ISRO: चंद्रयान 3 और आदित्य एल1 संभवतः 2023 के मध्य में किए जाएंगे लॉन्च - ISRO प्रमुख

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष एस सोमनाथ (ISRO chairman S Somanath) ने बुधवार को कहा कि चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) भारत का तीसरा चंद्र मिशन और पहला सौर मिशन आदित्य एल1 (first solar mission Aditya L1) का प्रक्षेपण संभवतः 2023 के मध्य तक होगा।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Wed, 22 Mar 2023 02:49 PM (IST) Updated:Wed, 22 Mar 2023 02:49 PM (IST)
ISRO: चंद्रयान 3 और आदित्य एल1 संभवतः 2023 के मध्य में किए जाएंगे लॉन्च - ISRO प्रमुख
चंद्रयान 3 और आदित्य L1 संभवतः 2023 के मध्य में किए जाएंगे लॉन्च

अहमदाबाद, एजेंसी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation, ISRO) के अध्यक्ष एस सोमनाथ (ISRO chairman S Somanath) ने बुधवार को कहा कि चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3), भारत का तीसरा चंद्र मिशन और पहला सौर मिशन आदित्य एल1 (first solar mission Aditya L1) का प्रक्षेपण संभवतः 2023 के मध्य तक होगा।

बता दें कि वह यहां भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (Physical Research Laboratory) में आयोजित चौथे भारतीय ग्रह विज्ञान सम्मेलन में "अंतरिक्ष और ग्रहों की खोज के लिए भारतीय क्षमता" पर उद्घाटन भाषण दे रहे थे।

सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 क्राफ्ट (Chandrayaan-3 Craft) पूरी तरह तैयार है। यह पूरी तरह से एकीकृत है। बेशक, कुछ सुधार कार्य किए जा रहे हैं और हम बहुत सारे सिमुलेशन और परीक्षणों आदि के माध्यम से मिशन में बहुत अधिक विश्वास पैदा कर रहे हैं और संभवतः इसका लॉन्च इस वर्ष के मध्य तक हो सकता है।

उन्होंने कहा कि आदित्य-एल1, भारत का पहला सौर मिशन (India's first solar mission) एक बहुत ही अनूठी सौर अवलोकन क्षमता होने जा रहा है, जिसके लिए उपकरण पहले ही वितरित किए जा चुके हैं और इसरो उन्हें उपग्रह में एकीकृत करने की प्रक्रिया में है।

सोमनाथ ने कहा कि मैं भी इसके (आदित्य-एल1) लॉन्च होने का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं, संभवत: इस साल के मध्य तक, और मुझे यकीन है कि हम इस मिशन को बड़ी सफलता दिलाएंगे।

इसरो के अनुसार, चंद्रयान -3 चंद्रयान -2 (Chandrayaan-2) का अनुवर्ती मिशन है, जो चंद्र सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और घूमने में एंड-टू-एंड क्षमता प्रदर्शित करता है। इसमें लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन शामिल हैं।

चंद्रयान -3 मिशन पर बोलते हुए, सोमनाथ ने कहा कि इसकी संरचना चंद्रयान -2 के समान होगी, जिसमें ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर होगा।

बेशक, ऑर्बिटर में वे सभी पेलोड नहीं हैं जो चंद्रयान-2 में हैं। इसमें थोड़ा सा ही पेलोड होगा। लेकिन प्राथमिक उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा की कक्षा में ले जाकर लैंड कराना है।

उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 का प्राथमिक उद्देश्य सटीक लैंडिंग होना है। उसके लिए आज बहुत सारे काम किए जा रहे हैं, जिसमें नए उपकरणों का निर्माण, बेहतर एल्गोरिदम का निर्माण, विफलता के तरीकों का ध्यान रखना आदि शामिल हैं।

सोमनाथ ने कहा कि मिशन के इन पहलुओं को वर्तमान में मजबूत किया जा रहा है, वैज्ञानिक उद्देश्य कमोबेश पिछले चंद्र मिशनों के समान ही हैं।

उम्मीद करते हैं कि इस बार चंद्रयान-3 लैंडिंग का सही काम करेगा और निश्चित रूप से रोवर बाहर निकलेगा और चंद्रमा की सतह पर कम से कम चंद्र दिवस पर अन्वेषण करेगा, जो वास्तव में बहुत दिलचस्प होने वाला है।

आदित्य एल1 के बारे में, उन्होंने कहा कि यह लैग्रैन्जियन प्वाइंट एल1 (Lagrangian point L1) तक जाएगा, जो एक सुविधाजनक बिंदु है जहां लंबे समय तक बिना किसी गड़बड़ी के लगातार सूर्य का निरीक्षण किया जा सकता है।

इसरो प्रमुख ने कहा कि यह एक बहुत ही अनोखी सौर अवलोकन क्षमता होने जा रही है जिसका हम निर्माण कर रहे हैं। इसके लिए उपकरण पहले ही वितरित किए जा चुके हैं और हम इन उपकरणों को उपग्रह में एकीकृत करने की प्रक्रिया में हैं।

उन्होंने कहा कि इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों का वर्तमान में उपग्रह के साथ एकीकरण के लिए परीक्षण किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि अन्य पेलोड में न केवल सूर्य का अवलोकन करने, बल्कि कण उत्सर्जन और सूर्य से पृथ्वी की यात्रा के दौरान उन्हें मापने और सूर्य हमारे अंतरिक्ष मौसम को कैसे प्रभावित कर रहा है, के मामले में उनकी अद्वितीय क्षमता है।

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