चंद्रयान-2 मिशन से रूस हुआ अलग, अब अपने दम पर आगे बढ़ेगा भारत

भारत महत्वाकांक्षी चंद्रयान-2 परियोजना को स्वदेशी तकनीक की मदद से अंजाम देगा। इसरो ने रूस को इस मिशन से अलग रखने का फैसला किया है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Sun, 03 Apr 2016 06:45 PM (IST) Updated:Mon, 04 Apr 2016 08:08 AM (IST)
चंद्रयान-2 मिशन से रूस हुआ अलग, अब अपने दम पर आगे बढ़ेगा भारत

नई दिल्ली। भारत महत्वाकांक्षी चंद्रयान-2 परियोजना को स्वदेशी तकनीक की मदद से अंजाम देगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रूस को इस मिशन से अलग रखने का फैसला किया है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा से मामूली सहयोग लिया जाएगा। इसरो प्रमुख एएस किरण कुमार ने बताया कि चंद्रयान-2 मिशन को दिसंबर, 2017 या 2018 में प्रक्षेपित किया जाएगा।

चंद्रयान-1 को वर्ष 2008 में प्रक्षेपित किया गया था। इसकी सफलता से उत्साहित भारत ने दूसरे संस्करण को भी चंद्रमा पर भेजने का फैसला किया था। इसके लिए वर्ष 2010 में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस के साथ समझौता किया गया था। रूसी एजेंसी को लैंडर और इसरो को ऑर्बिटर विकसित करना था। बाद में इसरो ने स्वदेशी लैंडर विकसित करने की घोषणा कर दी। इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रूसी लैंडर में कुछ समस्या थी। रूस ने खामियों को ठीक करने के लिए कुछ और वक्त मांगा था। इस बीच, इसरो ने स्वदेशी लैंडर विकसित करने का निर्णय लिया। इसे जीएसएलवी की मदद से निर्धारित कक्षा में स्थापित किया जाएगा।

अधर में लटका चंद्रयान 2 मिशन

चंद्रयान-2 प्रोजेक्ट पूरी तरह स्वदेशी होगा। सिर्फ ट्रैकिंग में नासा की मदद ली जाएगी। किरण कुमार ने कहा, 'उपग्रह को एक स्थान से ट्रैक नहीं किया जा सकता है। ऐसे में सहयोग की जरूरत पड़ती है। नासा के साथ सिर्फ डीप स्पेस नेटवर्क के लिए गठजोड़ किया जाएगा, ताकि चंद्रयान को सही तरीके से ट्रैक किया जा सके। इस परियोजना में रूस से कोई मदद नहीं ली जाएगी। इसरो प्रमुख ने हालांकि सेमी-क्रायोजेनिक इंजन के विकास में रूस के साथ गठजोड़ की संभावनाओं से इन्कार नहीं किया है।

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