छत्तीसगढ़ के युवा विज्ञानी ने ई-बाल से निकाला जाम हुई नालियों का हल

पिछले 14 वर्ष से माइक्रोबियल डिकंपोजिशन पर काम कर रहे नगर निगम की टेक्निकल टीम से जुड़े युवा विज्ञानी डा. प्रशांत शर्मा ने ई-बाल (इको बाल) तैयार की है। इन्हें जाम नालियों में डालने से पानी का बहाव शुरू हो जाता है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Thu, 28 Apr 2022 05:03 PM (IST) Updated:Thu, 28 Apr 2022 05:03 PM (IST)
छत्तीसगढ़ के युवा विज्ञानी ने ई-बाल से निकाला जाम हुई नालियों का हल
युवा विज्ञानी डा. प्रशांत शर्मा ने ई-बाल (इको बाल) तैयार की है।

अनंगपाल दीक्षित, अंबिकापुर। पिछले 14 वर्ष से माइक्रोबियल डिकंपोजिशन पर काम कर रहे नगर निगम की टेक्निकल टीम से जुड़े युवा विज्ञानी डा. प्रशांत शर्मा ने ई-बाल (इको बाल) तैयार की है। इन्हें जाम नालियों में डालने से पानी का बहाव शुरू हो जाता है। घरों से निकलने वाले पानी में भोज्य पदार्थ, मल-मूत्र आदि जैविक अपशिष्ट मिले होते हैं। ये नाली के तल पर बैठ जाते हैं और माइक्रोबियल एक्टिविटी (जैविक प्रक्रिया) से तेजी से सड़ने लगते हैं। इसके बाद इनकी एक मोटी परत बन जाती है जिससे नाली जाम हो जाती है और गंदगी बाहर फैलती है। इस ई-बाल के प्रयोग से नाली की गंदगी से घुलनशीन अपशिष्ट अलग कर पानी को प्रवाहमान कर देते हैं। इससे नाली का पानी बाहर आकर गंदगी नहीं फैलाता। एक और लाभ यह है कि नालियों का पानी जब अंत में किसी अन्य जल स्रोत में मिलता है तो उसे अधिक प्रदूषित भी नहीं करता है क्योंकि इससे भारी धातु व अन्य हानिकारक तत्व भी साफ हो चुके होते हैं।

एक वर्ष तक सफल परीक्षण

डा. प्रशांत ने अलग-अलग माइक्रोबियल कंसोर्टिया के विभिन्न मिश्रण पर काम किया और ई-बाल बनाने में सफलता मिली। यह ई-बाल लाभदायक बैक्टीरिया लैब-2 व बेनेफीशियल फंगस टी-64 समेत चार अन्य लाभदायक माइक्रोब्स और कैल्शियम कार्बोनेट की मदद से बना कंसोर्टिया है। जैसे ही यह ई-बाल अपशिष्ट जल युक्त नाली में जाती है, इसके लाभदायक सूक्ष्मजीव तेजी से वहां उपस्थित अपशिष्ट जैविक कचरे को भोजन के रूप में लेकर अपनी संख्या में गुणोत्तर वृद्धि करते हैं और घुलनशील अपशिष्ट को अलग कर देते हैं। इससे नाली में पानी बहने लगता है।

अंबिकापुर के नगर निगम में एक साल तक सफल प्रयोग के बाद इस नवाचार को रायपुर में हुई राष्ट्रीय कार्यशाला में केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव रूपा मिश्रा और स्वच्छ भारत मिशन के निदेशक विनय झा के समक्ष प्रदर्शित किया गया। वहां इसके सकारात्मक परिणाम को देखते हुए इसे पूरे भारत में उपयोग को हरी झंडी दी गई। ई-बाल को पेटेंट कराने के लिए आवेदन किया जा चुका है। डा. प्रशांत कुमार शर्मा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन व स्वच्छता दीदियों को विज्ञानी तरीके से भी कचरे के निपटान की अवधारणा से अवगत कराते हैं। यह उद्यान विभाग के बायोटेक पार्क के प्रभारी अधिकारी हैं।

अंबिकापुर के कलेक्टर संजीव कुमार झा के मार्गदर्शन में इन्होंने यह नवाचार किया है। इसमें नगर निगम के स्वच्छता नोडल अधिकारी रितेश सैनी का भी खास योगदान है जिनके बेहतर दस्तावेजीकरण के कारण अंबिकापुर को पूरे देश में इस श्रेणी में प्रथम स्थान दिलाया था। अब तरल अपशिष्ट में उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है। स्वच्छ सर्वेक्षण-2022 में भी नवाचार के क्षेत्र में ई-बाल नगर निगम के लिए बड़ी भूमिका निभाएगी।

इसलिए थी आवश्यकता

घरों से निकलने वाले उपयोग किए पानी के साथ कई पदार्थ निकलते हैं। इसे हम ग्रे वाटर या अपशिष्ट जल कहते हैं। यह ग्रे वाटर नाली के तल पर बैठ जाता है। पानी में मिला हुआ जैविक अपशिष्ट माइक्रोबियल एक्टिविटी से तेजी से सडऩे लगता है। परिणमस्वरूप नाली के ऊपर एक मोटी पर्त बन जाती है और नाली के नीचे आक्सीजन की कमी के कारण तेजी से दुर्गंध फैलने लगती है। नतीजा नाली जाम की स्थिति आ जाती है।

तालाब का पानी हुआ साफ

ई-बाल का प्रयोग अंबिकापुर में सफल हो गया है। जाम नालियां खुल रहीं हैं। इसे तालाब में भी प्रयोग किया गया है जिससे सफलता मिल रही है। शहर के तालाब में ई-बाल डालकर प्रयोग किया गया, जिससे यहां का गंदा पानी पूरी तरह साफ हो गया है। अब मछलियां भी अब पानी में तैरती नजर आने लगी हैं। इस सफलता को देखते हुए 'नईदुनिया' द्वारा अंबिकापुर में पहली बार आयोजित नाइट वाकाथन में शहर के जनप्रतिनिधियों, आला अधिकारियों के समक्ष ई-बाल का वितरण किया गया और मौजूद जनसमुदाय को जानकारी दी गई।

अंबिकापुर के बायोटेक पार्क के युवा विज्ञानी डा. प्रशांत कुमार शर्मा ने कहा कि ई-बाल के उपयोग से न केवल नाली के पानी का उपचार संभव हुआ है बल्कि नाली के पानी में पीएच सुधार, टीडीएस में सुधार कर हानिकारक हैवी मेटल्स में भी कमी भी हुई। जिससे शहर से निकलकर जब ये पानी किसी मुख्य वाटर सोर्स से मिलेगा तो यह वाटर सोर्स को कम प्रदूषित करेगा। साथ ही जलीय जंतुओं को भी लाभ होगा।

सरगुजा (अंबिकापुर) के कलेक्‍टर संजीव कुमार झा ने कहा कि ई-बाल की सफलता और मांग को ध्यान में रखते हुए इसे पेटेंट के लिए फाइल करने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। जल्द ही पेटेंट मिलने की संभावना है। इस नवाचार की सफलता को देखते हुए इसे रूरल इंडस्ट्रियल पार्क से जोड़कर महिला स्व सहायता समूह को इसके निर्माण से जोडऩे की कार्ययोजना बनाई गई है। ई बाल विक्रय केलिए जिला प्रशासन द्वारा संचालित सी -मार्ट में उपलब्ध है। भारत सरकार द्वारा आयोजित स्वच्छता चैलेंज-22 में इनोवेशन श्रेणी में इसे नगर निगम द्वारा नामंकित किया गया है।

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