भगोड़ा आर्थिक अपराधी माना जाएगा विजय माल्या, हाईकोर्ट ने खारिज की अर्जी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने विजय माल्या की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के तहत कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया था।
मुंबई, ब्यूरो। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने शराब कारोबारी विजय माल्य को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने और उसकी संपत्ति जब्त करने की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अनुरोध पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। ईडी ने मुंबई की विशेष मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) कोर्ट से विजय माल्या को भगोड़ा घोषित करने का अनुरोध किया है।
इस पर रोक लगाने के लिए माल्या ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। नए कानून के तहत यदि किसी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषिषत कर दिया जाता है, तो जांच एजेंसी को उसकी संपत्तियां जब्त करने का अधिकार मिल जाता है।
गौरतलब है कि माल्या को एक दिन पहले ही लंदन के उच्च न्यायालय से भी बड़ा झटका लग चुका है। यूके उच्च न्यायालय ने उसे स्विस बैंक यूबीएस को 80,000 पाउंड (लगभग 75 लाख रपए) की राशि तुरंत जमा करने के आदेश दिए थे। ऐसा न करने पर माल्या को अपने लंदन स्थित घर से तुरंत बेदखल होना पड़ेगा।
माल्या के वकील अमित देसाई ने न्यायमूर्ति आरएम सावंत एवं न्यायमूर्ति वीके जाधव की खंडपीठ के सामने दलील दी कि उनका मुवक्किल बैंक का कर्ज अदा करने को तैयार है। उसकी संपत्ति जब्त न की जाए। ऐसा करने से उसे पैसा लौटाने में दिक्कत आएगी। लेकिन खंडपीठ ने देसाई का यह आग्रह ठुकराते हुए विजय माल्या की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने माल्या को कोई राहत न देते हुए कहा कि जांच एजेंसी के आवेदन पर निचली अदालत सुनवाई कर रही है। जबकि उच्च न्यायालय में माल्या की तरफ से समय से पहले ही याचिका दायर कर दी गई।
प्रवर्तन निदेशालय ने यह याचिका इसी वषर्ष बने भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून, 2018 के तहत यह याचिका पीएमएलए कोर्ट में दायर की है। इस कानून के जरिए विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे आर्थिक अपराधियों पर शिकंजा कसने की शुरआत कर दी गई है। यदि किसी व्यक्ति के विरद्ध 100 करोड़ रुपए या इससे अधिक के आर्थिक अपराधों में शामिल होने पर गिरफ्तारी वारंट जारी किया हो, और वह व्यक्ति मुकदमे से बचने के लिए देश छो़़डकर फरार हो गया हो, तो उसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी माना जाता है।