केंद्र की पैरवी, डीजल वाहनों पर प्रतिबंध अब अन्य शहरों में न लगाएं

एनजीटी ने प्रमुख शहरों में प्रदूषण रोकने के लिए गंभीर न होने और वाहनों की तादाद कम न करने पर राज्यों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है।

By Gunateet OjhaEdited By: Publish:Mon, 30 May 2016 08:37 PM (IST) Updated:Mon, 30 May 2016 10:46 PM (IST)
केंद्र की पैरवी, डीजल वाहनों पर प्रतिबंध अब अन्य शहरों में न लगाएं

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) से अपील की है कि डीजल वाहनों पर प्रतिबंध अब अन्य शहरों में न लगाएं। चूंकि इससे देश में वाहन उद्योग को गहरा धक्का लगेगा और देश की अर्थव्यवस्था पर भी विपरीत असर होगा। दूसरी ओर, एनजीटी ने प्रमुख शहरों में प्रदूषण रोकने के लिए गंभीर न होने और वाहनों की तादाद कम न करने पर राज्यों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। प्राधिकरण ने इस बारे में मंगलवार को जानकारी तलब की है। ऐसा न करने पर राज्यों के मुख्य सचिवों के खिलाफ जमानती वारंट जारी करने का निर्देश दिया है।

भारी उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को वायु प्रदूषण के एक मामले में याचिका दायर कर एनजीटी से दिल्ली के अलावा भी अन्य शहरों में रोक न लगाने की अपील की है। मंत्रालय का कहना है कि एनजीटी वाहनों की बिक्री और पंजीकरण पर रोक न लगाएं। एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमार की खंडपीठ से अपील में मंत्रालय ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध को अगर एनजीटी ने 11 शहरों में लागू कर दिया तो आटो इंडस्ट्री की ग्रोथ पर विपरीत असर पड़ेगा। मंत्रालय का कहना है कि निर्माण क्षेत्र में आटो इंडस्ट्री का बड़ा योगदान है। यह देश के जीडीपी में 47 फीसद से अधिक की हिस्सेदार है। देश में विदेशी निवेश लाने वाला भी यह पांचवां सबसे बड़ा क्षेत्र है। यह सबसे अधिक रोजगार देने वाला क्षेत्र भी है। गौरतलब है कि 2000 सीसी से अधिक क्षमता वाले डीजल वाहनों के पंजीकरण पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्रतिबंध लगाया है।

एनजीटी के निशाने पर 7 राज्य :

जबकि एनजीटी ने वायु प्रदूषण के मामले की सोमवार को सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पंजाब, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु को दिशा-निर्देश दिए हैं कि वह अपने शहरों में लगातार गिर रही वायु की गुणवत्ता को बढ़ाएं। प्राधिकरण ने इन राज्यों से डीजल/पेट्रोल के वाहनों की अलग-अलग गणना की जानकारी और हर शहर में कुल आबादी की जानकारी मांगी है।

सीपीसीबी को भी कड़ी फटकार :

एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को भी जनसंख्या और प्रमुख शहरों में वाहनों के घनत्व पर आधी-अधूरी जानकारी देने पर फटकारा है। दरअसल, सीपीसीबी का कहना है कि देश के अधिकांश शहरों में वायु की गुणवत्ता तय मानकों से काफी नीचे है। सीपीसीबी की इस रिपोर्ट पर एनजीटी ने कहा, 'यह किस तरह की रिपोर्ट है। आपने (सीपीसीबी) हमें आधी-अधूरी जानकारी दी है। हमने आपसे वाहन के घनत्व के बारे में पूछा था। कितने वाहन डीजल और कितने पेट्रोल के हैं। लेकिन आपकी रिपोर्ट कहती है कि मुंबई की आबादी 11 लाख है। यह तो सरासर मजाक है।' आपकी रिपोर्ट कहती है कि दिल्ली में प्रति किमी 245 वाहन हैं। जबकि दिल्ली में हर किलोमीटर में हजारों वाहन हैं। आज आप 1960 की फियेट कार भी सड़क पर देख सकते हैं। दिल्ली में लोग मारुति 800 चला रहे हैं।

दिल्ली का आरटीओ भी तलब :

एनजीटी ने दिल्ली आरटीओ को भी पेश होने को कहा है। उससे दिल्ली में कुल वाहनों की संख्या और उनका ब्रेकअप पूछा है। इसके बाद प्राधिकरण ने महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की तरफ से पेश हुए वकीलों से उनके राज्यों में सबसे प्रदूषित शहरों का ब्योरा मांगा। उन्होंने कहा, आपने हमारे आदेश का मजाक बना दिया है। अब इसका नतीजा भुगतने को तैयार रहें।

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