Budget 2022: एक ही पोर्टल से एमएसएमई को मिलेगी कई सुविधाएं, सामान बेचने से लेकर कर्ज तक ले सकेंगे

आगामी वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में एक ऐसे पोर्टल बनाने की घोषणा की गई है जो एक साथ कई काम करेगा। बजट घोषणा के मुताबिक एमएसएमई पंजीयन से जुड़े उद्यम पोर्टल ई-श्रम व एनएससी पोर्टल को एक दूसरे से जोड़ दिया जाएगा जिससे उनका दायरा बढ़ जाएगा।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Tue, 01 Feb 2022 08:59 PM (IST) Updated:Tue, 01 Feb 2022 08:59 PM (IST)
Budget 2022: एक ही पोर्टल से एमएसएमई को मिलेगी कई सुविधाएं, सामान बेचने से लेकर कर्ज तक ले सकेंगे
एमएसएमई के कौशल विकास के कार्य में भी इस पोर्टल से मिलेगी मदद

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना महामारी में सबसे अधिक प्रभावित होने वाले छोटे उद्यमियों के लिए बजट में कई राहत की घोषणा की गई है। कार्यशील पूंजी की उपलब्धता के लिए 100 फीसद सरकारी गारंटी वाले कर्ज जिसे इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के नाम से भी जाना जाता है, की अवधि को एक साल साल के लिए बढ़ा दिया गया है। इस स्कीम की अवधि आगामी 31 मार्च को समाप्त हो रही थी जिसे बढाकर 31 मार्च, 2023 कर दिया गया है। इसके अलावा क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फार माइक्रो एंड स्माल इंटरप्राइजेज (सीजीटीएमएसई) में नए फंड डालने की घोषणा की गई है जिससे माइक्रो व स्माल इंटरप्राइजेज को दो लाख करोड़ रुपए के अतिरिक्त कर्ज मिलेंगे और इससे एमएसएमई सेक्टर में रोजगार का सृजन होगा।

आगामी वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में एक ऐसे पोर्टल बनाने की घोषणा की गई है जो एक साथ कई काम करेगा। बजट घोषणा के मुताबिक एमएसएमई पंजीयन से जुड़े उद्यम पोर्टल, ई-श्रम व एनएससी पोर्टल को एक दूसरे से जोड़ दिया जाएगा जिससे उनका दायरा बढ़ जाएगा। उस पोर्टल के माध्यम से एमएसएमई सरकार के अलावा उपभोक्ताओं के साथ सीधे तौर पर कारोबार कर सकेंगे। उस प्लेटफार्म पर कर्ज की सुविधा होगी और एमएसएमई के कौशल विकास के कार्य में भी इस पोर्टल से मदद मिलेगी।

रेजिंग एक्सिलिरेटिंग एमएसएमई पर्फार्मरेंस (रैंप) नामक शुरू किया गया कार्यक्रम

वित्त मंत्री ने संपर्क से चलने वाले सेवा क्षेत्र से जुड़े एमएसएमई का खास ख्याल रखा है और इनके लिए अलग से बजटीय आवंटन किया गया है ताकि वे फिर से अपने कारोबार को खड़ा कर सके। बजट में एमएसएमई को सक्षम और आत्मनिर्भर बनाने के लिए रेजिंग एक्सिलिरेटिंग एमएसएमई पर्फार्मरेंस (रैंप) नामक कार्यक्रम शुरू किया गया है।

बजट में कई कच्चे माल पर लगने वाले शुल्क को किया गया है कम

इस कार्यक्रम को पांच साल के लिए 6000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। 11 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देने वाले एमएसएमई को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुकाबले में खड़ा करने के लिए भी बजट में कदम उठाए गए हैं। बजट में कई कच्चे माल पर लगने वाले शुल्क को कम किया गया है तो कई तैयार माल पर लगने वाले शुल्क में बढ़ोतरी की गई है। कच्चे माल पर शुल्क कम होने उनकी लागत कम होगी वे निर्यात बाजार में दूसरे देशों से मुकाबला कर पाएंगे। स्क्रैप स्टील, टेक्सटाइल, लेदर उत्पाद जैसे कई क्षेत्रों में इस प्रकार की कवायद की गई है। 

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