1984 Anti Sikh Riot: केन्द्र ने एसआइटी की सिफारिशें स्वीकारी, कहा कार्रवाई करेंगे

1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में जस्टिस धींगरा की अध्यक्षता वाली एसआइटी की सिफारिशें उसने स्वीकार कर ली है और कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Wed, 15 Jan 2020 09:15 PM (IST) Updated:Wed, 15 Jan 2020 09:15 PM (IST)
1984 Anti Sikh Riot: केन्द्र ने एसआइटी की सिफारिशें स्वीकारी, कहा कार्रवाई करेंगे
1984 Anti Sikh Riot: केन्द्र ने एसआइटी की सिफारिशें स्वीकारी, कहा कार्रवाई करेंगे

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में जस्टिस धींगरा की अध्यक्षता वाली एसआइटी की सिफारिशें उसने स्वीकार कर ली है और कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। दिल्ली हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश जस्टिस एसएन धींगरा की अध्यक्षता वाली एसआइटी ने दंगों के बंद किये जा चुके 186 मामलों की जांच कर के रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट में पुलिस पर आक्षेप लगाए गए हैं।

दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी के सदस्य गुरलाद सिंह कहलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर 1984 के सिख विरोधी दंगों के बंद कर दिए गए मामलों की पुन: जांच की मांग की है। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी 2018 को दिल्ली हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश एसएन धींगरा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एसआईटी गठित की थी जिसे 186 मामलों की जांच सौंपी थी। एसआइटी में जस्टिस धींगरा के अलावा आइपीएस अधिकारी राजदीप सिंह और आइपीएस अधिकारी अभिषेक दुलार भी सदस्य थे। लेकिन मामले की जांच एसआइटी के सिर्फ दो ही सदस्यों ने की थी क्योकि राजदीप सिंह ने निजी कारणों से एसआइटी में शामिल करने से इन्कार कर दिया था। एसआइटी ने जांच करके अपनी फाइनल रिपोर्ट दे दी है।

बुधवार को सुनवाई के दौरान गुरलाद सिंह के वकील आरएस सूरी ने कहा कि रिपोर्ट से पता चलता है कि कुछ पुलिस अधिकारियों ने दंगाइयों का साथ दिया ऐसे पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। रिपोर्ट की सिफारिश के मुताबिक मामलों में अपील दाखिल होनी चाहिए। हालांकि उन्होंने कहा कि बरी होने के 25 साल बाद अपील दाखिल करना थोड़ा मुश्किल होगा लेकिन अपील होनी चाहिए। तभी केन्द्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार जस्टिस धींगरा कमेटी की रिपोर्ट मे की गई सिफारिशें स्वीकार करती है और कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। सूरी ने कहा कि वह एसआइटी रिपोर्ट के बारे में उचित अर्जी दाखिल करेंगे। कोर्ट ने उन्हें अर्जी दाखिल कर मांगे रखने के लिए चार सप्ताह का समय दे दिया।

तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि मामले से जुड़े सारे रिकार्ड सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के पास हैं रिकार्ड सीबीआइ को वापस किये जाएं ताकि आगे की कार्रवाई हो सके। कोर्ट ने एसआइटी को आदेश दिया है कि वह मामले से जुड़ा सारा रिकार्ड गृह मंत्रालय को वापस करे।

एसआइटी रिपोर्ट में 1984 दंगों की जांच और ट्रायल पर सवाल उठाए गए हैं। कहा गया है कि बहुत से मामले लापता रहे। इसके अलावा बहुत से मामलों को पुलिस ने एक साथ संलग्न करके कोर्ट में केस दाखिल किया जिसके कारण सुनवाई में देर होती रही। कभी कोई अभियुक्त पेश नहीं होता तो गई दूसरा। रिपोर्ट में कहा गया है कि कानून के मुताबिक अधिकतम 5 मामलों को जो एक समान हो एक साथ संलग्न किया जा सकता है लेकिन इन मामलों में पुलिस ने बहुत से मामले एक साथ जोड़ दिये। एक एफआईआर का उदाहरण दिया गया है जिसमें पुलिस ने 56 हत्याओं के मामले में एक साथ आरोपपत्र दाखिल किया लेकिन कोर्ट ने सिर्फ 5 हत्याओं के मामले में ही चार्ज फ्रेम किये। यह पता नहीं चला कि बाकी के मामलों में क्यों चार्ज नहीं फ्रेम हुए।

एसआइटी ने कहा है कि एक साथ जोड़े गए मामलों में कोर्ट ने भी पुलिस से मामलों को अलग अलग करने का आदेश नहीं दिया। गवाहों ने अदालत में कहा है कि वह अभिुयक्त को पहचान सकते हैं लेकिन कोर्ट में मौजूद सरकारी वकील ने गवाह से अभियुक्त को पहचानने को नहीं कहा और न ही जज ने कोई सवाल पूछे। कहा गया है कि इन सब कारणों से ज्यादातर मामलों में अभियुक्त बरी हो गए। एसआइटी ने रिपोर्ट में बहुत से मामलों में अपील दाखिल करने की सिफारिश की है। इसके अलावा रिपोर्ट में कल्याणपुरी थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है।

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