शुरू हुई भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा, अमित शाह भी हुए शामिल

यह यात्रा सुबह 7.30 बजे इमामी जगन्नाथ मंदिर से शुरू हुई। इसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी शिरकत की।

By Mohit TanwarEdited By: Publish:Sun, 25 Jun 2017 09:08 AM (IST) Updated:Sun, 25 Jun 2017 09:19 AM (IST)
शुरू हुई भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा, अमित शाह भी हुए शामिल
शुरू हुई भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा, अमित शाह भी हुए शामिल

अहमदाबाद, जेएनएन। रविवार को अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की 140वीं रथयात्रा निकाली गई। सुबह चार बजे मंगला आरती और खास खिचड़ी का भोग भगवान को चढ़ाया गया, भगवान की मंगला आरती के साथ ही हजारों भक्तों ने भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए। ओडिया कैलेंडर के तीसरे महीने, आषाढ़ के शुक्ल पक्ष द्वितीया को यह उत्सव मनाया जाता है। यह यात्रा सुबह 7.30 बजे इमामी जगन्नाथ मंदिर से शुरू हुई। इसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी शिरकत की।

बता दें कि आरती के बाद भगवान को रथ में बैठाया जाता है, जहां गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने भगवान के रथ में सोने के झाड़ू लगाकर रथ को खुद खींच कर भगवान की इस रथयात्रा को शुरू किया।

उड़ीसा के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी रथ यात्रा अहमदाबाद की मानी जाती है। इसमें भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं। यह यात्रा पारंपरिक मार्ग से होकर गुजरती है। हालांकि अहमदाबाद में भगवान के रथ 13 कि.मी की रथयात्रा कर शाम को ही मंदिर में वापस आ जाते है।


जगन्नाथ रथयात्रा :इन लकड़ियों से बनता है भगवान जगन्‍नाथ का रथ

1- सभी रथ नीम की पवित्र और परिपक्व काष्ठ यानी लकड़ियों से बनाये जाते है। जिसे दारु कहते हैं। इसके लिए नीम के स्वस्थ और शुभ पेड़ की पहचान की जाती है। जिसके लिए जगन्नाथ मंदिर एक खास समिति का गठन करती है।

2- इन रथों के निर्माण में किसी भी प्रकार के कील या कांटे या अन्य किसी धातु का प्रयोग नहीं होता है। ये रथ तीन रंगो में रंगे जाते हैं। मान्यता है कि श्रीकृष्ण जगन्नाथ जी की कला का ही एक रूप हैं।

3- रथों के लिए काष्ठ का चयन बसंत पंचमी के दिन से शुरू होता है। उनका निर्माण अक्षय तृतीया से प्रारम्भ होता है। यात्रा के दिन प्रभु इसी पर सवारी करते हैं।

4- जब ये तीनों रथ तैयार हो जाते हैं तब छर पहनरा नामक अनुष्ठान संपन्न किया जाता है। इसके तहत पुरी के गजपति राजा पालकी में यहां आते हैं। इन तीनों रथों की विधिवत पूजा करते हैं। सोने की झाड़ू से रथ मण्डप और रास्ते को साफ़ करते हैं।

5- आषाढ़ माह की शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को रथयात्रा आरम्भ होती है। ढोल, नगाड़ों, तुरही और शंखध्वनि के बीच भक्तगण इन रथों को खींचते हैं। जिन्हें रथ को खींचने का अवसर प्राप्त होता है वह महाभाग्यवान माना जाता है।

6- पौराणिक मान्यता के अनुसार रथ खींचने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है। शायद यही बात भक्तों में उत्साह, उमंग और अपार श्रद्धा का संचार करती है। जगन्‍नाथ रथ यात्रा में हर वर्ष हजारों की भीड़ होती है।
 

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