सरकारी बंगला बचाने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे बूटा सिंह

केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल रह चुके बूटा सिंह सरकारी बंगला खाली कराए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। बूटा ने सरकारी बंगला बचाने के पीछे अपनी जान को खतरे का हवाला दिया है। उनका कहना है कि सुरक्षा के लिहाज से ही वे सरकारी बंगले में हैं। सिंह ने

By manoj yadavEdited By: Publish:Sun, 23 Nov 2014 09:13 PM (IST) Updated:Sun, 23 Nov 2014 11:56 PM (IST)
सरकारी बंगला बचाने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे बूटा सिंह

नई दिल्ली [माला दीक्षित]। केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल रह चुके बूटा सिंह सरकारी बंगला खाली कराए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। बूटा ने सरकारी बंगला बचाने के पीछे अपनी जान को खतरे का हवाला दिया है। उनका कहना है कि सुरक्षा के लिहाज से ही वे सरकारी बंगले में हैं। सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर उनका पक्ष सुने जाने की गुहार लगाई है। इस मामले में सोमवार को सुनवाई होगी।

बूटा के मुताबिक सरकारी बंगले में वे कभी गैर कानूनी कब्जेदार नहीं रहे। उन्हें 1984 से जेड प्लस सुरक्षा मिली हुई है। जिस 11ए तीन मूर्ति मार्ग बंगले में वे रह रहे हैं वह उन्हें 2006 से आवंटित है। जनवरी 2014 में सरकार ने उनकी सुरक्षा अपग्रेड करते हुए दिल्ली पुलिस से लेकर सीआरपीएफ को सौंप दी।

बूटा के अनुसार सरकार में विभिन्न पदों पर रहते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए थे जिसके कारण उन्हें आतंकी संगठनों से खतरा है। उनके गृहमंत्री रहते हुए ही आपरेशन ब्लैक थंडर हुआ था जिसमें आतंकवादियों को बाहर निकाल कर स्वर्ण मंदिर की मरम्मत हुई थी। खालिस्तानी आतंकियों ने उनके परिवार के चार लोगों की हत्या कर दी थी और दो का अपहरण कर लिया था। अभी भी उनकी जान को खतरा है। अपनी दलील के समर्थन में सिंह ने जनरल केएस बराड़ का उदाहरण दिया है जिन पर आपरेशन ब्लू स्टार के 28 साल बाद हमला हुआ था। सिंह ने केपीएस गिल और एमएस बिट्टा के मामले का हवाला दिया जिन्हें सुरक्षा के आधार पर आवास मिला है। उनका कहना है कि विशेष परिस्थितियों को देखते हुए उन्हें सरकारी आवास में बने रहने दिया जाए। उन्होंने इस बारे में गृहमंत्री राजनाथ सिंह व शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू को ज्ञापन भी दिया है।

क्या कहना है सरकार का

सरकार का कहना है कि बूटा सिंह सुरक्षा के आधार पर सरकारी बंगले में हैं, लेकिन उनके मामले की समीक्षा की जा रही है, क्योंकि नियमों में सिर्फ एसपीजी सुरक्षा पानेवालों को ही सरकारी आवास मिल सकता है।

पूर्व कैग ने उठाया था मामला

सरकारी बंगलों में अनधिकृत रूप से रह रहे पूर्व मंत्रियों और नौकरशाहों का मामला पूर्व सीएजी विनोद राय ने सुप्रीम कोर्ट में पत्र भेजकर उठाया था।

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