कश्मीर में स्कूल जलाए जाने की घटना से केंद्र चिंतित, गृहमंत्री ने बुलाई अहम बैठक

जनाथ सिंह ने सुरक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सीमा पर जारी भारी गोलाबारी से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा की।

By Atul GuptaEdited By: Publish:Tue, 01 Nov 2016 08:56 PM (IST) Updated:Tue, 01 Nov 2016 09:58 PM (IST)
कश्मीर में स्कूल जलाए जाने की घटना से केंद्र चिंतित, गृहमंत्री ने बुलाई अहम बैठक

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केंद्र सरकार कश्मीर घाटी में स्कूलों पर हमले और सीमा पार से जारी भारी गोलाबारी से उपजी स्थिति से निपटने की तैयारी में जुट गई है। इस सिलसिले में गृहमंत्रालय में उच्च स्तरीय बैठकों का दौर चलता रहा। सबसे पहले जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन बोहरा ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिलकर राज्य के ताजा हालात और स्कूलों की सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी दी। बाद में राजनाथ सिंह ने रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर, सेनाध्यक्ष दलबीर सुहाग, एनएसए अजीत डोभाल समेत वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर सीमा पर हालात की समीक्षा की।

सूत्रों के अनुसार राजनाथ सिंह ने पिछले दो महीने में 25 स्कूलों के जलाये जाने और लगभग चार महीने से सभी शिक्षण संस्थानों के बंद रहने पर चिंता जताई। राजनाथ सिंह का कहना था कि अलगाववादियों के बंद का सबसे बुरा असर बच्चों के भविष्य पर पड़ रहा है और राज्य सरकार को सभी स्कूलों की सुरक्षा के साथ-साथ बंद शिक्षण संस्थानों में जल्द-से-जल्द पढ़ाई शुरू कराने के लिए कदम उठाने चाहिए। उन्होंने इस संबंध में हर संभव केंद्रीय सहायता का भरोसा दिया। राजनाथ सिंह का कहना था कि लगभग चार महीने से शिक्षण संस्थाओं के बंद होने को लेक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चिंतित हैं। इसके पहले गृहमंत्रालय स्कूलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके खोलने के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए महबूबा मुफ्ती सरकार को लिख चुका है।

वहीं दूसरी बैठक में राजनाथ सिंह ने सुरक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सीमा पर जारी भारी गोलाबारी से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा की। बैठक में रक्षामंत्री, सेनाध्यक्ष, एनएसए और गृह सचिव के साथ-साथ सुरक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। सेनाध्यक्ष और सुरक्षा एजेंसियों ने सीमा पर ताजा हालात की जानकारी दी और बताया कि कैसे पाकिस्तान को इसका माकूल जवाब दिया जा रहा है। वहीं गृहमंत्री ने गोलीबारी में आम नागरिकों के हताहत होने पर चिंता जताते हुए उनकी सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया। लेकिन उनका साफ कहना था कि पाकिस्तानी सेना के अकारण गोलाबारी का जवाब देने और आतंकी घुसपैठ रोकने में सुरक्षा बलों को कोताही नहीं बरतनी चाहिए।

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