बच्चों की कलम ने दिखाया अलगाववादियों और आतंकियों को आईना, 12 वीं के रिजल्‍ट में किया कमाल

हाल ही में घोषित 12वीं कक्षा के वार्षिक परिणामों में बच्चों ने इल्म की रोशनी को अंधेरे में बदलने की साजिश करने वालों के मुंह पर तमाचा जड़ा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Fri, 24 Jan 2020 09:32 PM (IST) Updated:Fri, 24 Jan 2020 10:29 PM (IST)
बच्चों की कलम ने दिखाया अलगाववादियों और आतंकियों को आईना, 12 वीं के रिजल्‍ट में किया कमाल
बच्चों की कलम ने दिखाया अलगाववादियों और आतंकियों को आईना, 12 वीं के रिजल्‍ट में किया कमाल

 नवीन नवाज, श्रीनगर। कश्मीर के बच्चों ने अपनी काबिलियत से दिखा दिया कि वे गुमराह होने वालों में नहीं हैं। हाल ही में घोषित 12वीं कक्षा के वार्षिक परिणामों में बच्चों ने इल्म की रोशनी को अंधेरे में बदलने की साजिश करने वालों के मुंह पर तमाचा जड़ा है। गत वर्ष नवंबर में 12वीं की वार्षिक परीक्षाएं हुई थीं। चार दिन पहले घोषित परिणाम में 76 फीसद बच्चे सफल रहे हैं।

लंबे समय तक बंद रहे शिक्षण संस्‍थान

कश्मीर में वर्ष 2019 में अधिकांश समय स्कूलों में अलगाववादियों के हिंसक प्रदर्शनों, जिहादियों के फरमान के चलते अकादमिक गतिविधियां लगभग ठप रही हैं। पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू किए जाने के बाद पहले प्रशासन ने एहतियात के तौर पर शिक्षण संस्थानों को बंद रखा। हालात सुधरने पर शिक्षण संस्थानों को क्रमानुसार खोला। यह प्रक्रिया अक्टूबर के पहले पखवाड़े तक जारी रही। इस बीच, जिहादी संगठनों ने कश्मीर में सभी लोगों को शिक्षण संस्थानों से दूर रहने का फरमान सुनाया। हालत यह थी कि स्कूलों में किसी जगह एक तो किसी जगह तीन छात्र नजर आते थे। इस बीच प्रशासन के बोर्ड परीक्षाओं के एलान से हर कोई हैरान था।

बच्चों का भविष्य बचाने के लिए कश्मीरी समाज एकजुट

शिक्षाविद जीएन वार ने कहा कि अगर यहां हालात खराब नहीं होते तो परिणाम शत-प्रतिशत होता। सभी छात्र, अध्यापक और अभिभावक बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने मुश्किलों की घोर आंधी में भी इल्म के चिराग को जलाए रखा। यहां बाहर से कई बुद्धिजीवी बीते साल आए तो वह कहते थे कि इन बच्चों का क्या होगा। हमने उन्हें कहा था कि बच्चों का भविष्य बचाने के लिए कश्मीरी समाज एकजुट है। यहां विभिन्न मुहल्लों में पढ़े-लिखे बेरोजगार नौजवानों ने ही नहीं, विभिन्न स्कूलों में कार्यरत अध्यापकों और डॉक्टर-इंजीनियर कम्युनिटी स्कूलिंग का हिस्सा बने।

कम्युनिटी स्कूलिंग का कमाल

श्रीनगर से सटे छत्तरगाम में घर में कम्युनिटी स्कूलिंग के लिए जगह देने वाले ताहिर ने कहा कि 50 बच्चे सुबह शाम आते थे। आठवीं से 12वीं के छात्र थे। हम कैसे अपने बच्चों को जहालत में रहने दे सकते हैं। 12वीं का परिणाम सुखद रहा है। मेरे घर आने वाले सभी बच्चे पास हुए हैं।

स्कूल से पेन ड्राइव में ले आते थे लेक्चर

कॅामर्स में टॉप करने वाली इलसा गुलजार के पिता गुलजार अहमद ने कहा कि बहुत तनावपूर्ण स्थिति थी। खैर, खुदा ने मदद की। कभी कम्युनिटी स्कूलिंग का सहारा लिया तो कभी स्कूल से पेनड्राइव में बेटी के लिए लेक्चर लेकर आना पड़ता था। इलसा ने कहा कि आसपास रहने वाली सहेलियां आपस में उन विषयों पर चर्चा करती जो मुश्किल थे। उन पर निकट में रहने वाले अध्यापकों और कम्युनिटी स्कूल से मदद लेती थीं।

अध्यापकों ने मनोबल बढ़ाया

हुमहामा की हुमैरा रशीद ने विज्ञान में टॉप किया है। उसने कहा मैं खुदा की शुक्रगुजार हूं उसने मुझे हिम्मत दी। मेरे अध्यापकों ने मेरा मनोबल बढ़ाया और मैं किसी तरह परीक्षा में भाग लेने के लिए तैयार हुई। श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र बेमिना में एक स्कूल में अध्यापक आदिल अहमद ने कहा कि वह जमाना लद चुका है जब यहां जिहादियों और अलगाववादियों के डर से कोई घर से नहीं निकलता था। यह जो रिजल्ट आया है, यह उन लोगों के मुंह पर तमाचा है।

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