सीजेआइ ने कहा, जजों का लक्ष्य लोकप्रियता पाना नहीं, विवाद सुलझाना

सीजेआई ने कहा कि न्यायाधीशों का उद्देश्य कभी लोकप्रियता हासिल करना नहीं होता है जबकि विवादों का निपटारा करने का होता है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Sat, 08 Feb 2020 04:58 PM (IST) Updated:Sat, 08 Feb 2020 07:40 PM (IST)
सीजेआइ ने कहा, जजों का लक्ष्य लोकप्रियता पाना नहीं, विवाद सुलझाना
सीजेआइ ने कहा, जजों का लक्ष्य लोकप्रियता पाना नहीं, विवाद सुलझाना

नई दिल्ली, एजेंसियां। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) शरद अरविंद बोबडे ने शनिवार को कहा कि देश में मुकदमे से पहले अनिवार्य मध्यस्थता वाला कानून बनाने का यह सबसे सही समय है। उन्होंने कहा कि इससे कार्यक्षमता सुनिश्चित होगी और पक्षकारों के साथ ही साथ अदालतों के लिए मामलों के लंबित होने का समय घटेगा।

प्रधान न्यायाधीश 'वैश्वीकरण के युग में मध्यस्थता' विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे संस्करण को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी भी जज का लक्ष्य लोकप्रियता पाना नहीं होता है। उसका उद्देश्य यह होता है कि विवाद का हल हो। जस्टिस बोबडे ने कहा कि भारत में संस्थागत मध्यस्थता के विकास के लिए एक मजबूत 'आरबिट्रेशन (मध्यस्थता) बार' जरूरी है क्योंकि यह ज्ञान और अनुभव वाले पेशेवरों की उपलब्धता और पहुंच सुनिश्चित करेगा।

सीजेआइ ने कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय व्यापार, वाणिज्य और निवेश वाले वैश्रि्वक आधारभूत ढांचे में मध्यस्थता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वैश्रि्वक समुदाय के एक अभिन्न सदस्य और व्यापार व निवेश के लिहाज से महत्वपूर्ण होने के नाते भारत अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में किस तरह से शामिल होता है इसका सीमापार अंतरराष्ट्रीय व्यापार, वाणिज्य और निवेश के प्रवाह पर महत्वपूर्ण प्रभाव होता है।

जस्टिस बोबडे ने कहा, 'वाणिज्यिक अदालत अधिनियम में उल्लिखित पूर्व-संस्थान स्तर वाली मध्यस्थता और समाधान मुकदमा से पहले मध्यस्थता के कई फायदों की जरूरत पर जोर देते हुए कई और संस्थानों के लिए एक रास्ता तैयार करेगा।' उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि एक व्यापक कानून बनाने का यह बिल्कुल सही समय है, जिसमें मुकदमे से पहले अनिवार्य मध्यस्थता हो.।'

अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में भारत की भूमिका का जिक्र करते हुए सीजेआइ ने कहा, 'हाल के समय में, वैश्र्वीकरण के चलते भारत से जुड़े सीमापार लेनदेन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है जिससे सीमापार मध्यस्थता की मांग भी बढ़ी है। इसके परिणामस्वरूप बढ़ते मामलों की जटिलता से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय परंपराओं की स्थापना हुई है।'

सीजेआइ बोबडे ने कहा कि जजों का उद्देश्य किसी विवाद का सुलझाना होता है। जजों के लिए लोकप्रियता मरीचिका है। न्याय करना बहुत जटिल काम है और जज वह काम करते हैं जो अन्य लोग करने से बचते हैं। किसी मामले को सुलझाने के लिए जज फैसला सुनाते हैं, लेकिन फैसले से असहमति के चलते याचिकाओं की बाढ़ आ जाती है, जिससे बचा भी नहीं जा सकता है। इसलिए मुकदमेबाजी से पहले विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता प्रणाली जैसी वैकल्पिक व्यवस्था बहुत अहम हो गई है।

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