सरकार ने वित्त आयोग की सिफारिशों को किया स्वीकार

केंद्र और राज्‍य सरकार के बीच एक टीम की तरह काम करने की वकालत करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्‍यों के मुख्यमंत्रियों को एक पत्र के द्वारा सूचित किया है कि सरकार ने 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को पूर्णतया स्वीकार कर लिया है। उन्‍होंने बताया है कि केंद्र

By Sanjay BhardwajEdited By: Publish:Tue, 24 Feb 2015 03:09 PM (IST) Updated:Tue, 24 Feb 2015 03:31 PM (IST)
सरकार ने वित्त आयोग की सिफारिशों को किया स्वीकार

नई दिल्ली। केंद्र और राज्य सरकार के बीच एक टीम की तरह काम करने की वकालत करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक पत्र के द्वारा सूचित किया है कि सरकार ने 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को पूर्णतया स्वीकार कर लिया है। उन्होंने बताया है कि केंद्र सरकार ने राज्यों को दिए जाने वाले ग्रांट में रिकॉर्ड बढ़ोतरी की है।

प्रधानमंत्री ने अपने पत्र में लिखा है, 'आपको ज्ञात है कि जब से हमारी सरकार ने कार्यभार संभाला है, मैं अपनी संघीय शासन प्रणाली को मजबूत करने और केंद्र व राज्य के संबंधों को मजबूत करने के लिए कार्यरत हूं। देशवासियों की अपनी सरकारों से बड़ी अपेक्षाएं हैं और वे इंतजार करने के लिए तैयार नहीं हैं। इसलिए हम शुरू से ही त्वरित और समावेशी विकास की प्रक्रिया के प्रति कटिबद्ध रहे हैं। देश की विविधता को देखते हुए, हम समझते हैं कि वास्तविक और गतिशील संघीय शासन के माध्यम से ही इस उद्देश्य को शीघ्रता और समग्रता के साथ हासिल किया जा सकता है।'

पीएम मोदी ने लिखा है, 'मेरा दृढ़ विश्वास है कि सशक्त राज्य ही सशक्त भारत की आधारशिला हैं। जब मैं मुख्यमंत्री था, तब भी मैं यही कहता था कि देश की प्रगति राज्यों की प्रगति पर निर्भर करती है। इसलिए हमारी सरकार राज्यों को हर संभव तरीके से सशक्त बनाने के लिए कटिबद्ध है। हमारा यह भी मानना है कि वित्तीय अनुशासन को ध्यान में रखते हुए राज्यों को अधिक वित्तीय मजबूती और स्वायत्तता के साथ अपने कार्यक्रम और योजनाएं तैयार करने की छूट दी जानी चाहिए। हमें विश्वास है कि इसके बगैर, स्थानीय विकास की जरूरतों को पूरा नहीं किया जा सकता है और पिछड़े समुदायों और क्षेत्रों को मुख्यधारा में नहीं लाया जा सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए हमने योजना आयोग की जगह नीति आयोग बनाया है। इसके पीछे हमारा उद्देश्य यह है कि यह एक ऐसा आम मंच हो, जिसके जरिए विकास के राष्ट्रीय विजन को आगे बढ़ाया जाए।'

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