आयुर्वेद से कोरोना के इलाज को मिली हरी झंडी, पढ़ें- आयुष मंत्रालय की गाइडलाइंस

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस के इलाज के लिए योग और आयुर्वेद आधारित मैनेजमेंट प्रोटोकॉल जारी किया है। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होने से कोरोना के फैलने से रोका जा सकता है। आयुर्वेद और योग के जरिए इम्यूनिटी बढ़ाई जा सकती है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Tue, 06 Oct 2020 07:18 PM (IST) Updated:Tue, 06 Oct 2020 10:47 PM (IST)
आयुर्वेद से कोरोना के इलाज को मिली हरी झंडी, पढ़ें- आयुष मंत्रालय की गाइडलाइंस
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने जारी की इलाज की गाइडलाइंस और प्रोटोकाल, मंत्री हर्षवर्धन की फाइल फोटो

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना का इलाज अब पूरी तरह से आयुर्वेद और योग से हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके लिए विस्तृत गाइडलाइंस और प्रोटोकॉल जारी किया है, लेकिन इस प्रोटोकॉल के तहत कोरोना के सिर्फ माइल्ड और मोडेरेट केसों का ही इलाज किया जा सकेगा। गंभीर मामलों में कोरोना के मरीजों को एलोपैथिक इलाज के लिए कोविड अस्पताल में भेजना अनिवार्य किया गया है। प्रोटोकॉल जारी करते हुए स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि कोरोना मरीजों के इलाज में ट्रायल के दौरान आयुर्वेदिक दवाओं और योग के प्रामाणिक रूप से प्रभावी पाए जाने के बाद इसे औपचारिक रूप से इलाज में शामिल करने का फैसला किया गया।

विशषज्ञों की टीम ने इसके लिए प्रोटोकॉल तैयार किया है।प्रोटोकॉल में विस्तार से बताया गया है कि मरीजों को कौन-कौन सी आयुर्वेदिक दवाएं कितनी मात्रा में कितनी बार देनी हैं। इसी तरह से मरीजों के लिए योग के जरूरी आसनों के बारे में भी बताया गया है। नीति आयोग के सदस्य और कोरोना पर बनी टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ. वीके पॉल के अनुसार, प्रोटोकॉल तैयार हो जाने के बाद देश के सभी आयुर्वेदिक अस्पतालों में कोरोना मरीजों का एक समान प्रामाणिक इलाज सुलभ हो सकेगा। आयुर्वेदिक डॉक्टर किसी माइल्ड या मोडरेट मरीज को होम आइसोलेशन के दौरान इन दवाओं को दे सकते हैं।

सबसे बड़ी बात यह है कि बाजार में सामान्य रूप से उपलब्ध आयुर्वेदिक दवाओं को मरीज खुद भी प्रोटोकॉल के मुताबिक इस्तेमाल कर सकता है।दरअसल, पहली बार सरकारी तौर पर आयुर्वेद और योग को किसी महामारी के इलाज के लिए आधिकारिक रूप से मान्यता दी गई है। अभी तक आयुर्वेदिक डॉक्टर खुद अपने अनुभव के आधार पर आयुर्वेदिक फॉर्मूलों से मरीजों का इलाज कर रहे थे। इस में एकरूपता नहीं होने से कई तरह की भ्रांतियां पैदा हो रही थीं।

प्रोटोकॉल जारी होने के बाद सभी भ्रांतियों पर विराम लग जाएगा।कोरोना काल में इम्युनिटी बूस्टर के रूप में आयुर्वेदिक दवाइयां काफी सफल रही हैं। दिल्ली, पंजाब, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्य अपने पुलिसकíमयों को इम्युनिटी बूस्टर के रूप में आयुर्वेदिक दवाएं मुफ्त में दे रहे हैं। इनकी बड़ी मात्रा में मांग को देखते हुए विभिन्न आयुर्वेदिक कंपनियां इम्युनिटी बूस्टर बना रही हैं। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इम्युनिटी बूस्टर से कोरोना के इलाज तक आयुर्वेद कोरोना काल में अपनी अहमियत साबित करने में सफल रहा है।

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से स्वतंत्रता के बाद आयुर्वेद पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया, फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके महत्व को देखते हुए इस पर ध्यान दिया। आयुष मंत्रालय ने प्रोटोकॉल दस्तावेज में रेखांकित किया कि मौजूदा ज्ञान कहता है कि कोरोना वायरस संक्रमण और महामारी को आगे बढ़ने से रोकने में अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता मददगार है। 

इस प्रोटोकॉल में कोरोना के बिना लक्षण और हल्के लक्षण वाले मरीजों को अब औपचारिक रूप से आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट दिया जाएगा। आपको बता दें कि अभी कुछ आयुर्वेदिक दवाओं को अनौपचारिक तौर पर मरीजों को दिया जा रहा था। ट्रायल के अच्छे नतीजे मिलने के बाद इस पर मुहर लगाई गई है।

National Clinical Management Protocol based on Ayurveda and Yoga for Management of #COVID19: Ministry of AYUSH pic.twitter.com/YsKqIMzYWg— ANI (@ANI) October 6, 2020

अश्वगंधा का प्रयोग करने की सलाह

सरकार ने कोविड -19 पर नियंत्रण के लिए आयुर्वेद और योग आधारित राष्ट्रीय क्लीनिकल प्रबंधन प्रोटोकॉल में लोगों को अश्वगंधा, गुडूची, पिप्पली आदि के सेवन और अनु तेल (Anu Tel) के इस्तेमाल की सलाह दी है। हर्षवर्धन ने कहा कि आधुनिक समय में मेडिसिन की अपनी मजबूती है लेकिन आयुर्वेद देश का एक प्राचीन विज्ञान है, संभवत: सबसे पुरानी। प्रोटोकॉल में अधिक जोखिम वाले लोगों और रोगियों के संपर्क में आए लोगों के उपचार के लिए अश्वगंधा, गुडूची घनवटी और च्यवनप्राश जैसी औषधियों के उपयोग का सुझाव दिया गया है।

गौरतलब है कि दुनियाभर में कोरोना संक्रमितों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। विश्व में कोरोना वायरस से संक्रमित होने वालों की कुल संख्या 3 करोड़ 53 लाख से ज्यादा हो गई है। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक दुनियाभर में कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़कर 1,042,600 से अधिक हो गया है।

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