ता बने। जगह-जगह जैसे संघ की शाखायें लगती हैं, उसी तरह गांवों में कांग्रेस चौपाल लगाई जाए। ये चौपालें लोगों की समस्याओं पर चर्चा कर उनको आवाज देंगी। धरना-प्रदर्शन और आंदोलन का आगाज चौपालों से होगा और इनमें नियमित रूप से पूरे देश में राहुल गांधी जाएंगे। हालांकि, कांग्रेस का एक धड़ा, इसे सिर्फ प्रस्ताव से ज्यादा कुछ नहीं मान रहा है। पार्टी के पुराने नेताओं का कहना है कि कांग्रेस को न समझने वाले लोग ही ऐसे कपोल कल्पित प्रस्ताव बना रहे हैं, जिसे जमीन पर उतारना असंभव होगा।

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