जानें क्‍या है सिजोफ्रेनिया और इसके लक्षणों को कैसे कम करेगी अंकुरित ब्रोकोली

शोधकर्ताओं का कहना है कि अंकुरित ब्रोकोली में पाए जाने वाले रसायन से सिजोफ्रेनिया के लक्षणों को कम किया जा सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 13 May 2019 02:28 PM (IST) Updated:Mon, 13 May 2019 02:30 PM (IST)
जानें क्‍या है सिजोफ्रेनिया और इसके लक्षणों को कैसे कम करेगी अंकुरित ब्रोकोली
जानें क्‍या है सिजोफ्रेनिया और इसके लक्षणों को कैसे कम करेगी अंकुरित ब्रोकोली

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। सिजोफ्रेनिया के मरीजों में कुछ विशेष तौर से दिखने वाले लक्षण कैटेटोनिक कहे जाते है। इसमें व्यक्ति ज्यादा चलता फिरता नहीं है और किसी भी निर्देशों का पालन नहीं कर पाता है। इसकी चरमता पर ऐये व्यक्ति मोटर की गतिविधियों की अत्यधिक और अजीब सी आवाज निकालकर नकल उतारते है। इसे कैटेटोनिक उत्साह कहा जाता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि अंकुरित ब्रोकोली में पाए जाने वाले रसायन से सिजोफ्रेनिया के लक्षणों को कम किया जा सकता है। 81 लोगों पर दो साल तक किए परीक्षण के बाद अमेरिका की जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है। उनका कहना है कि इसकी मदद से सिजोफ्रेनिया का ऐसा उपचार विकसित किया जा सकता है। सिजोफ्रेनिया एक मनोरोग है जिसके कारण व्यक्ति अपनी काल्पनिक दुनिया में जीने लगता है। ब्रोकली या पत्ता गोभी के नियमित सेवन से पाचन संबंधी समस्याओं से निजात मिल सकती है। इसमें आंत को स्वस्थ रखने वाले मिश्रण पाए जाते हैं। ब्रोकली में पाया जाने वाला मिश्रण इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। आंत के स्वस्थ रहने पर पाचन तंत्र भी दुरस्त रहता है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, सिजोफ्रेनिया के लक्षणों का सामना कर रहे व्यक्ति के मस्तिष्क में ग्लूटामेट नामक रसायन की कमी हो जाती है। यह रसायन मस्तिष्क की कोशिकाओं के बीच संचार में अहम भूमिका निभाता है। चूहों के मस्तिष्क की कोशिकाओं पर किए गए प्रयोग के बाद वैज्ञानिकों का कहना है कि अंकुरित ब्रोकोली से निकाला गया सल्फोरेफेन रसायन इसकी मात्रा को संतुलित करने में मददगार होगा।

सिजोफ्रेनिया के लक्षण

इलाज में मार्डन तकनीकी की वजह से पहले की तुलना में अब कैटेटोनिक सिजोफ्रेनिया कम पाया जाता है। सिजोफ्रेनिया की बजाय कैटेटोनिक को न्यूरोडेवलेपमेंटल (एक ऐसी स्थिति जो बच्चे के तंत्रिका तंत्र को विकसित करने के समय प्रभावित करती है), साइकोटिक बाइपोलर, और डिप्रेसिव डिसऑर्डर जैसे मानसिक बीमारियों में ज्यादा देखा जाता है। कैटेटोनिया के रोगी को अत्यधिक और कम मोटर गतिविधि के बीच में देखा जा सकता है। माडर्न तकनीकी की वजह से कैटेटोनिक सिजोफ्रेनिया के मरीज अपने लक्षणों को आसानी से समझने लगे है, जिससे उनकी जिंदगी पहले से बेहतर हो गई है।

सिजोफ्रेनिया के कारण

जेनेटिक्स- सिजोफ्रेनिया का इतिहास रखने वाले परिवार में इस बीमारी से ग्रस्त होने का खतरा ज्यादा रहता है।

वायरल संक्रमण - कुछ अध्ययनों के अनुसार वायरल संक्रमण के कारण बच्चों में एक प्रकार का पागलपन के विकास होने की संभावना ज्यादा रहती है।

भ्रूण कुपोषण - अगर गर्भावस्था के दौरान भ्रूण कुपोषण से ग्रस्त है, वहाँ एक प्रकार का पागलपन विकसित होने का अधिक खतरा है।

प्रारंभिक जीवन के दौरान तनाव - प्रारंभिक जीवन मेंगंभीर तनाव के कारण एक प्रकार के पागलपन के विकास होने का खतरा रहता है।

जन्म के समय माता-पिता की आयु - ज्यादा उम्र के माता पिता के बच्चों में इस बीमारी के होने की संभावना ज्यादा रहती है।

सिजोफ्रेनिया का इलाज

सिजोफ्रेनिया एक ऐसी स्थिति है जो सारी जिंदगी रहती है, हालांकि कैटेटोनिक लक्षण हमेशा रहे ऐसा जरूरी नहीं है। सिजोफ्रेनिया के मरीजों को एक स्थायी आधार पर उपचार की आवश्यकता होती है; यहां तक ​​कि जब लक्षण गायब हो जाये और रोगी को लगने लगे वे बेहतर हो गए हैं। सभी प्रकार के सिजोफ्रेनिया का इलाज एक ही तरीके से किया जाता है। बीमारी के तथ्यों, गंभीरता और लक्षणों के आधार पर इसके इलाज के तरीकों में अंतर हो सकता है।

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