सबरीमाला मंदिर को पवित्र करने के लिए प्रक्रिया को मुख्‍य पुजारी ने सही ठहराया

सबरीमाला स्थित मंदिर के तंत्री (मुख्य पुजारी) कांतारारु राजीवेरु ने त्रावणकोर देवासम बोर्ड को बताया कि दो महिलाओं के मंदिर में प्रवेश के बाद उन्होंने उसे पवित्र करने की प्रक्रिया की थी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Mon, 04 Feb 2019 10:47 PM (IST) Updated:Mon, 04 Feb 2019 10:47 PM (IST)
सबरीमाला मंदिर को पवित्र करने के लिए प्रक्रिया को मुख्‍य पुजारी ने सही ठहराया
सबरीमाला मंदिर को पवित्र करने के लिए प्रक्रिया को मुख्‍य पुजारी ने सही ठहराया

तिरुअनंतपुरम, आइएएनएस। सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा मंदिर के तंत्री (मुख्य पुजारी) कांतारारु राजीवेरु ने त्रावणकोर देवासम बोर्ड (टीडीबी) को बताया है कि दो महिलाओं के मंदिर में प्रवेश के बाद उन्होंने उसे पवित्र करने की प्रक्रिया की थी। जब मंदिर की परंपरागत रीति-रिवाज टूटते हैं तो उसे फिर से पवित्र करने की प्रक्रिया पूरी की जाती है। यह स्वाभाविक प्रक्रिया है जो पहले भी पूरी की गई है।

दो जनवरी को दिन में साढ़े दस बजे एक घंटे के लिए मंदिर को बंद किया गया था और उसे पवित्र करने की प्रक्रिया पूरी की गई थी। इस मसले पर टीडीबी ने तंत्री से जवाब मांगा था। टीडीवी मंदिर का प्रबंधन करने वाला सरकारी बोर्ड है।

मंदिर को पवित्र करने की प्रक्रिया मुख्यमंत्री पिनरई विजयन द्वारा मासिक धर्म की आयु वाली दो महिलाओं- बिंदु अम्मिनी और कनक दुर्गा के दर्शन करने की पुष्टि किए जाने के बाद पूरी की गई। मुख्यमंत्री के अनुसार दोनों महिलाओं ने तड़के करीब साढ़े तीन बजे मंदिर के भीतर जाकर दर्शन किए थे। इन महिलाओं की उम्र 50 वर्ष से कम थी।

सदियों पुरानी परंपरा तो खत्म करते हुए 28 सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी आयु वर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश और दर्शन करने की छूट का आदेश जारी किया था। इस आदेश के बाद पूरे केरल और प्रदेश के बाहर विरोध शुरू हो गया। आदेश के विरोधियों का कहना था कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे, इसलिए 10 से 50 साल की महिलाओं के दर्शन पर रोक है।

तंत्री के जवाब पर विचार के लिए मंगलवार को टीडीबी की बैठक होगी। छह फरवरी (बुधवार) को सुप्रीम कोर्ट 28 सितंबर के अपने आदेश की समीक्षा के लिए आई याचिकाओं की सुनवाई करेगा।

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