सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए केंद्र ने 'कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण' का गठन किया
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार ने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण का गठन कर दिया है।
नई दिल्ली (प्रेट्र)। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सक्रियता बरतते हुए केंद्र ने शुक्रवार को कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण का गठन कर दिया। यह प्राधिकरण तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और पुडुचेरी के बीच नदी जल के बंटवारे पर विवाद का समाधान करेगा। 16 फरवरी को शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को आदेश के छह सप्ताह के भीतर प्राधिकरण गठित करने का निर्देश दिया था।
इस आदेश में कावेरी के जल में कर्नाटक के हिस्से में मामूली वृद्धि की गई थी, जबकि तमिलनाडु के लिए आवंटन कम कर दिया गया था। इसके साथ ही दक्षिण के दोनों राज्यों के बीच जल बंटवारा विवाद का समाधान करने की मांग की गई थी।
जल संसाधन मंत्रालय ने गजट अधिसूचना में कहा है कि उसने प्राधिकरण और कावेरी जल विनियमन समिति का गठन कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश द्वारा किए गए संशोधन के अनुसार कावेरी जल विवाद ट्रिब्यूनल के फैसले को प्रभावी बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
पानी पर किसी भी राज्य का मालिकाना हक नहीं है-सुप्रीम कोर्ट
इसी साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कावेरी नदी के पानी के बंटवारे के लिए एक मैनेजमेंट बोर्ड के गठन का आदेश दिया था। कोर्ट ने फैसले में कहा था कि नदी के पानी पर किसी भी राज्य का मालिकाना हक नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी जल विवाद ट्रिब्यूनल (CWDT) के फैसले के मुताबिक तमिलनाडु को जो पानी मिलना था, उसमें कटौती की गई और बेंगलुरु की जरूरतों का ध्यान रखते हुए कर्नाटक को मिलने वाले पानी की मात्रा में 14.75 टीएमसी फीट का इजाफा किया।
जानिए क्या है विवाद
भारतीय संविधान के अनुसार कावेरी एक अंतरराज्यीय नदी है। कर्नाटक और तमिलनाडु इस कावेरी घाटी में पड़ने वाले प्रमुख राज्य हैं। इस घाटी का एक हिस्सा केरल में भी पड़ता है और समुद्र में मिलने से पहले ये नदी कराइकाल से होकर गुजरती है, जो पुडुचेरी का हिस्सा है। इसलिए इस नदी के जल के बंटवारे को लेकर इन चारों राज्यों में विवाद चल रहा है।