50 डिग्री की झुलसा देने वाली गर्मी में इस तरह सीमा की चौकसी कर रहे BSF जवान

पाकिस्तान से सटे राजस्थान के जैसलमेर और बाड़मेर जिलों में हालात यह हैं कि सुबह 11 बजे के बाद घर से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Tue, 29 May 2018 03:28 PM (IST) Updated:Tue, 29 May 2018 04:55 PM (IST)
50 डिग्री की झुलसा देने वाली गर्मी में इस तरह सीमा की चौकसी कर रहे BSF जवान
50 डिग्री की झुलसा देने वाली गर्मी में इस तरह सीमा की चौकसी कर रहे BSF जवान

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान का रेगिस्तान पिछले पांच दिन से भट्टी की तरह तप रहा है। आसमान से बरस रही आग के बीच रेत के टीले अंगारों के समान दहक रहे हैं। पाकिस्तान से सटे राजस्थान के जैसलमेर और बाड़मेर जिलों में हालात यह हैं कि सुबह 11 बजे के बाद घर से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है।

पाक सीमा से सटी बीएसएफ की मुरार चौकी, शाहगढ़ बल्ज और तनोट सीमा चौकियों पर मंगलवार को दोपहर में तापमान एक बार तो 49.7 डिग्री तक पहुंच गया,मवहीं चांद चौकी, धनाना चौकी और तला चौकी पर तापमान 48 डिग्री पार कर गया। झुलसा देने वाली भीषण गर्मी के बावजूद बीएसएफ के जवान मुस्तैदी के साथ सीमा पर चौकसी के लिए सर्तक है।

बीएसएफ अधिकारियों का कहना है कि पिछले एक सप्ताह से तापमान 48 से 49 डिग्री तक पहुंच रहा है। कई बार तो 49 डिग्री भी पार कर जाता है। रेत के टीले इतने गर्म हो जाते हैं कि उन पर आसानी से पापड़ सेंका जा सकता है। पिछले साल मुरार सीमा चौकी पर जवानों ने लगातार दो दिन तक रेती पर पापड़ सेंके थे।

बीएसफ अधिकारियों का कहना है कि मई और जून माह हर साल गर्म रहते है। ऐसे में जवान पहले से ही तैयार रहते है। गर्मी चाहे कितनी भी हो, गश्त हमेशा जारी रहती है।

बीएसएफ के डीआईजी रवि गांधी का कहना है कि गर्मी से बचाव के लिए जवानों को नींबू पानी,पांच लीटर पानी की बोतल, ठंडी जैकेट, प्याज उपलब्ध कराने के साथ ही दो-दो घंटे में ड्यूटी बदली जाती है। गश्त के लिए ऊंट के स्थान पर डेजर्ट स्कूटर का उपयोग अधिक किया जाता है, जिससे जवानों के साथ ऊंटों को कुछ राहत मिल सके। वॉच टॉवर पर झोंपे बनाए गए है। इनमें गर्मी कम लगती है।

बीएसएफ अधिकारियों के अनुसार वॉच टॉवर लोहे की चद्दर के बने हुए होने के कारण जल्द ही गर्म हो जाते है। ऐसे में इन पर देशी तकनीक से झोंपे (झौंपड़ी) नुमा आकृति बना दी गई है। इन झौंपों पर लगातार पानी से छिड़काव किया जाता है। इनके अंदर मिट्टी के मटकों में पानी रखा जाता है। अधिकांश चौकियों पर कूल रूम बनाए गए हैं, जिनमें बड़े-बड़े कूलर लगाए गए हैं।

रेगिस्तान में हर तरफ दिक्कत
24 से 30 किमी. प्रतिघंटा की गति से चलती लू, आसमान छूता तापमान शरीर की क्रियांए धीमी कर देता है। नाक से खून आना, चक्कर आना, उल्टी-दस्त आम बात है। रेगिस्तानी इलाके में सांप और बिच्छू का खतरा हमेशा बना रहता है। पिछले दो साल में 20 जवानों को सांप काट चुका है ।

ऐसे मापते हैं तापमान
वैसे तो थर्मामीटर को जमीन से एक मीटर की ऊंचाई पर धूप से अलग रख माहौल के तापमान को दर्ज किया जाता है। यह तापमान खुले में सीधी पड़ रही सूरज की किरण की अपेक्षा पांच से छह डिग्री तक कम होता है । सामान्यतया थर्मामीटर छाया में ही लगा रहता है।  

घुसपैठ की सूचना के बीच बढ़ी चौकसी
सीमा पर घुसपैठ की पुख्ता सूचना के बाद राजस्थान से लगे भारत-पाकिस्तान सीमा पर इन दिनों कड़ी चौकसी बरती जा रही है। हाई अलर्ट के बाद सुरक्षा का ख़ास अभियान चल रहा है। ताकि तपते रेगिस्तान के सुनसान इलाकों और धूल भरी आंधियों की आड़ में दुश्मन घुसपैठ ना कर सके। बी.एस.एफ. जवान लोहे के टीन की बनी चौकी में तपती लू को सहन कर रहे हैं। वहीं कई जवान सरहद पर लगी कंटीली तारों के निकट लगातार पैट्रोलिंग कर रहे हैं। 

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