CPEC को लेकर पाकिस्‍तान से लगने लगा है चीन को डर, जानें क्‍यों

संयुक्‍त राष्‍ट्र और भारत के बाद अब चीन की भी चिंता की वजह सीपैक बन गया है। चीन की यह चिंता पाकिस्‍तान को लेकर है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Tue, 30 May 2017 12:12 PM (IST) Updated:Wed, 31 May 2017 11:47 AM (IST)
CPEC को लेकर पाकिस्‍तान से लगने लगा है चीन को डर, जानें क्‍यों
CPEC को लेकर पाकिस्‍तान से लगने लगा है चीन को डर, जानें क्‍यों

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। सीपैक को लेकर अपनी खुशहाली की उम्‍मीद पाले पाकिस्‍तान से अब चीन को ही खतरा लगने लगा है। यह खतरा सीपैक के भविष्‍य को लेकर कम है बल्कि उसके अपने लोगों के लिए ज्‍यादा है। दरअसल, चीन के थिंकटैंक और वहां की सरकारी मीडिया ग्‍लोबल टाइम्‍स ने इस तरह की चिंता जताई है। उसका कहना है कि सीपैक की शुरुआत के बाद से अब तक सीपैक निर्माण के पाकिस्‍तान वाले हिस्‍से में चीन के लोगों के खिलाफ होने वाले अपराध बढ़े हैं। इनमें सीपैक के लिए वहां गए चीनी लोगों को अगवा करने उनकी हत्‍या करने समेत उनपर होने वाले आतंकी हमले भी शामिल हैं। चीन के सरकारी अखबार ने इसको देखते हुए चिंता जाहिर की है कि कहीं भविष्‍य में यह चीन के लिए नुकसानदेह साबित न हो जाए।

संयुक्‍त राष्‍ट्र ने भी जताई है सीपैक पर चिंता

यहां पर गौर करने की बात यह भी है कि सीपैक को लेकर संयुक्‍त राष्‍ट्र ने भी गहरी चिंता जाहिर की है। संयुक्‍त राष्‍ट्र ने साफतौर पर कहा है कि चीन-पाकिस्‍तान आर्थिक कॉरिडोर की वजह से न सिर्फ इस क्षेत्र में तनाव बढ़ सकता है बल्कि यह क्षेत्र युद्ध में भी घिर सकता है। इसके बाद भी पाकिस्‍तान चीन के झांसे में बुरी तरह से आ चुका है या फिर उसकी सियासी मजबूरी भी इसकी एक बड़ी वजह हो सकती है। इतना ही नहीं पाकिस्‍तान ओबीओआर के मुद्दे पर चीन के साथ मजबूती के साथ खड़ा है। लेकिन भविष्‍य में यह उसके लिए कितना लाभदायक साबित होगा यह तो वक्‍त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल चीन की चिंता जायज दिखाई देती है।

पाक में उठते विरोधी स्‍वर

इस मामले पर दैनिक जागरण की स्‍पेशल टीम से बात करते हुए रक्षा विशेषज्ञ अनिल कौल ने कहा कि जिस क्षेत्र में सीपैक का निर्माण हो रहा है वह पहले तो एक विवादित क्षेत्र है, दूसरा यहां के लोग खासतौर पर बलूचिस्‍तान के बलूची इस कॉरिडोर के खिलाफ हैं। वहीं दूसरी और पीओके में लगातार सीपैक को लेकर विरोधी आवाजें पहले भी उठती रही हैं और अब भी उठ रही हैं। लिहाजा जो चीन की चिंता है वह न सिर्फ जायज है बल्कि हकीकत भी है।

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सीपैक पर बढ़ता विरोध

उनका यह भी कहना है कि चीन ने आतंकवाद को पनाह देने वाले देश के साथ इस तरह के कॉरिडोर बनाने की योजना बनाई है वह भी तब जब वहां पर ही उसका विरोध चरम पर है। ऐसे में जाहिर है कि वहां के लोग न सिर्फ पाकिस्‍तान बल्कि चीन से भी काफी खफा है, जिसकी वजह से वहां पर काम कर रहे चीन के लोग उनका निशाना बन रहे हैं। सीपैक बलूचिस्‍तान से लेकर दक्षिण में ग्‍वादर पोर्ट तक फैला है। इस इकनॉमिक कॉरिडोर के निर्माणस्‍वरूप वहां के लोग ही नहीं सेना भी काफी कुछ खफा है। इसकी वजह ग्‍वादर पोर्ट को पूरी तरह से चीनी सेना के हवाले कर देना भी एक बड़ी वजह है। इस पर पाकिस्‍तान का नियंत्रण नहीं है। लिहाजा पाकिस्‍तान के लोग यह मानने लगे हैं कि चीन ने उन्‍हें उत्‍तर और दक्षिण से घेर लिया है।

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चीन की रणनीति

वहीं दूसरी ओर इसके निर्माण पर होने वाले 47 बिलियन का खर्च वापस देने की ताकत पाकिस्‍तान की न आज है और न कभी होगी। एक समय बाद चीन जब अपना कर्जा वापस मांगेगा तो पाकिस्‍तान इसको चुकाने की सूरत में नहीं होगा, लिहाजा यहां पर चीन उसकी इस जमीन को अपने कब्‍जे में ले लेगा, जिसकी शुरुआत वह कर चुका है। यह ठीक ऐसे ही होगा जैसे श्रीलंका में उसने किया है, जहां एक पोर्ट की जमीन अब चीन के कब्‍जे में है। इसका इस्‍तेमाल वह जैसे चाहे वैसे कर सकता है।

सोशल मीडिया पर एक्टिव आतंकी संगठन

यहां पर एक बात और समझने वाली है और वह यह है कि पाकिस्‍तान  सरकार का अपने यहां मौजूद आतंकी संगठनों पर कोई जोर नहीं है। उनकी अपनी सत्‍ता चलती है और इसमें आईएसआई उनका पूरा सहयोग करती है। पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर ही यह आतंकी संगठन अपनी कार्रवाई को अंजाम देते हैं। इसका एक जीता जागता उदाहरण यह भी है कि पाकिस्‍तान में मौजूद करीब 65 ऐसे आतंकी संगठन हैं जिनको सरकार ने कागजों पर किसी दबाव के चलते प्रतिबंधित तो कर दिया है, लेकिन इसके बाद भी सोशल मीडिया पर वह पूरी तरह से एक्टिव हैं और अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। सोशल मीडिया के प्‍लेटफार्म फेसबुक पर इनके न सिर्फ फॉलोवर्स ही बढ़ रहे हैं बल्कि इनके पेज व्‍यूज भी लगातार बढ़ रहे हैं। इसके बाद भी सरकार की तरफ से इन्‍हें रोकने के कोई इंतजाम नहीं किया गया है।

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